किसे मिलेगा सत्ता के क्षीरसागर में नौकायन का मौका!

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किसे मिलेगा सत्ता के क्षीरसागर में नौकायन का मौका!

– अरुण पटेल

वैसे तो देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं लेकिन सबकी नजरें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पर लगी हुई हैं। राजनीतिक दलों के साथ ही साथ कहीं-कहीं कुछ निर्दलीय चेहरे भी चुनाव मैदान में हैं जो चुनावी समीकरणों को अपने-अपने स्तर पर गड़बड़ा सकते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुकोणीय मुकाबले में लगभग चुनावी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच हो रही है। वहीं तेलंगाना में केसीआर की बीआरएस और कांग्रेस में जोरदार टक्कर हो रही है, इसमें भाजपा की क्या स्थिति रहती है यह देखने के बाद ही यह कहा जा सकेगा कि भाजपा के लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार बन्द हो गया है या कुछ संभावनाएं बाकी हैं। कर्नाटक में कांग्रेस की धमाकेदार जीत के बाद अब भाजपा को दक्षिण में जो भी उम्मीदें बची हैं वह तेलंगाना में ही हैं।

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तेलंगाना में वैसे तो कांग्रेस बीआरएस को कड़ी चुनौती दे ही रही थी लेकिन वायएसआर कांग्रेस के इस राज्य की प्रमुख वाय एस शर्मिला ने घोषणा कर दी है कि हम वोट बंटने नहीं देना चाहते इसलिए हम विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, हमने यहां कांग्रेस पार्टी को समर्थन करने का फैसला किया है। शर्मिला आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाय एस जगन रेड्डी की छोटी बहन हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी तेलंगाना में केसीआर को रोकने के लिए कांग्रेस को समर्थन दे रही है, इससे कांग्रेस का पलड़ा काफी भारी हो गया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस काफी मजबूत पायदान पर खड़ी है तो मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटेदार मुकाबला हो रहा है इन दोनों में से जो भी 30 सीटों में से 16 से अधिक सीटें जीत लेगा उसकी सरकार बन जायेगी, क्योंकि यहां पर 100-100 सीटों के आसपास जीतती हुई भाजपा और कांग्रेस दोनों नजर आ रही हैं। राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने का जो पिछले कुछ दशकों का इतिहास रहा है वह यथावत रहेगा या इसे बदलने में अशोक गहलोत सफल होंगे यह 3 दिसंबर को मतगणना में ही पता चल सकेगा।

जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है यहां पर कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में खड़ी हुई है लेकिन देखने वाली बात यही होगी कि ईडी और आयकर विभाग की सक्रियता से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राह में भाजपा कितने कांटे बिछाने में सफल होती है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के पहले ईडी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सट्टेबाजी करने वाले महादेव एप के प्रमोटरों से 508 करोड़ रुपये लिये हैं। ईडी के अनुसार गुरुवार को कैश डिलीवरी करने वाले असीम दास के मोबाइल और ईमेल से मिले इलेक्ट्रानिक दस्तावेजों से बघेल को उक्त राशि दिए जाने के प्रारंभिक सुबूत मिले हैं और इसकी जांच की जा रही है। असीम की कार और उसके घर से ईडी ने 5 करोड़ 39 लाख रुपये बरामद किए हैं और महादेव एप के बेनामी खातों में जमा 15.59 करोड़ रुपये को ईडी फ्रीज कर चुकी है।

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छत्तीसगढ़ में 7 एवं 17 नवम्बर को दो चरणों में विधानसभा चुनाव होना है। ईडी के एक अधिकारी का कहना है कि चुनाव में इस्तेमाल करने के लिए कैश छत्तीसगढ़ पहुंचने की खुफिया जानकारी मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई है। असीम दास की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया है कि इस कैश का इंतजाम एक राजनीतिज्ञ बघेल के लिए महादेव एप के प्रमोटरों ने किया था। दस्तावेज से पता चला है कि एप के प्रमोटरों की ओर से लम्बे समय से मुख्यमंत्री बघेल एवं वरिष्ठ नेताओं को पैसे दिये जा रहे थे। वहीं इस कार्रवाई पर पलटवार करते हुए भूपेश बघेल ने उसे खारिज कर दिया है। उनका दावा है कि भाजपा ईडी, आईटी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के सहारे छत्तीसगढ़ का चुनाव लड़ना चाहती है और चुनाव के ठीक पहले ईडी ने उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है।

