

पूरा भारत एकजुट…’निर्णायक रण’ तक ले जा रहा ‘बैसरन’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में सभी नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ सरकार के कदमों का पूरा समर्थन किया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से उठाए गए और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के साथ सभी नेता एकजुट हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी सहित सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं ने सरकार के सभी कदमों का पूरा समर्थन करने की सहमति दी है। सर्वदलीय बैठक से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।
तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार की सरजमीं से कहा कि ‘मैं पूरी दुनिया से यह कहना चाहता हूं कि भारत इन लोगों की पहचान करेगा, उन्हें ढूंढेगा और हर आतंकी तथा उनकी मदद करने वाले लोगों को सजा देगा। हम उन्हें पृथ्वी के अंतिम छोर तक खदेड़ देंगे। भारत की आत्मा को आतंकवाद कभी नहीं तोड़ सकता। इंसाफ मिले, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इस दुनिया में जो भी इंसानियत के पक्ष में है, वह हमारे साथ है। इस वक्त दुनिया में जो हमारे साथ खड़ा है, हम उनके शुक्रगुजार हैं।’
मोदी ने कहा कि ‘यह हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं हुआ है, देश के दुश्मनों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। सजा मिलकर रहेगी। अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं की कमर तोड़कर रहेगी।’
तो अब उस अंतिम समर का समय है, जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय हो सकता था पर नहीं हो पाया था। प्रधानमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने उनकी कायराना हरकत के बाद एयर स्ट्राइक कर पाक को सबक सिखाया था। पर पाक मिट्टी में मिलने तक शांत नहीं होगा, यह साबित हो चुका है। और उम्मीद है कि मोदी अब पाक को मिट्टी में मिलाकर भारत की 140 करोड़ आबादी को सबसे बड़ा उपहार देने वाले हैं। पूरा भारत एकजुट है और ‘बैसरन’ अब पाक को ‘निर्णायक रण’ में लेकर जा रहा है।
तो अब पूरा देश आक्रोशित है। पाकिस्तान ने पहली बार ऐसी कायराना हरकत नहीं की है। बल्कि पाकिस्तान की नियति में यही शुमार है कि आतंक की घिनौनी हरकतों से भारत की आत्मा को कचोटा जाए। और चाहे संसद पर हमला हो या कारगिल युद्ध हो या फिर समय-समय पर भारत में आतंकी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो, पाकिस्तान पोषित आतंकी चेहरे घिनौना खेल खेलते रहे हैं। इक्कीसवीं सदी के पहले साल वर्ष 2001 में संसद भवन पर हमला हुआ था। यह एक आतंकवादी हमला था, जो भारत के दिल्ली में संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को हुआ था। संसद भवन पर हमला करने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन थे। इस हमले में कुल 14 लोगों की जानें गई थी। उसके बाद मैंने अपने मन के भावों को शब्दों में पिरोया था। उसके बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तब भी पाक की नापाक हरकतों के खिलाफ मैंने अपने भावों को अभिव्यक्ति दी थी। यह दोनों कविताएं आज भी मौजूं हैं। और दोनों ही कविताओं में पाकिस्तान को सबक सिखाने का आह्वान भी हैं। दोनों कविताएं हमारे काव्य संग्रह ‘जीवन राग’ का हिस्सा हैं।
पहली कविता …
‘तुम पाठ जो ये दोहराओगे’…
संसद पर नहीं किया है उनने,
लोकतंत्र पर किया प्रहार
एक पड़ोसी की सारी सीमाएं,
तोड़ चुके हैं वो इस बार।
कारगिल युद्ध, विमान अपहरण,
उनका दुस्साहस दिखलाते हैं.
