
जिलाध्यक्ष की दौड़ में आखिर कौन मारेगा बाजी काका या दादा?
अभिषेक दमाडे की रिपोर्ट
Harda : हरदा की दोनों विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक होने की वजह से सबसे पावरफुल पद सत्ता पक्ष के जिलाध्यक्ष का ही माना जाता हैं। हरदा जिले में जिलाध्यक्ष बनने के लिए काफी दिग्गज नेता या तो स्वयं अपनी दावेदारी कर रहें है या किसी तरह से कोशिश में लगे हैं कि उनका कोई व्यक्ति जिलाध्यक्ष बन जाए और इससे उनका राजनीतिक पावर भी बना रहें। जिले में कुछ नाम काफी चर्चा में है जो जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में है नम्बर 1 पर राजेश वर्मा (काका) जो अभी भाजपा जिलाध्यक्ष के पद पर काबिज हैं, विधानसभा चुनाव में जिले की दोनों सीटों पर हार जाने के बाद पूर्व जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा को हटाकर राजेश वर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया गया आपको बता दें कि राजेश वर्मा उर्फ काका छात्र नेता रहें हैं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 1988 से लेकर 2002 तक नगर संयोजक, विभाग प्रमुख एवं प्रांत उपाध्यक्ष की जवाबदारी का निर्वाहन भी उन्होंने किया।
इसी तरह विद्या भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, स्वदेशी जागरण मंच जैसे कई संगठन का दायित्व पूरा करते हुए भाजपा में प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के जिला संयोजक, शासकीय महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष तथा जिला सांसद प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया। इसके साथ ही पार्टी ने जिस उम्मीद से इन्हें जिला अध्यक्ष बनाया था उसमें खरे उतरते हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को रिकॉर्ड बहुमत से विजय बनाया था तथा इनकी कार्यशैली से भाजपा सदस्यता अभियान में भी काफी अच्छा परिणाम देखने को मिले।
दुसरे नम्बर पर उपेन्द्र गद्रे जो हरदा क्षेत्र में दादा के उपनाम से विख्यात हैं इन्हें हरदा जिले में यदि चुनाव जिताने में चाणक्य की उपाधि दी जाए तो कम नही होगी। 1991 से भाजपा ने इन्हें चुनाव प्रभारी बनाया था और उन सभी चुनाव में इन्होंने भाजपा को विजय दिलाई थी। वर्तमान में ये टिमरनी शासकीय महाविद्यालय में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष हैं। पूर्व में मंडल महामंत्री, जिला उपाध्यक्ष, नगर परिषद उपाध्यक्ष के पद का दायित्व पर भी आसीन रहें। इन्हें स्पष्ट और निष्पक्ष कहने वाले नेता के रूप में भी जाना जाता हैं।
विधानसभा चुनाव प्रभारी के रूप में इन्होंने वर्ष 2008, 2018
में लोकसभा चुनाव संयोजक 2008, 2024 नगर पालिका हरदा चुनाव प्रभारी रहें और 2017 में चुनाव भी जीता चुके हैं इसीलिए यह माना जा रहा हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव जितने के लिए इनकी जिलाध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो सकती हैं।





