Why Not this ‘Ladli’: आखिर क्यों ये बहना ‘लाड़ली’ नहीं बन पा रही! 

समग्र आईडी है, लेकिन पारंपरिक व्यवसाय के चलते नहीं है पति का नाम!

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Why Not this ‘Ladli’: आखिर क्यों ये बहना ‘लाड़ली’ नहीं बन पा रही! 

Indore : सरकार की ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ इन दिनों खासी चर्चा में है। इसका लाभ कितनी लाड़ली बहनों को मिलता है, ये अभी देखना होगा! लेकिन, इस योजना में पात्र महिलाओं का पंजीयन का काम तेजी से चल रहा है। सरकार भी इसलिए उत्साहित है कि उसे इस योजना का राजनीतिक लाभ मिलेगा। लेकिन, प्रदेश की सभी जरूरतमंद लाड़ली बहनों को इसका लाभ मिल सकेगा, इस पर संशय है।

प्रदेश के 10-11 जिले ऐसे हैं, जिनकी हजारों बहना ‘लाड़ली’ नहीं बन सकेंगी, क्योंकि उन्हें इसकी पात्रता नहीं मिल पा रही। बांछड़ा, बेडि़या और सांसी समुदाय की इन महिलाओं के पास समग्र आईडी तो है, लेकिन पति का नाम नहीं। इस कारण उन्हें ‘लाड़ली बहना योजना’ की पात्रता नहीं मिल पा रही। मंदसौर-नीमच में ही ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 10 हजार है।

इन समाजों की महिलाओं ने जिला अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया भी है। अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में शासन से मार्गदर्शन मांगा है, उम्मीद है कि समाधान निकलेगा। इन जिलों में बैठकों के दौरान प्रभारी मंत्री और क्षेत्रीय विधायकों के सामने भी इन वर्गों की महिलाओं ने यह मुद्दा उठाया है। सांसी समाज की महिलाओं के सामने नातरा परंपरा के चलते यही समस्या बनी है।

मंदसौर,नीमच, रतलाम, राजगढ़, भिंड, श्योपुर, सागर और छतरपुर के अलावा कुछ जिले ऐसे हैं जहां बांछड़ा, बेडि़या और सांसी समाज की बड़ी संख्या में महिलाएं रहती हैं। इनके पास पारंपरिक व्यवसाय (देह व्यापार) के चलते पति का नाम नहीं है। समग्र आईडी में पिता का नाम है, विवाहित नहीं हैं और न ही विधवा अथवा परित्यक्ता हैं।

यही कारण है कि पोर्टल पर उनका फार्म अपलोड नहीं हो पा रहा। बाकी अन्य सभी पात्रताएं स्थानीय निवासी, 23-60 की उम्र, 5 एकड़ से कम जमीन और ढाई लाख रुपए से कम आमदनी के दायरे में ये महिलाएं आ रही हैं। मंदसौर जिले में बांछड़ा समाज उत्थान और महिलाओं की शिक्षा-पुनर्वास के कार्य में लगे समाजसेवी चैन सिंह का कहना है कि इन महिलाओं का लाड़ली बहना योजना में पंजीयन कराने के लिए उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है।

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बेड़िया समाज की महिलाएं भी वंचित 

बुंदेलखंड में सागर-छतरपुर जिले सहित आसपास के क्षेत्रों में बेड़िया समाज की महिलाओं की संख्या भी हजारों में है। राजगढ़ और श्योपुर जिले की सांसी समाज में नातरा परंपरा के चलते यही स्थिति बनी है। वहां भी महिलाओं के पास पति का नाम नहीं होने से लाड़ली बहना योजना में उनका पंजीयन नहीं हो पा रहा। जिले की बैठकों में कई बार यह मुद्दा उठा, लेकिन हल नहीं निकला।

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बांछड़ा समाज की महिलाओं को लाभ मिले

विमुक्ति युवा संगठन एवं एकीकृत बांछड़ा युवा संगठन, मंदसौर के अध्यक्ष मंगल सिंह का कहना है कि बांछड़ा समाज की महिलाएं परेशान हैं। वे इस संबंध में अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं। मंदसौर-नीमच में ही ऐसी महिलाओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। उनके फार्म पोर्टल स्वीकार नहीं कर रहा। उनके पास समग्र आईडी है, पंचायत का रिकॉर्ड भी है। शासन को इनके लिए कुछ रास्ता निकालना चाहिए।

 

शासन से मार्गदर्शन मांगा गया  

मंदसौर जिला पंचायत के सीईओ कुमार सत्यम मुताबिक, मंदसौर जिले में बांछड़ा समाज की महिलाओं के प्रकरण पोर्टल पर अपलोड नहीं होने की शिकायतें आई है। वैवाहिक स्टेटस पॉजिटिव न होने से ऐसा हुआ, इनके लिए शासन से मार्गदर्शन भी मांगा गया है, उम्मीद है कुछ न कुछ समाधान निकल आएगा।