क्यों होता है वाइरल बुख़ार और क्या है इसके लक्षण और निवारण

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क्यों होता है वाइरल बुख़ार और क्या है इसके लक्षण और निवारण

कीर्ति कापसे की विशेष रिपोर्ट

मौसम तो खराब है ही ऐसे में हर दूसरे घर में कोई न कोई बीमार है।बारिश का अंतिम समय और मौसम परिवर्तन में अक्सर बुखार एक तरह का संकेत देता है कि आपका शरीर किसी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण से लड़ रहा है। एक वायरल बुखार वह बुखार है जो किसी मुख्य वायरल बीमारी के कारण होता है। वायरल संक्रमण लोगों में सामान्य सर्दी से लेकर फ्लू तक को प्रभावित कर सकता है।

मौसम के बदलते ही अधिकतर लोग वायरल फीवर या मौसमी बुखार के शिकार हो जाते हैं और फिर कई दिनों तक इसकी चपेट में रहते हैं। कई बार देखा गया है कि कुछ लोग जहाँ वायरल फीवर से ठीक होने में 4-5 दिन का वक़्त लेते हैं वहीँ कुछ लोग 10-12 दिन तक इसकी चपेट में रहते हैं।

वायरस का शरीर पर हमला ज्यादातर नाक से ही होता है। इसके बाद ये गले में पहुंचते हैं और अपर रिस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं। शरीर में पहुंचकर ये मल्टीप्लाई होकर आपको बीमार कर देते हैं। जैसे ही आपको छींके आएं, सुस्ती लगे या गले में जरा भी खराश लगे तो सबसे पहले आप गरम पानी में नमक डालकर गरारे करें। आपके पास बीटाडीन गार्गल है तो उससे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद भाप लें।

*आखिर ये वायरल का बुखार कितने दिन में ठीक हो जाना चाहिये*

बुखार की तीव्रता मरीज के उम्र पर निर्भर करती है और अगर वायरल फीवर किसी फ्लू वायरस की वजह से हुआ है तो इसे ठीक होने में कम से कम 5 दिनों का समय लगता है। अगर दवा लेने के बावजूद भी तीन दिनों के अन्दर बुखार कम नहीं हो रहा है तो आप तुरंत किसी डॉक्टर के पास जायें। किसी बेक्टीरिया के कारण होने वाले वायरल फीवर में भी बुखार तीन दिनों के बाद हल्का पड़ जाता है। वैसे देखा जाए तो वायरल बुखार की शुरुवात में ही उसकी सही वजह की जांच कर पाना बहुत मुश्किल होता है।

वायरल फीवर के शुरुआती लक्षण

डॉक्टर्स शुरुवात में गले की जाँच, पेशाब में जलन को चेक करके ये पता लगाने की कोशिश करते हैं कि आपको वायरल किस वजह से हुआ है। आमतौर पर अगर मरीज को बहुत तेज बुखार रहता है तो डॉक्टर उनका सबसे पहले ब्लड टेस्ट करवाते हैं, क्योंकि ब्लड टेस्ट से सही कारण आसानी से पता चल जाता है। अगर बुखार के साथ साथ आपको सिरदर्द, खांसी और गले में इन्फेक्शन भी हो तो इसे अनदेखा न करें बल्कि इसकी जांच करवाएं।

बच्चों के मामले में अगर बुखार 48 घंटे बीत जाने के बाद भी कम नहीं हो रहा है तो यह चिंता का विषय है और ऐसे में ज़रूरी है कि आप तुरंत किसी बाल रोग विशेषज्ञ से बच्चे की जांच करवायें। 6 साल से कम उम्र के बच्चों को अगर तेज बुखार है तो इसमें कभी भी देरी न करें, क्योंकि उनकी इम्युनिटी पॉवर काफी कमजोर होती है। डॉक्टर का कहना है कि छोटे बच्चों के मामलें में कभी भी वायरल बुखार होने पर घरेलू उपचार न अपनायें, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

*तुरंत न लें बुखार की दवा*

यूएस के डॉक्टर एरिक बर्ग के मुताबिक, अगर आपको बुखार चढ़ गया है तो इसका मतलब आपका इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ रहा है। जब बॉडी गरम होती है तो वायरस डिस्ट्रॉय होते हैं। यह शरीर का तरीका होता है कि वह तापमान बढ़ाकर इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकता है। इसलिए तुरंत ओवर द काउंटर यानी बुखार उतरने की दवा न खाएं। 99 फॉरेनहाइट तक तापमान बढ़ना सामान्य तौर पर बुखार नहीं माना जाता। 100 से ऊपर तापमान बुखार में गिना जाता है। अगर आपका टेम्परेचर 100 के ऊपर जा रहा है तो डॉक्टर की सलाह पर फीवर उतरने की दवा लें।

वायरल बुखार एक वायु जनित बीमारी है उसके अलावा, ये दूषित पानी के फैलाव से भी हो सकती है, जिसको पानी से होनेवाला संक्रमण कहा जाता है. वायरल बुखार बैक्टीरियल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, जिसकी वजह से दोनों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।

वायरल बुख़ार को रोकने के लिए शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करना, उसके अलावा, अपनी रोजाना की डाइट में पौष्टिक पोषक तत्वों को शामिल करना। खाने में लें ये सारी चीजें जैसे

जिंक, विटामिन डी और विटामिन सी वायरस को वीक करता है। आप मल्टीविटामिन ले सकते हैं। बेहतर होगा इनके नैचुरल सोर्सेज लें। आप धूप में बैठ सकते हैं, ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं और विटामिन सी वाले फल खा सकते हैं। गले में ज्यादा खराश है तो खट्टे फल, दही और सोडे वाले ड्रिंक न लें। गरम पानी और शहद लें। पानी खूब पिएं। खाना हल्का लें और रेस्ट करें। ग्रीन टी भी पी सकते हैं। मुलेठी को नैचुरल ऐंटी वायरल माना जाता है। आप चाय, गरम पानी या ग्रीन टी में डालकर मुलेठी ले सकते हैं। खाने में सूप, गरम ड्रिंक और प्रोटीन ज्यादा लें। सोते वक्त हल्दी, काली मिर्च डालकर दूध लें। और सोने से पहले गरारा करना न भूलें।