Who are the culprits of Mahakal?: कौन हैं महाकाल के गुनहगार?
निरुक्त भार्गव की त्वरित टिप्पणी
प्रधानमंत्री जी ने दुःख जताया है. केंद्रीय गृह मंत्री जी ने घटना के बारे में जानकारी ली है. मुख्यमंत्री जी ने इंदौर के प्राइवेट हॉस्पिटल और उज्जैन के सरकारी अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात करने के बाद उनको एक-एक लाख रुपए देने और पूरे मामले की मजिस्टीरियल जांच कराने के आदेश दे दिए हैं…क्या मामला इतना सीधा और सरल है?
आस्था, विश्वास, परंपराओं और जान-माल की सुरक्षा से जुड़े इस मामले में भी क्या सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई जाए…?
होलिका के दूसरे दिन यानी धुलेंडी यानी 25 मार्च 2024 यानी सोमवार की अलसुबह 5.30 बजे उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में हुआ घटनाक्रम क्या संकेत देता है? भस्मारती के ठीक बाद गर्भ गृह में हो रही आरती के दौरान स्प्रे मशीन से गुलाल की बौछार करने से प्रज्जवलित दीये में भीषण आग भभक उठी. अंदर मौजूद पांच पुजारी, 9 मंदिर सेवक और एक 10 साल का बच्चा झुलस गए . उन्हें ताबड़तोड़ वहां से निकाला गया और एंबुलेंस वगैरह से जिला चिकित्सालय भेजा गया. कोई 8-9 घायलों की स्थिति कुछ ज्यादा चिंताजनक होने पर उन्हें इंदौर शिफ्ट किया गया जहां सभी का इलाज जारी है.
प्रश्न ये है कि महाकालेश्वर जी के आंगन में एक और बड़ा घटनाक्रम हो गया और तथाकथित जिम्मेदार लोगों ने संजीदगी बताते हुए अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन कर लिया! 2023 में मई माह के अंत में “महाकाल लोक” में सप्तऋषियों की सभी मूर्तियां क्षणिक तूफान में धराशाई हो गई थीं…खूब शोर-शराबा मचाया गया, प्रमाण सहित शिकायतें हुईं ,पर हुआ क्या?
तो, क्या धुलेंडी में महाकाल जी के ही गर्भ गृह में घटित मामला बाबा के किसी प्रकोप की तरफ इशारा करता है? 1990 के दशक के उतरार्द्ध में महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले रास्ते पर सोमवती अमावस्या के दिन भस्मारती के समय मची भगदड़ में तीन दर्जन श्रद्धालु काल के गाल में समा गए थे. प्रकारांतर के घटनाक्रम में शिवलिंग जी के क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. स्पष्ट आदेश हुए थे कि शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए उसको स्पर्श करने और उस पर केमिकल युक्त जल और अन्य पदार्थ नहीं चढ़ाने दिए जाएंगे. देश की शीर्ष अदालत लगातार इस मामले की मॉनिटरिंग कर रही है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया बाकायदा एक निश्चित समयावधि में मंदिर और गर्भ गृह का अवलोकन कर स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करते हैं.
बावजूद इसके, मंदिर के गर्भ गृह में दीवाली पर फुलझड़ी और पटाखे जलाने और होली पर रासायनिक गुलाल और रंग इत्यादि चढ़ाने की खूली छूट मिली हुई है! पूजा-प्रार्थना-अनुष्ठान का अति-प्राचीन स्थल पहले से ही धन बटोरने का अड्डा बना दिया गया है! वीआईपी कल्चर, मनमानी भर्तियों और बेतरतीब दर्शन व्यवस्था से आम श्रद्धालू हलाकान हैं ही..!
जिन तथाकथित सज्जनों के प्रशासनिक आचरण के कारण आग में झुलसने की ये मर्मांतक वारदात हुई है, उसकी जिम्मेदारी क्या एक मजिस्टीरियल जांच से फिक्स हो सकेगी?