Why Did Jagdeep Dhankhar Step Down : जगदीप धनखड़ खुद नहीं हटते तो हटाने की तैयारी थी, चेतावनी मिलते ही इस्तीफा दिया!

सरकार की तैयारी थी जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाअभियोग के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की!

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Why Did Jagdeep Dhankhar Step Down : जगदीप धनखड़ खुद नहीं हटते तो हटाने की तैयारी थी, चेतावनी मिलते ही इस्तीफा दिया!

 

New Delhi : इस्तीफे के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने घर खाली करने की तैयारी शुरू कर दी। उनका सचिवालय बंद हो गया और उनके निजी सचिव को उनके मूल कैडर में भेज दिया गया। सियासी गलियारों में भी उनके इस्तीफे का मुद्दा अब चर्चा से बाहर होने लगा। सरकार भी इस मुद्दे पर खास प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष भी बिहार में मतदाताओं के नाम पुनरीक्षण के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन और सदन में नारेबाजी के बीच इस्तीफे के मुद्दे पर चर्चा छोड़ता नजर आ रहा है।

इस्तीफे के बाद से धनखड़ मीडिया के सामने नहीं आए। लेकिन, सरकार के सूत्रों के जरिए जो खबरें रिसकर बाहर आई, उनके मुताबिक धनखड़ खुद नहीं हटते तो उनको हटाने की स्क्रिप्ट लिख ली गई थी। माना जा रहा है कि उनका अचानक इस्तीफा इस बात के संकेत देता है कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था, क्योंकि सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए गए विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकारने के अगले दिन अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी।

यदि ऐसा होता तो धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आसानी से पास हो जाता। क्योंकि, एनडीए के पास जरूरी आंकड़े हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा सचिवालय के एक पदाधिकारी के जरिए सोमवार को धनखड़ को संदेश पहुंचा दिया था कि ‘तुरंत पद छोड़ दें या अगले दिन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें।’ इसे चुनौती देने के बजाए जगदीप धनखड़ राष्ट्रपति भवन पहुंचे और स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा सौंप दिया।

बताया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष का पत्र स्वीकार करने के बाद धनखड़ से सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारी संपर्क नहीं कर पा रहे थे। इसके चलते उन्होंने सोमवार शाम हुई बिजनेस एडवाइजरी मीटिंग से दूरी बना ली।

विपक्ष के मूड से समझा जा रहा है कि ‘इंडिया’ गठबंधन उपराष्ट्रपति के चुनाव में साझा उम्मीदवार उतार सकता है। हालांकि, सभी घटक दलों से विचार-विमर्श के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। विपक्षी गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर यह भावना है कि इसमें उम्मीदवार उतारा जाए, चाहे नतीजे कुछ भी हों क्योंकि ऐसा करने से राजनीतिक संदेश जाएगा।’