क्या जल्द हो पाएगा सब्जी मंडी दुकानों के महाभ्रष्टाचार का खुलासा,निष्क्रिय प्राधिकार समिति की बैठक बुलाने नपा ने लिखा पत्र

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*क्या जल्द हो पाएगा सब्जी मंडी दुकानों के महाभ्रष्टाचार का खुलासा,निष्क्रिय प्राधिकार समिति की बैठक बुलाने नपा ने लिखा पत्र*

*जिला ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की खास रिपोर्ट*

इटारसी। लगभग छह माह पूर्व विधायक डा. सीतासरन शर्मा की पहल पर कलेक्टर नीरज सिंह ने शहर की सब्जी मंडी में नवनिर्मित बहुचर्चित दुकानों की गंभीर शिकायतों की निष्पक्ष जांच के लिए एक प्राधिकार समिति का गठन किया था। समिति का चैयरमैन एडीएम को बनाया गया था और इसमें सदस्य के रूप में एसडीएम, सीएमओ इटारसी व नर्मदापुरम के साथ ही एक अन्य अधिकारी को शामिल किया गया था। मामला पूर्व सभापति पार्षद यज्ञदत्त गौर की शिकायत से जुड़ा हुआ बताया गया था। लेकिन लगभग छह माह पूर्व गठित हुई प्राधिकार समिति जो अब तक लगभग निष्क्रिय है, यह भी तय नहीं कर सकी है कि सब्जी मंडी की दुकानों के मामले में किस तरह,किसने,कितना बड़ा, भ्रष्टाचार किया है? बनाई गई दुकानें वैध रूप से प्रदान की गई हैं या अवैध रूप से ? और तो और अभी तक समिति अपनी एक भी बैठक तक नहीं कर सकी है। अगर समिति की बैठक हो जाए तो निश्चित रूप से पूर्व पार्षद द्वारा की गई लंबी चौड़ी शिकायत को पढ़कर,समझकर व नपा द्वारा एकत्रित की गई जानकारी,दस्ताबेजी प्रमाणों को देखकर ही करोड़ों के एक बड़े शर्मनाक भ्रष्टाचार की सच्चाई प्रथम दृष्टया ही सामने आ सकती है। आश्चर्य की बात यह भी है कि सूत्रों के अनुसार तो अब तक जो भी जांच की गई है,वह सिर्फ नपा द्वारा ही की गई है। उच्च अधिकारियों व प्राधिकार समिति के अन्य सदस्यों ने क्या कार्यवाही की किसी को कुछ पता नहीं है। सूत्रों के अनुसार नपा ने सब्जी मण्डी के कई दुकानदारों से मुलाकात कर महत्वपूर्ण जानकारी एवं दस्तावेज प्राप्त कर लिए हैं।

यह जनचर्चा भी है कि अघोषित रूप से तो दुकानों का भौतिक सत्यापन तक हो चुका है और नपा अपनी जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द प्राधिकार समिति को सौंपना भी चाहती है पर प्राधिकार कमेटी की एक भी बैठक 6 माह बाद भी अब तक नहीं हुई है। यहां तक कि अब जाकर स्वयं नपा सी एम ओ को अपर कलेक्टर को बैठक आहूत करने के लिए एक पत्र भेजना पड़ा है,जिसकी जानकारी सी एम हेल्प लाइन के कंप्लेंट रिमार्क में दी गई है।यदि यह बैठक हो जाए व प्राधिकार समिति अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप देवे तो फिर निष्पक्ष कार्यवाही होने पर निश्चित रूप से शहर की राजनीति में भी एक बड़े भूचाल के आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ज्ञात रहे कि इटारसी के कर्मा कहलाने वाले लोकप्रिय विधायक डा. सीतासरन शर्मा इस गंभीर अनियमितता की शिकायतों के बाद से ही लगातार इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने को लेकर काफी सक्रिय रहे हैं । उनके अनुरोध के कारण ही कलेक्टर ने प्राधिकार समिति का गठन भी किया। इसके बाद भी डा. शर्मा विगत कुछ समय पूर्व कलेक्टर से मिलकर प्राधिकार समिति की बैठक जल्द करने की मांग भी कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार उनकी इस सक्रियता के कारण ही नई परिषद के गठन के काफी पहले ही नपा में उनके प्रतिनिधि जगदीश मालवीय ने सी एम ओ के साथ मिलकर इस मामले की निष्पक्ष जांच प्रारंभ करा दी थी। नई परिषद के गठन के बाद निर्वाचित अध्यक्ष पंकज चौरे ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए हर संभव साक्ष्य जुटाने के लिए संबंधित नपा अधिकारियों को सक्रिय रखा। सूत्रों के अनुसार इसका ही परिणाम है कि अब यह जांच नपा के स्तर पर तो प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब नपा प्रशासन जल्द से जल्द इसे प्राधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करना चाह रहा है।

