Who After Modi? RSS चीफ के बयान पर कांग्रेस MLA ने गडकरी को बताया “सबसे उपयुक्त” PM चेहरा, सियासत में छिड़ी नई बहस

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Who After Modi? RSS चीफ के बयान पर कांग्रेस MLA ने गडकरी को बताया “सबसे उपयुक्त” PM चेहरा, सियासत में छिड़ी नई बहस

 

– राजेश जयंत

 

 

RSS प्रमुख मोहन भागवत के “75 की उम्र के बाद नेताओं को रिटायर हो जाना चाहिए” वाले बयान ने देश की सियासत में नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस, विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषक इस बयान को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा मान रहे हैं, जो इसी साल 75 साल के हो जाएंगे। इसी बहस के बीच कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने आगे बढ़कर कहा कि अगर भागवत जी की सलाह मानी जाए और मोदी रिटायर हों, तो नितिन गडकरी को अगला प्रधानमंत्री बनाना चाहिए, क्योंकि वे गरीबों के लिए सबसे संवेदनशील और जमीनी नेता हैं।

*75 साल में रिटायरमेंट*

मोहन भागवत ने नागपुर में एक किताब के विमोचन के दौरान कहा, “जब आप 75 के हो जाएं, तो आपको खुद ही रास्ता छोड़ देना चाहिए और दूसरों को मौका देना चाहिए।” उन्होंने यह बात आरएसएस के पुराने विचारक मोरोपंत पिंगले के संदर्भ में कही थी, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष ने इसे मोदी के लिए संकेत मान लिया। कांग्रेस के नेताओं ने सोशल मीडिया पर चुटकी लेते हुए कहा कि अब पीएम मोदी को भी पार्टी के “75 साल में रिटायरमेंट” वाले फॉर्मूले पर चलना चाहिए, जैसा कि भाजपा ने पहले कई वरिष्ठ नेताओं के साथ किया।

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*गडकरी क्यों हैं चर्चा में..?*  

कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने कहा, “अगर भागवत जी के बयान के मुताबिक मोदी जी रिटायर होते हैं, तो नितिन गडकरी प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं। गडकरी जी को देश के गरीबों की चिंता है, उन्होंने हमेशा विकास और आम आदमी के मुद्दों को प्राथमिकता दी है।” उन्होंने येदियुरप्पा का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें भी 75 की उम्र में पद छोड़ने पर मजबूर किया था, तो अब वही नियम मोदी पर भी लागू होना चाहिए।

*गडकरी की प्रतिक्रिया और पृष्ठभूमि*  

दिलचस्प बात यह है कि खुद नितिन गडकरी कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री बनना उनका सपना या लक्ष्य नहीं है। वे कहते हैं, “मैं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा, प्रधानमंत्री पद मेरी महत्वाकांक्षा नहीं है।” फिर भी, 2024 और 2025 के चुनावी माहौल में गडकरी का नाम मोदी के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। इंडिया टुडे के “मूड ऑफ द नेशन” सर्वे में भी गडकरी को अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बाद तीसरा सबसे लोकप्रिय विकल्प माना गया।

*राजनीतिक मायने और RSS का रुख* 

आरएसएस ने बाद में सफाई दी कि मोहन भागवत का बयान किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं था, बल्कि मोरोपंत पिंगले के जीवन से जुड़ा था। हालांकि, विपक्ष और जनता के बीच यह बहस और तेज हो गई कि क्या आरएसएस अब भाजपा और मोदी के नेतृत्व में बदलाव चाहता है? खास बात यह भी है कि खुद भागवत जी और मोदी जी दोनों इसी सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे।

*समाज और राजनीति में असर*  

यह बयान ऐसे वक्त आया है जब देश में अमीरी-गरीबी की खाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दे गर्म हैं। कांग्रेस विधायक ने कहा कि देश का धन कुछ हाथों में सिमटता जा रहा है, ऐसे में गडकरी जैसे नेता, जो गरीबों की चिंता करते हैं, ज्यादा उपयुक्त हैं। उन्होंने भाजपा हाईकमान से भी अपील की कि इस पर गंभीरता से विचार करे।

*मुख्य बिंदु एक नजर में:*  

1. आरएसएस चीफ मोहन भागवत का “75 के बाद रिटायरमेंट” वाला बयान सियासी चर्चा में

2. कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने गडकरी को पीएम पद के लिए सबसे उपयुक्त बताया

3. विपक्ष ने बयान को मोदी के लिए इशारा माना, भाजपा ने सफाई दी—ये किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं

4. गडकरी खुद पीएम बनने की महत्वाकांक्षा से इनकार कर चुके हैं

5. “मूड ऑफ द नेशन” सर्वे में गडकरी तीसरे सबसे लोकप्रिय पीएम विकल्प

6. भाजपा में वरिष्ठ नेताओं को 75 की उम्र में रिटायर करने की परंपरा रही है

7. समाज में अमीरी-गरीबी की खाई, विकास और गरीबों की चिंता की बहस तेज

अब सबकी नजरें भाजपा और RSS के अगले कदम पर हैं.. क्या वाकई नेतृत्व परिवर्तन की बयार चलेगी, या यह बहस सियासी गलियारों तक ही सीमित रहेगी…?