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उनका कहना है कि ईडी ने पहले उनके करीबी लोगों को बदनाम करने के लिए छापे डाले और अब एक अनजान व्यक्ति के बयान को आधार बनाकर 508 करोड़ रुपये लेने का मुझ पर आरोप लगा दिया गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में भाजपा की निश्चित हार की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके नेताओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए अपने आखिरी बचे हथियार ईडी का इस्तेमाल किया है। रमेश का कहना है कि मोदी की धमकियां उन मतदाताओं के संकल्प को मजबूत करेंगी जो जानते हैं कि यह सिर्फ चुनावी नाटक है और भाजपा की हताशा को दर्शाता है। भाजपा के नेता और छग के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी तीखा तंज कसते हुए कहा कि राजा जब चोर हो जाता है तो जुए-सट्टे वालों से भी 508 करोड़ रुपये का कमीशन खाने लगता है।

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राजस्थान में कुछ माह पूर्व तक भाजपा की एकतरफा जीत नजर आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे भाजपा के उभर कर सतह पर आते अंर्तकलह और पूर्व मुख्यमंत्री तथा राजस्थान की भाजपा की सबसे लोकप्रिय नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को हाशिए पर लाने की कोशिशों के चलते अब उसकी स्थिति धीरे-धीरे कमजोर नजर आ रही है। वहीं मतदाताओं को सीधे लाभ पहुंचाने की हितग्राहीमूलक योजनाओं को लागू करने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धीरे-धीरे इस अंतर को कम कर दिया है और पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं असंतुष्ट धड़े के नेता सचिन पायलट के बदले रुख से कांग्रेस अब मजबूत पायदान की ओर बढ़ती नजर आ रही है। उधर वसुंधरा राजे ने हल्के-फुल्के अंदाज में सन्यास लेने की बात कहकर भाजपा की मजबूती को धीरे से जोर का झटका दे दिया है।

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अब यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा कि अशोक गहलोत कांग्रेस को चुनावी वैतरणी पार करा पाते हैं या नहीं। मध्यप्रदेश के चुनावी समर में कांग्रेस और भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं की आमद हो गयी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा मोर्चा संभाल चुके हैं तो वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी भी मोर्चा संभाल रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी आने वाले हैं तो आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी इसमें शिरकत कर चुके हैं। जबकि बसपा सुप्रीमो मायावाती 6 नवम्बर से मध्यप्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली हैं। नड्डा ने विंध्य अंचल की 22 सीटों को साधने की कोशिश की है और 160 किमी की रथयात्रा के माध्यम से उन्होंने यह किया है। विंध्य अंचल में 2018 के चुनाव में भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी लेकिन इस बार कांग्रेस का ध्यान भी इस क्षेत्र में है और वह अपना खोया हुआ जनाधार पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।

और यह भी
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया है कि छिंदवाड़ा में इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कठिनाई में हैं और हो सकता है वे चुनाव हार जायें। महिलाओं को न्याय हमारी पार्टी का कमिटमेन्ट है और इसे हम पूरा करेंगे। उन्होंने इंडिया गठबंधन को अवसरवादी गठबंधन बताया है। कांग्रेस पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि सनातन पर खेल कांग्रेस ने शुरु किया है और इसे हम खत्म करेंगे। चुनावी हिन्दू बहुत हो गये हैं आप हिन्दू हैं या नहीं, यह साफ बताइए, यह तो आस्था का सवाल है इसमें राजनीति कहां है, आपका अतीत राम को काल्पनिक बताने का रहा है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच हुए कुर्ता फाड़ संवाद पर तंज करते हुए रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि कांग्रेस में तो कुर्ता फाड़ राजनीति चल रही है और एक-दूसरे के कुर्ते फाड़े जा रहे हैं।
इन दिनों चुनावी समर में एक-दूसरे पर सियासी हमले तेज हो गये हैं। जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कह रहे हैं कांग्रेस घोटालों की सरकार है और कमलनाथ धन कलेक्ट करने वाले कलेक्टर हैं जो अपने प्रदेश से धन जमा कर दिल्ली दरबार में अर्पित करते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि जनता की योजनाओं को बन्द कर कमलनाथ ने पाप किया था और उसके बोझ से ही उनकी सरकार गिर गयी थी। कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि 18 साल का हिसाब तो दे नहीं पा रहे और 15 माह की सरकार का आडिट चाहते हैं। राजा-महाराजा और मामा राजनीतिक फब्तियां कसने का और एक दूसरे पर आरोप लगाने का सबब बन गये हैं। कमलनाथ का कहना है कि मैं राजा या महाराजा नहीं हूं और न ही शिवराज की तरह मामा ही हूं बल्कि मैं तो आपका भाई हूं। यह आपको तय करना है कि राज्य में कमीशन की सरकार चाहिए या ईमानदारी की।