इसी अनुक्रम में ही सी एम ओ ने ए डी एम को पत्र लिखकर बैठक करने का अनुरोध किया है। ज्ञात रहे कि अपनी जुझारू व बेदाग छवि के लिए चर्चित शहर के पूर्व सभापति पार्षद यज्ञदत्त गौर द्वारा सब्जी मंडी की नवनिर्मित दुकानों को लेकर शासकीय दस्तावेजों में कूट रचना कर फर्जी नाम जोड़ने एवं शासन को करोड़ों रुपए की हानि पहुंचाने की लिखित शिकायत की गई थी। सूत्र बताते हैं कि नियम विरुद्ध तरीके से आवंटित एवं विक्रय की गई दुकानों का आवंटन जल्द निरस्त हो सकता है। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस मामले में एक बड़ी मछली व उसकी कुछ साथी मछलियां प्रशासन के जाल में फंस सकती हैं। पता चल सकता है कि किस व्यक्ति ने कौन सी दुकान लेने,कब,किसको, कितने लाख का नज़राना दिया। समिति के अभिन्न अंग ए डी एम मनोज सिंह ठाकुर से मीडियावाला प्रतिनिधि का तो मोबाइल संपर्क नहीं हो सका पर तीन दिन पूर्व उन्होंने एक दैनिक को यह बताया था कि उनको समिति गठित होने की जानकारी सीएमओ द्वारा दी गई है। उनके अनुसार इटारसी सब्जी मंडी की दुकानों का मामला बहुत ही काम्प्लीकेटिव है। प्रथम दृष्टया मामले में बहुत गड़बड़ी हुई है। मामले में बहुत से विभागों से जानकारी ली गई है एवं ली जा रही है। शीघ्र ही बैठक आयोजित कर प्रतिवेदन तैयार करेंगे और कलेक्टर महोदय को प्रस्तुत करेंगे। बताया जाता है कि कई दुकानों को मलाई के चक्कर में डबल शटर कर दिया गया, जिस पर जमकर विवाद भी हुआ था।

विवाद के बाद उक्त दुकानों को सिंगल कर दिया गया था। कुछ दुकानदार तो ऐसे हैं, जिन्होंने इन दुकानों को खरीदने के लिए बैंकों या बाजार से लाखों का कर्ज ले रखा है जो अभी भी पटाया जाना शेष है। अब फर्जी दुकानदारों के चक्कर में वास्तविक दुकानदारों की भी फजीहत होगी। हालांकि समिति की बैठक के बाद ही यह तय हो पाएगा कि किसका आवंटन बरकरार रहेगा, किस दुकानदार की दुकान का आवंटन निरस्त होगा और किसके खिलाफ इस गड़बड़झाले के मामले में प्रशासन प्राथमिकी दर्ज कराएगा।

