Why Did Chief Justice Get Angry : खुद को क्या भगवान समझते हैं कलेक्टर और कमिश्नर?
Gandhinagar : एक मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस राज्य सरकार पर जमकर बरसी। उन्होंने यहां तक कहा कि राज्य के डीएम (कलेक्टर) और पुलिस कमिश्नर आखिर खुद को क्या भगवान समझते हैं? वे किसी राजा-महाराजा की तरह बर्ताव करते हैं? हाईकोर्ट एक घटना की खबर पर स्वत: संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था। इस घटना में ट्रैफिक हवलदारों ने अहमदाबाद शहर में देर रात यात्रा कर रहे एक जोड़े से कथित तौर पर पैसे वसूले थे।
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध मायी की डिवीजन बेंच ने स्टेट पुलिस कंप्लेंट्स अथॉरिटी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में नाकाम रहने पर राज्य सरकार की तीखी आलोचना की। हाईकोर्ट ने कहा कि आम जनता सीधे पुलिस स्टेशन या डीएम (कलेक्टर) ऑफिस में अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। लेकिन, कलेक्टर और कमिश्नर कई बार भगवान या किसी राजा की तरह बर्ताव करते हैं।
क्यों नाराज हुईं चीफ जस्टिस?
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई आपके ऑफिस के बाहर नहीं खड़ा हो सकता है! क्या आप चाहते हैं कि आम जनता आपके ऑफिस के बाहर लाइन लगाकर खड़ी रहे? उन्हें ऑफिस में आने के लिए कौन इजाजत देगा? उन्होंने राज्य सरकार पर बरसते हुए कहा कि आपके कलेक्टर और कमिश्नर तो खुद को भगवान मानते हैं। उनका व्यवहार भगवान या राजा की तरह होता हैं।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि राज्य सरकार ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत रिसीव करने के लिए अथॉरिटी का गठन तो कर दिया, लेकिन इस बारे में कोई जागरूकता नहीं फैलाई गई। हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ अथॉरिटी बना देना काफी नहीं, जब तक कि आम जनता को यह न बताया जाए कि आखिर जाना कहां है, दफ्तर कहां है और शिकायत किससे करना है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरी तरह मानें
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह पालन करने को कहा। हॉर्ट ने कहा कि आपको जनता को बताना होगा कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत के लिए कहां जाना है, कैसे जाना है और किससे मिलना है। तभी इस कवायद का कोई मतलब निकलेगा।