Why Shivpal Yadav failed to understand writing on the wall? शिवपाल सिंह यादव दीवार पर लिखा क्यों नहीं पढ पा रहे हैं?

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अजय कुमार चतुर्वेदी की खास रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव के राजनीतिक सितारे पिछले चार सालों से गर्दिश में चल रहे हैं, लेकिन बुजुर्ग नेता भतीजे द्वारा दीवार पर लिखा गया संदेश नहीं पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

चार साल पहले हुए पारिवारिक खींच तान के बाद समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव का कब्जा हो गया। उसके बाद से मुलायम सिंह यादव संरक्षक बन कर पीछे चले गए हैं। वे बहुत कम राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। लेकिन शिवपाल अभी डटे हुए हैं। भतीजा मुख्यमंत्री द्वारा मंत्री पद से मुक्त किए जाने के बाद से शिवपाल लगातार बडे भाई मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लेते रहते हैं।

साल भर पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई। कहा उत्तर प्रदेश में सभी विधानसभा सीटों पर वे प्रत्याशी खड़े करेंगे। साथ में अखिलेश से समझौता होने पर साथ साथ चुनाव लड़ने की बात भी करते रहे। समझौता हूआ। अपनी पार्टी का सपा में विलय कर लिया। अखिलेश ने मात्र एक टिकट दिया जिससे खुद शिवपाल चुनाव लडे और जीत गये। चुनाव प्रचार के दौरान शिवपाल ने कुछ जगहों पर केवल एक टिकट मिलने का दर्द भी

साझा किया।

चुनाव बाद विधायकों की बैठक में शिवपाल को नहीं बुलाया गया। यह बात खुद उन्होंने कही। इस बैठक में अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गये। वरिष्ट होते हुए भी उनके हाथ कुछ नहीं लगाI

इतना सब होने के बाद भी शिवपाल यादव राजनीति में हाथ पांव मार रहे हैं लेकिन दीवार पर लिखे इशारे नही समझ पा रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के सहयोगी और समकक्ष शिवपाल सिंह को शायद अभी संरक्षक की भूमिका मंजूर नहीं है।