सूत्र बताते हैं नगरपालिका द्वारा जब सब्जी मंडी के कच्चे बाजार को तोड़कर पक्का किया जा रहा था उसी दौरान नपा की राजनीति में एक प्रभावशाली स्थानीय नेता के नेतृत्व में कुछ जवाबदारों ने मलाई में हिस्सेदारी मिलने के लालच में ऐसे ऐसे लोगों को राशि लेकर दुकानें आवंटित कर दीं, जिनका सब्जी के व्यापार से ही कोई लेना देना नहीं था। अपनों को उपकृत करते हुए सन 1995 में जिन 108 दुकानदारों की दुकानें होना दर्ज है,110 की सूची बनाई गई, जिन्हें दुकान आवंटित करनी थीं। बावजूद इसके 136 दुकानें कैसे बन गई इस पर भी जांच समिति की तलवार लटकी हुई है। पूर्व पार्षद यज्ञदत्त गौर इस संबंध में कई अवसरों पर अलग अलग अधिकारियों के समक्ष सब्जी मंडी के व्यवस्थापन के दौरान दुकानों के अतिरिक्त निर्माण एवं आवंटन से शासन को करोड़ों रुपए की हानि पहुंचाने के आरोप लगाते रहे हैं। परंतु लापरवाह शासकीय अधिकारियों द्वारा लगातार इन शिकायती प्रकरणों को लंबित रखा गया। बावजूद इसके पूर्व पार्षद श्री गौर ने लगातार जागरूकता व सक्रियता का परिचय देते हुए जांच कमेटी का गठन तो करा दिया।

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पर अब 6 माह बाद भी नपा को छोड़ दें तो समिति की अन्य कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है। करोड़ों के इस महाभ्रष्टाचार में गड़बड़ियों के कई मजेदार लूप पोल भी स्पष्ट हो चुके हैं। एक सबसे अनोखा मामला गोपीचंद मामराज का है। नगरपालिका रिकॉर्ड के अनुसार गोपीचंद की दुकान यहां पहले से थी और उन्होंने व्यवस्थापन प्रक्रिया के बाद पक्की दुकान प्राप्त कर फिर उस दुकान को बेच दिया है। जिसका नामांतरण खरीददार के नाम पर भी कर दिया गया है। जबकि शिकायत कर्ता श्री गौर निरन्तर दावा और शिकायतें करते रहे हैं कि इटारसी में गोपीचंद मामराज नाम का ऐसा कोई व्यक्ति है ही नहीं, जिसकी सब्जी मंडी में कभी दुकान रही हो , उसने दुकान बेची हो और इस तरह यह पूरा प्रकरण बेनामी है। सी एम हेल्पलाइन 181 पर श्री गौर की शिकायत क्रमांक 14753070 के निराकरण में सी एम ओ ने गोपीचंद के 16 जून 2021 को कार्यालय में उनके और तहसीलदार के सामने आने और दस्तावेज प्रस्तुत करने का हवाला देकर शिकायत बन्द भी करा दी है। लेकिन गोपीचंद के कार्यालय में आने और उनके द्वारा प्रस्तुत जवाब मांगे जाने पर , नपा श्री गौर को उपलब्ध नहीं करा पाती है। यहां तक कि संयुक्त संचालक द्वारा सम्बंधित कागज दिए जाने का आदेश होने के बाद भी गौर को तत्संबंधी कागज नहीं मिल पा रहे हैं और वो अभी भी दावा कर रहै है कि गोपीचंद मामराज नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं । नगरपालिका अधिकारियों ने मिलीभगत कर यह बेनामी सम्पत्ति बेची है और अब झूठे निराकरण प्रस्तुत कर सी एम हेल्पलाइन को गुमराह कर शिकायतें बन्द करा रहे हैं। करोड़ों के किए गए इस खेल में पृष्ठ क्रमांक 14 पर कूटरचना कर, क्रमांक 51 पर गोपीचंद मामराज एवं 52 पर गोपाल मामराज का नाम जोड़ा गया था। ऐसे कूटरचित नामों को आधार बनाकर बाद में दुकान आवंटन कर अन्य व्यक्तियों को ,तस्वीयानामा के आधार पर,नामांतरित कर दिया गया। जिसके चलते शासन की चल अचल संपत्ति खुर्दबुर्द हुई और लाखों के राजस्व की हानि हुई। इसी प्रकार पृष्ठ कमांक 50 पर दर्ज अध्यक्ष साहू समाज की प्रविष्टि में भी कूटरचना कर दीपक जायसवाल का नाम जोड़ा गया। इसे भी तस्वीयानामा के आधार पर नामांतरित कर खुर्दबुर्द किया गया। इसी प्रकार पृष्ठ क्रमांक 39 नंबर पर मदनलाल शंकरलाल सराठे के नाम को काटकर मदनलाल मालवीय बताकर दुकान आवंटित की गई। इसी प्रकार पृष्ठ क्रमांक 42 पर सुनील कुमार पांडे को पृष्ठ क्रमांक 44 पर सुनील मालवीय बताकर दुकान आवंटित की गई। पृष्ठ क्रमांक 46 पर राजेश सुंदरलाल को कमांक 47 राजेश सुंदरलाल कर कूटरचित नाम वाले आशीष राजाराम को नामांतरित कर दी गई। ज्ञात रहे कि नगरीय विकास व आवास विभाग को की गई पूर्व सभापति पार्षद यज्ञदत्त गौर द्वारा की गई जिस शिकायत की जांच का पुनर्मूल्यांकन कर उच्च स्तर पर मान्य हेतु प्रेषित करना 23 दिसंबर को सी एम हेल्प लाइन पर बताया गया है,उसके अनुसार शिकायत कर्ता ने विभाग को लिखा था कि नगरपालिका परिषद, इटारसी द्वारा कलेक्टर महोदय को प्रेषित पत्र क्रमांक/स्था-1/नपाइ / 21 इटारसी दिनांक 06/12/21 में झूठी एवं भ्रामक जानकारी दे जांच को प्रभावित करते हुए दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

