क्षिप्रा का शुद्धिकरण तेजी से कराएंगे,सीएम शिवराज से उज्जैन के साधु समाज के प्रतिनिधि मंडल ने की भेंट

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अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट

Ujjain: उज्जैन में विगत एक सप्ताह से चल रहे साधु संतों के धरने को लेकर साधु संतों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मिला।

दल के सदस्य महंत श्री काशीदास जी (हनुमंत आश्रम) ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री से गोवर्धन सागर व शिप्रा शुद्धिकरण के गंभीर मुद्दे पर चर्चा की गई।

मुख्यमंत्री ने संतों की बात को ध्यान से सुना और उन्होंने कहा है कि पवित्र नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण से बढ़कर मेरे लिए पुण्य का कोई कार्य नहीं है। कान्ह नदी का प्रदूषित जल क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए कार्य-योजना बनाई जाएगी। वैज्ञानिक परीक्षण कराकर क्षिप्रा का शुद्धिकरण तेजी से कराएंगे। उन्होंने कहा कि संतों के सुझावों एवं भावनाओं का पूरा आदर करते हुए सर्वेक्षण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शॉल-श्रीफल भेंटकर और पुष्पाहार पहनाकर साधु- संतों का सम्मान किया। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि साधु-संतो की भावनाओं का पूरी तरह आदर करते हुए हम सब मिलकर क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद विकल्पों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उज्जैन में सप्तसागर के संरक्षण के भी प्रयास किए जाएंगे। सप्तसागर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।                                              IMG 20220130 WA0057

मुख्यमंत्री श्री चौहान को महंत डॉ. रामेश्वर दास ने बताया कि इंदौर से छोड़े जाने वाला प्रदूषित जल कान्ह नदी के माध्यम से क्षिप्रा में मिलता है। इससे क्षिप्रा का जल प्रदूषित होता है। उन्होंने कहा कि क्षिप्रा नदी मोक्षदायिनी है। क्षिप्रा को प्रदूषण से बचाने के लिए उन्होंने त्रिवेणी से कालियादेह-महल तक 13 किलोमीटर लंबी खुली नहर बनाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि उज्जैन के 147 स्थानों के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराई गई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान को धन्यवाद दिया।

प्रातिनिधि मंडल में महंत डॉ. रामेश्वरदास, महंत श्री रामेश्वरगिरी, महंत श्री राघवेन्द्र दास, महंत श्री देवगिरी, महंत श्री काशीदास, महंत श्री प्रेमगिरी, महंत श्री रामचंद्रदास, महंत श्री सेवानंद गिरी, महंत श्री विशालदास, महंत श्री दिग्विजयदास, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास, श्री राजेश त्रिवेदी, श्री मुकेश जोशी एवं श्री विवेक जोशी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।