Why praise Mafia? क्या हमें अब माफियाओं की “सक्सेस स्टोरी” पढ़नी पड़ेगी?

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Why praise Mafia? क्या हमें अब माफियाओं की “सक्सेस स्टोरी” पढ़नी पड़ेगी?

रंजन श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट

साधुवाद उस जर्नलिस्ट को जिसने अन्य कई कथित पत्रकारों के प्रशस्ति गायन शैली का अनुसरण करने के बजाय मुख्यमंत्री द्वारा विधान सभा के अंदर प्रशंसित नाविक की कुंडली खोली तथा पाया कि पिंटू महरा तो पुलिस थाने के रिकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर है और उसके ख़िलाफ़ समय समय पर हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी सहित 20 से ज़्यादा आपराधिक मामले पुलिस थानों में दर्ज थे। उसके ख़िलाफ़ पुलिस गुंडा और गैंगस्टर एक्ट में पहले कार्रवाई भी कर चुकी थी। परिवार के कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ भी अपराध के मामले दर्ज थे।

यह एक विचित्र मामला है। क्योंकि कुछ समय पहले विधान सभा में मुख्यमंत्री ने एक माफिया का नाम लेकर उसको मिट्टी में मिलाने की बात कही थी तथा इस तरह माफियाओं के ख़िलाफ़ एक सख़्त संदेश देने की कोशिश की थी। वो माफिया मिट्टी में वाक़ई मिल गया पर उसी विधान सभा में मुख्यमंत्री द्वारा एक दूसरे माफिया के द्वारा करोड़ों कमाए जाने की प्रशंसा की जा रही थी। अच्छा ये हुआ कि मुख्यमंत्री ने उक्त माफिया का नाम नहीं लिया और साधुवाद उस पत्रकार या पत्रकारों को जिन्होंने माफिया की कुंडली खोलकर सच लिखने का साहस किया जिससे समय रहते हिस्ट्रीशीट सामने आ गई, नहीं तो अभी भी महाकुंभ की मेगा इकोनॉमिक सक्सेस स्टोरी के नाम पर मीडिया में नाविक की प्रशंसा हो रही होती और सरकार की और भी किरकिरी होती। हो सकता था कि ये कथित सक्सेस स्टोरी विश्व मीडिया को भी दी जाती और फिर सरकार एवं मुख्यमंत्री की फजीहत विश्व स्तर पर होती।

गड़बड़ी किस स्तर पर हुई संभवतः सरकार यह पता कर चुकी होगी यानी वे कौन से अधिकारी हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री को सभी तथ्यों से अवगत नहीं कराया। यह संभव नहीं है कि मुख्यमंत्री को उक्त नाविक का बैकग्राउंड पता होने पर उसके कथित सक्सेस स्टोरी के बारे में विधान सभा के अंदर या बाहर वे इस तरह से कुछ भी बोलते। कोई भी मुख्यमंत्री क्यों चाहेगा कि गलती से भी उनसे किसी माफिया या संगीन जुर्म में शामिल किसी आरोपी की प्रशंसा हो, और वो भी विधान सभा के अंदर? इसलिए ऐसा लगता है कि प्रयागराज के किसी अधिकारी ने सरकार द्वारा आयोजित महाकुंभ को आर्थिक सफलता का महागाथा बनाने के लिए बिना तथ्यों की जांच किए मुख्यमंत्री कार्यालय को ऐसी सक्सेस स्टोरी सौंप दी जिसकी जांच त्वरित प्रचार की होड़ में मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी नहीं की और इससे मुख्यमंत्री और सरकार दोनों की फजीहत हुई।
प्रयागराज के निवासियों के लिए संभवतः यह तथ्य भी चौंकाने वाला होगा कि किसी नाविक परिवार में 130 नावें होंगी। किसी परिवार में 2-4 या 5 नावें होंगी यह तो सभी जानते हैं पर प्रयागराज शहर में जहां धार्मिक पर्यटन वाराणसी की तुलना में बहुत कम है, किसी परिवार के पास 130 नावों की फ्लीट है यह बात किसी भी अधिकारी के लिए चौंकाने वाली होनी चाहिए थी और उसे उस नाविक या नाविक परिवार की कुंडली खंगालनी चाहिए थी। पर सीएम के गुड बुक में अपना नंबर बढ़वाने के लिए लगता है किसी अधिकारी ने कुछ ज़्यादा ही जल्दबाजी दिखा दी। 30 करोड़ रुपये कमाना यह भी साबित करता है कि श्रद्धालुओं की शिकायत वाजिब थी कि नाविक मनमाना पैसा वसूल रहे थे, नावों पर जरूरत से ज़्यादा लोगों को ले जा रहे थे, प्रशासन द्वारा निर्धारित किराए का सरेआम उल्लंघन हो रहा था और शासन और प्रशासन मौन था।
सोशल मीडिया पर प्रतिदिन ऐसी शिकायतें दिखती थीं पर लगता नहीं कि शासन या प्रशासन ने इन शिकायतों पर कोई गंभीर कार्रवाई की। अगर पिंटू महरा के 130 नावों को आधार बनाया जाए तो प्रशासन के दिशा निर्देशों के तहत पूरे महाकुंभ के दौरान कमाई 3-4 करोड़ से ज़्यादा नहीं हो सकती थी । अगर किराया दूना वसूला गया हो तो 7-8 करोड़ रुपया कमाई होती। यह भी तथ्य है कि कुछ दिन नावें नहीं चलीं । फिर ये 30 करोड़ की कमाई का गणित क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि किराया 4-5 गुना ज़्यादा वसूला गया और नावों में जरूरत से ज़्यादा ही नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा लोग भरकर ले जाये गए? या कहीं ऐसा तो नहीं कि कहीं और की कमाई कहीं और दिखाई जा रही हो? क्या इस महा कमाई पर जीएसटी दिया गया? इन सब तथ्यों की जाँच तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और जीएसटी डिपार्टमेंट ही कर सकता है।

खैर जो भी हो इस कथित सक्सेस स्टोरी से श्रद्धालुओं की तकलीफें एक बार फिर सामने आ गईं जिनकी सुनने वाला संभवतः कोई था नहीं। महाकुंभ में अत्यधिक भीड़ ने बहुतों को कमाने का अवसर दिया। अगर कोई ई रिक्शा वाला, लोडिंग ऑटो वाला, फूल माला, प्रसाद बेचने वाले या अन्य छोटे मोटे रोजगारों में लगे लोगों ने अच्छे पैसे कमाए तो किसी को बुरा नहीं लगा क्योंकि आर्थिक तौर पर नीचे के तबके की आर्थिक उन्नति हो रही थी पर जिस तरीके से एयरलाइंस और ट्रांसपोर्टर्स ने प्रयागराज के लिए कई गुना किराया बढ़ा दिया, बड़े होटलों में भी मनमाना पैसा वसूला गया, ऑर्गनाइज्ड गैंग्स ने होटल में ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर स्कैम किया, बताता है कि शासन और प्रशासन जनसामान्य के आर्थिक हितों की रक्षा करने में नाकाम रहा।

शासन एवं प्रशासन को किसी भी माफिया को ऐसे अवसरों पर श्रद्धालुओं से कमाई की खुली छूट देने के बजाय उनके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करनी चाहिए जिससे एक नज़ीर बने।