Who is Owner of Govt Land : राऊ तहसील में सरकारी जमीन का बड़ा कारनामा, जमीन का मालिक बताया ‘मध्य प्रदेश शासन पिता मध्य प्रदेश शासन!’

खसरे में जमीन सरकारी दर्ज, फिर भी वहां मकान बने होने की भी जानकारी दर्शाई गई!

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Who is Owner of Govt Land : राऊ तहसील में सरकारी जमीन का बड़ा कारनामा, जमीन का मालिक बताया ‘मध्य प्रदेश शासन पिता मध्य प्रदेश शासन!’

Indore : इंदौर जिले की राऊ तहसील हमेशा ही किसी न किसी मामले में सुर्खियों में रहती है। अब एक बार फिर राऊ के एक पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार का एक बड़ा कारनामा सामने आया। इसके अनुसार धरावरा पटवारी हल्का की जिस सरकारी जमीन का रिसीवर मध्य प्रदेश शासन अर्थात कलेक्टर इंदौर को होना चाहिए, पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार के इस कारनामे के कारण वह जमीन नायब तहसीलदार राऊ तक ही सीमित रह गई।

इस मामले में मिली जानकारी बताती है, कि इससे बड़ी बात यह कि पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार ने ऐसा कारनामा किया कि मध्य प्रदेश शासन का पिता मध्य प्रदेश शासन को ही बना दिया। इस कारण रिकॉर्ड में भी इस जमीन का मालिक मध्य प्रदेश शासन अर्थात उसके प्रतिनिधि कलेक्टर नहीं बन सके। इस मामले में अन्य बड़े अधिकारी इसे तकनीकी त्रुटि मात्र बता रहे हैं। वे इस बात को स्वीकार नहीं रहे कि ये जानबूझकर किया गया कोई कारनामा है।

राऊ तहसील के पटवारी हल्का धरावरा में 0.7510 हैक्टेयर जमीन सरकारी है। इस सरकारी जमीन का मालिक स्वयं को बनाने के लिए पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार ने रिकॉर्ड में मध्य प्रदेश शासन का पिता मध्य प्रदेश शासन को ही बना दिया। सबसे बड़ी बात यह कि जिस जमीन को सरकारी बताया जा रहा है राजस्व रिकॉर्ड में इस जमीन पर मकान बने होना भी दर्शाया गया।

जब रेकॉर्ड में जमीन सरकारी है, तो फिर इस पर खसरे में मकान बने होना कैसे संभव है। सूत्र बताते हैं कि इस जमीन का मालिक यदि पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा मध्य प्रदेश शासन को बता दिया जाता, तो यह जमीन का रिसीवर कलेक्टर इंदौर होते। ऐसी स्थिति में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन से पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार का नियंत्रण समाप्त हो जाता। करोड़ों रुपए की धरावरा स्थित उक्त जमीन पर अपना हस्तक्षेप कायम रखने के लिए पूर्व अतिरिक्त तहसीलदार और उनके रीडर द्वारा रिकॉर्ड में यह गड़बड़ी की गई है।

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जमीन सरकारी तो कैसे बने मकान 

पटवारी हल्का धरावरा के राजस्व रिकॉर्ड पर गौर करें, तो यह स्पष्ट होता है कि जिस जमीन को सरकारी बताया जा रहा और सरकारी रिकॉर्ड में भी यह जमीन शासकीय दर्ज है। उसी जमीन पर राजस्व रिकॉर्ड में ही मकान बने होने का उल्लेख है। यहां यह सवाल उठता है, कि यदि जमीन सरकारी है तो उसे पर मकान कैसे बने!

दिखवाकर सुधार करवाएंगे

इस मामले में एसडीएम (राऊ) गोपाल वर्मा ने बताया कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। अब इसे दिखवाकर उसमें जो भी त्रुटि होगी उसमें सुधार करेंगे।