who will be the dark horse in CM race in Rajasthan….?
यक्ष प्रश्न मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन?
गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर से सभी को चौंकाते हुए मध्य प्रदेश में उज्जैन दक्षिण के 58 वर्षीय विधायक डॉ मोहन यादव को मुख्य मंत्री और जगदीश देवड़ा एवं राजेन्द्र शुक्ला को उप मुख्य मंत्री बना कर 18 साल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहें तथा इस बार दो तिहाई बहुमत लाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी कर दी है। नव निर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ओबीसी वर्ग से है और तीन बार विधायक रहने के साथ ही शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिपरिषद में उच्च शिक्षा मंत्री भी रहें है। विद्यार्थी परिषद और आरएसएस से जुड़ें यादव की मध्य प्रदेश एवं देश में नई शिक्षा पद्धति लागू कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही बताते है।
डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा ने आने वाले लोकसभा आम चुनाव के लिए मध्य प्रदेश के निकटवर्ती कई प्रदेशों में ओबीसी वोटों को साधने का ज़ोरदार प्रयास किया है।
मध्य प्रदेश से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को प्रदेश का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री बना कर आगामी लोकसभा आम चुनाव से पहले आदिवासी समुदाय में एक बड़ा सन्देश देने का प्रयास किया था। साथ ही छग में भिन्न जातियों के दो उप मुख्यमंत्री बना कर वहाँ जातीय सन्तुलन भी बनाया है।
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाद मोदी एवं शाह की जोड़ी का अब मंगलवार को भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान को चौकानें का अवसर है। मीडिया में अपनी सटीक राजनीतिक भविष्यवाणियाँ करने वाले पण्डित भी इस बार अपनी चौकड़ी भूल किंकर्तव्यविमुढ़ से दिखाई दे रहें हैं। फिर भी उनका अनुमान है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी और मध्य प्रदेश में ओबीसी का मुख्यमंत्री देने के बाद अब राजस्थान में एससी अथवा सवर्ण वर्ग का नम्बर आने वाला हैं और उसमें भी आधी आबादी महिलाओं को वरियता देकर उन्हें साधा जा सकता है।
राजस्थान में अब तक मुख्यमंत्री के नामों के रूप के एक लम्बी फ़ेहरिस्त चर्चाओं में रही हैं लेकिन छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अप्रत्याशित नाम सामने आने के बाद कोई भी यह बताने की स्थिति में नही है कि राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? सभी एक ही बात कह रहें है कि केवल दो व्यक्ति यानी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ही यह रहस्य जानते है । इसमें कोई गलत बात भी नही है ।
हाल के घटना क्रम को देखते हुए सभी इस बात को जानते हैं लेकिन दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों के हालिया चयन के बाद कोई भी विधायक मीडिया में अपना नाम चल जाने से ही भयभीत हो रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जिन नेताओं के नाम चर्चाओं में चल रहे थे,वे सारे अनुमान बिल्कुल ही गलत साबित हुए। दिलचस्प बात यह है कि राजस्थान के नेता सोमवार शाम से ही मीडिया से यह कहने लगे है कि कृपा कर हमारा नाम नही चलाना वरना यदि हमारी कोई सम्भावना होंगी तों वो भी इससे समाप्त हो जायेंगी।
अब मीडिया एक्सपर्ट जो अनुमान लगा रहें है उसके अनुसार वैसे तो मोदी-शाह की पर्ची खुलने से पहले कोई भी सटीक ढंग से मुख्यमंत्री के बारे के कुछ भी नही कह सकता लेकिन छग में आदिवासी और एमपी में ओबीसी मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्थान में महिला, सवर्ण या एससी वर्ग के किसी गुमनाम नेता के मुख्यमंत्री बनने की सम्भावनाएँ ही अधिक है । इस नए समीकरण के अनुसार सबसे पहले महिला मुख्यमंत्री की अवधारणा पर बात करे तों निसंदेह वसुन्धरा राजे ( झालरापाटन) का नाम सबसे ऊपर आता है जिनके पास पर्याप्त विधायकों के समर्थन के साथ ही अपार प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव का अथाह भण्डार है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की सम्भावनाओं पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगा हुआ है।
वसुन्धरा राजे के अलावा प्रदेश में इस बार भाजपा की जो महिला उम्मीदवार विजयी रहीं हैं उनमें जयपुर राजघराने की दीया कुमारी (विद्याधर नगर) को एक एक बार विधायक और सांसद रहने , अनिता भदेल (अजमेर दक्षिण) को कई बार विधायक और मंत्री रहने का लम्बा अनुभव है। इसी प्रकार बीकानेर राजघराने की सिद्धि कुमारी (बीकानेर पूर्व) भी कई बार विधायक रही है। इसके अलावा मंजू बाघमार (जायल), शोभा चौहान (सोजत), दीप्ति किरण माहेश्वरी (राजसमंद), कल्पना देवी (लाडपुरा), नौक्षम चौधरी (कामां) भी एक बार या उससे अधिक बार विधायक बनी हैं। इस सूची में वैसे तो किसी को भी सीएम बनाया जा सकता है लेकिन अनुभव के आधार पर अनिता भदेल सबसे ऊपर और चर्चित नाम के अनुसार दीया कुमारी की संभावनाएँ सबसे अधिक बनती है।
चूँकि छग और एमपी में निर्वाचित विधायकों में से ही सीएम चुने गए है अतः यदि निर्वाचित हुए विधायकों की बात ही करें तो उसमें वसुन्धरा राजे के साथ ही सबसे अधिक वरिष्ठ विधायकों में कालीचरण सराफ, प्रतापसिंह सिंघवी, वासुदेव देवनानी, पुष्पेंद्र सिंह राणावत आदि कुछ नाम शामिल हैं। इनके अलावा मदन दिलावर,जोगेश्वर गर्ग,कर्नल राज्य वर्द्धन सिंह राठौड़ आदि के नाम प्रमुख है।बाबा बालक नाथ और डॉ किरोडी लाल मीणा अपने आपको सी एम की रेस से बाहर बता चुके है।जबकि विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ और उप नेता डॉ सतीश पूनियाँ इस बार चुनाव हार गए है लेकिन उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को विधान सभा चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बनाया जा चुका है तों इन्हें बनाने पर भी किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए।
यदि केन्द्रीय मंत्रियों के नाम पर भी विचार होता है तों इनमें गजेन्द्र सिंह शेखावत,अर्जुन राम मेघवाल,अश्विनी वैष्णव,भूपेन्द्र यादव,कैलाश चौधरी आदि के अलावा लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते है । इनके अलावा सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी और गैर विधायकों में शुमार पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर इस बार डार्क हॉर्स साबित हो जायें तो कोई आश्चर्य नही होंगा।
इस तरह मंगलवार की शाम राजस्थान की सात करोड़ जनता दिल थाम कर बैठ जायें क्योंकि, राजस्थान को सौहलवी विधान सभा में सदन का नया नेता और प्रदेश का 22 वाँ मुख्यमंत्री मिलने वाला है।