पीठ में छुरा भौंककर वे,
दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं।
कभी परमाणु युद्ध की धमकी है,
कभी आतंकवादी का है परिवेश
निहत्थों पर वार करें हर रोज,
देते हैं शांति का उपदेश।
हम मौन बने कब तक यूं ही,
देखेंगे ये दरिंदगी का खेल,
क्या भूल गए पहले भी वे,
भेज चुके हैं लाशों भरी रेल।
अच्छी नीयत लेकर लाहौर गए,
कायर बन घुसे कारगिल वे
लातों के भूत जो होते हैं,
बातों से नहीं मानते वे।
विमान अपहरण करवाकर के,
जो हत्यारों को छुड़वाते हैं
क्या होंगे अच्छे पड़ोसी वे,
अच्छे दुश्मन भी नहीं कहलाते हैं।
आतिथ्य नियमों को भी जिसने,
हमारे ही घर आकर तोड़ा है
नीति व नियत है गीदड़ की,
और शेरों का चौंगा ओड़ा है।
अब जब संसद तक पहुंचे वे,
हम भी पहुंचें अधिकृत कश्मीर
उनका तरीका गीदड़ का था,
हम बता दें कैसे पहुंचते हैं वीर।
ये अस्त्र-शस्त्र सब मूक रखे,
अपनी किस्मत पर रोएंगे
जब समय पर वार न कर पाए हम,
अपना जमीर ही खोएंगे।
ओ सत्ता के अटल पुजारी,
अब तुम निर्णय अटल ले लो
जितनी जानी हैं जानें जाएं,
पर इस देश को सही डगर दे दो।
अब तक युद्धों में जो शहीद हुए,
उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर दो
उनकी विधवाओं-बच्चों की खातिर,
इस देश को अंतिम समर दे दो।
तुम आज अटल निर्णय लेकर,
कल अमर पुत्र बन जाओगे
हम सबमें साहस और सत्य की,
जो यह ज्वाला भर जाओगे।
नहीं करेंगे दुस्साहस फिर वो,
सदियों क्या युगों-युगों तक भी,
इस देश में इसकी संस्कृति का,
तुम पाठ जो ये दोहराओगे।
तुम पाठ जो ये दोहराओगे।।
दूसरी कविता
‘न पाक बचेगा न नापाक हरकतें करने वाले…’
हर नकली चेहरा एक दिन बेनकाब होता है दोस्तो,
नाम रखने से पाक नहीं होता है किसी का दामन
पड़ोसी के नाते उनके लिए भी मांगी थीं बहुत मन्नतें हमने
गीदड़ों के वेश में करते रहे वो कायराना हरकत
हमारा सुकून छीनने को पैदा किए थे जो पिल्ले उनने
आज उनका ही जीना हराम कर रहे हैं वो ही कुत्ते
कभी लाहौर तो कभी पेशावर दहलता है उनकी करतूतों से
कभी मरते हैं मासूम तो कभी जाती हैं जानें सजदा करते
जिया उल हक, परवेज मुशर्रफ या हो नवाज शरीफ
कांटे बोओगे तो कांटे ही आएंगे हिस्से में तुम्हारे
कल तक खून बहाने के नाम पर देते थे तुम इनाम जिन्हें
आज उनकी प्यास नहीं बुझ पा रही हैं खून से तुम्हारे
लादेन को तुम्हारी छाती फाड़कर किया था दफन ओबामा ने
भनक नहीं लग पाएगी और दाउद का भी होगा हाल वही
जिनकी रहमत पर भरोसा कर तुम पाल रहे हो अब भी गुरूर
एक दिन खुद के हाल पे रोने लायक न बचेंगे वो सभी
सदी बीसवीं तुम्हारी थी, फैलाई नफरत और हिंसा तुमने
सदी इक्कीसवीं हमारी है, चुकता कर देंगे सारे पुराने हिसाब
अटल ने अमन के रिश्तों की खातिर किया था सफर सरहद पार
शेर का स्वांग रचने वाले गीदड़, मोदी कर देंगे तुम्हें बेनकाब
अब भी है वक्त सुधर जाओ छोड़ दो तुम दरिंदगी का दामन
बंद कर दो सरहद पार शैतानों को भेजने की कायराना हरकतें
सुबह के भूले सही रा
स्ते पर आने को हैं शाम के थोड़े से पल
वरना न पाक बचेगा और न बचेंगे नापाक हरकतें करने वाले।