Who will be Bhupendra Patel of MP?
असम, उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में अचानक नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है कि मध्यप्रदेश का Bhupendra Patel कौन होगा? पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश में विभिन्न नेताओं की अचानक बढ़ी राजनीतिक गतिविधियों से ऐसे संकेत तो मिल रहे हैं पर गुजरात की घटना ने सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मोदी- शाह की जोड़ी ऐसा ही कोई Bhupendra Patel यानी First timer MLA यहां भी अचानक प्रकट कर दे।
मीडिया को लगा झटका
देश व गुजरात की मीडिया को दिल्ली व अहमदाबाद के बीच भाजपा नेताओं की बढ़ी आवाजाही, नेताओं में विचार विमर्श दिख तो रहा था पर इसकी भनक किसी भी स्वनामधन्य मीडिया के तुर्रमखां को नहीं लग सकी कि यह सारी क़वायद गुजरात में मुख्यमंत्री बदलने की हो रही है। जब विजय रूपानी ने खुद बताया कि वे इस्तीफा दे रहे हैं तब ही मीडिया को इस बारे में पता चला। यह था मीडिया को पहला झटका।
फिर लगा दूसरा झटका
फिर मीडिया ने नए CM को लेकर लगभग एक दर्जन नेताओं की एक ‘कयासी लिस्ट’ पर बहस चालू कर दी। मोदी शाह की जोड़ी ने एक बार फिर इन मीडियाई तुर्रमखां को धता बताते हुए First Timer MLA Bhupendra Patel को अपना तुरुप का इक्का घोषित करके सबको चौंका दिया क्योंकि किसी भी मीडिया में भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं चल रहा था। कहा जाए कि BJP के Special Operations भी पूरी तरह से Military Precision & Perfect Timing के साथ ही होते हैं तो कतई गलत नहीं होगा।
अतिरंजना नहीं वास्तविकता
नरेंद्रभाई मोदी और अमितभाई शाह दोनों के बारे में कहा जाता है कि उनका दायां हाथ किसी फाइल पर क्या नोट लिख रहा है यह उनके बाएं हाथ को भी नहीं पता होता है। वे अपने दायीं आंख व दायें कान से क्या देख व सुन रहे हैं, उससे उनकी बायीं आंख व बायां कान भी अनभिज्ञ होता है। हो सकता है इस वाक्य में कुछ लोगों को अतिरंजना का आभास हो पर यही वास्तविकता है।
खबर वही जो BJP बताए
उनकी कोटरी जिसको भरोसे में लेकर वे अन्यान्य बड़े फैसले करते हैं इतनी विश्वस्त और भरोसेमंद है कि वह कभी न कुछ ज़ुबान से बोलती है न उनकी बॉडी लैंग्वेज किसी तरह की चुगली करती है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ताकत यही है कि वे जो बात बताना चाहते हैं सिर्फ़ वही बात ब्रेकिंग न्यूज बनती है। जो जानकारी वे नहीं बताते हैं वे अंतिम क्षण तक रहस्य ही बनी रहती है।
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महाराष्ट्र हरियाणा तो याद है न
पिछली बार भाजपा नेतृत्व ने महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को जब सीएम बनाया गया तो सब ऐसे ही चौंके थे। हरियाणा में भी लोग मनोहर लाल खट्टर के बारे में सोच भी नहीं रहे थे और वे अचानक सीएम बन गए। उत्तरप्रदेश में भी सीएम के लिए सबसे प्रबल दावेदार के रूप में मनोज सिन्हा का नाम चल रहा था पर अंतिम समय पर महंत योगी आदित्यनाथ के सिर पर सेहरा बांधा गया था। यानी जो लोग सोच रहे हैं, उससे अलग काम करने का तरीका है इस जोड़ी का।
गुजराती भाइयों की जोड़ी
दोनों गुजराती भाइयों की जोड़ी एक दूसरे की पूरक है। कभी अनर्गल बात नहीं करते हैं। गैर जरूरी आरोपों को नज़रअंदाज़ करते हुए उन पर कोई रिएक्शन भी नहीं देते हैं। उन्हें यह भी पता है कि उनके विरोधियों का प्रयास यही रहता है कि किसी तरह इन दोनों या इनमें से किसी एक को अपने जाल में फांस कर कुछ अनर्गल बुलवा लें और फिर बतंगड़ बना सकें।
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मध्यप्रदेश में दिग्गजों की भरमार
मध्यप्रदेश का चर्चा करें तो यहां भी कम से कम एक दर्जन नेता ऐसे हैं जिन्होंने लंबे अर्से से अपने Favourite टेलर के यहां शपथग्रहण के लिए शेरवानी और कुर्ते पायजामे की नाप नोट करा कर रखी हुई है ताकि शार्ट नोटिस पर इस खास मौके के लिए नए रुआबदार कपड़े सिलवाए जा सके।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर व प्रह्लाद पटेल, बंगाल विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले कैलाश विजयवर्गीय, संघ की आंखों के दुलारे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह आदि वे प्रमुख नाम हैं जो मीडिया के सामने और सार्वजिनक तौर पर कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि उनके मन में भी एक बार मुख्यमंत्री बनने की लालसा है।
इस सूची में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके खास सिपाहसलारों का भी नाम भी जोड़ दिया जाए तो लिस्ट काफी लंबी हो जाएगी।
सपने मत देखिए आप
मध्यप्रदेश भाजपा की हर राजनीतिक गतिविधि पर नजदीक से निगाह रखने वाले पत्रकारों का मानना है कि मोदी-शाह की Working Style को देखकर लगता है कि कम से कम इन चर्चित नेताओं को तो मुख्यमंत्री पद से अपने को दूर रखना चाहिए। भाजपा के एक केन्द्रीय पदाधिकारी ने भी अनौपचारिक बातचीत में माना है कि मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जल्दी Due तो है।
संकेतों को सही माना जाए तो अगले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में नए और अपेक्षाकृत युवा नेता के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। यह नाम ऐसा भी हो सकता है जो हमारी आपकी लिस्ट में कभी उभरकर सामने न आया हो।
किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि ‘गुजरात फार्मूला’ मध्यप्रदेश पर लागू हो गया तो पता नहीं किस First Timer MLA का भाग्य चमक जाए और वह Chief Minister बना दिया जाए क्योंकि नरेंद्रभाई मोदी और अमितभाई शाह दोनों के बारे में कहा जाता है कि उनका दायां हाथ किसी फाइल पर क्या नोट लिख रहा है यह उनके बाएं हाथ को भी नहीं पता होता है। वे अपनी दायीं आंख व दायें कान से क्या देख व सुन रहे हैं, उससे उनकी बायीं आंख व बायां कान भी अनभिज्ञ होता है।
आइए, अनुमान लगाते हैं कि Who will be Bhupendra Patel of MP? यकीन मानिए, जो भी अनुमान लगाएंगे, गलत ही होगा क्योंकि फैसला मोदी-शाह की जोड़ी को करना है।