110 पुराने व्यवसायियों को दुकान देने का हवाल दिया गया है जबकि आवेदक को क्रमांक / सू का अ/न पाई/22/478 इटारसी दिनांक 25/01/ 22 अनुसार कुल 108 दुकानदार वर्ष 1995 में दर्ज थे। इन 108 दर्ज दुकानदारों में भी 02 नाम स्पष्टतः कूटरचना कर बाद में जोड़े जाना दिख रहा है तथा 10-15 दुकानदारों को पक्की दुकानें प्राप्त नहीं हुई हैं। प्राधिकार समिती गठन का भी प्रावधान अधिनियम में व्यवस्थापन प्रक्रिया प्रारंभ होने से पूर्व है अनियमित / अवैधानिक निर्माण एवं आवंटन के पश्चात प्राधिकार समिती गठन का कोई प्रावधान ना होने पर भी ऐसा लेख कर दोषियों की मदद करी जा रही है। कृपया प्रकरण निराकरण हेतु मा. अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में जांच समिती गठित करने की कृपा करें। इस सम्बंध में अध्यक्षीय परिषद नगरपालिका इटारसी सम्मेलन दिनांक 24/12/19 प्रस्ताव क्र- 31 में भी जांच का निर्णय लिया गया है। वहीं 23 दिसंबर को ही सी एम हेल्प लाइन में किए गए एक अत्यंत चौंकाने वाले कंप्लेंट रिमार्क में यह जानकारी भी दी गई है कि नपा ने उक्त प्रकरण के संबंध में अपर कलेक्टर, जिला नर्मदापुरम को पत्र क्र. / नपाइ / 1068 इटारसी, दिनाँक 19.12.2022 के माध्यम से प्राधिकार समिति की बैठक आहूत कराये जाने की तिथि निर्धारित किये जाने हेतु पत्राचार किया है। ताकि उक्त के संबंध में अग्रिम कार्यवाही की जा सके। इस जानकारी से यह भी स्पष्ट होता है कि उच्च अधिकारी कुछ विशेष नहीं कर रहे अतः सी एम ओ को बैठक आहूत करने यह पत्र लिखना पड़ा। सूत्रों के अनुसार प्राधिकार समिति के लिए नगरपालिका के अधिकारी,दुकानदारों से डॉक्यूमेंट इकट्ठा कर रहे हैं तथा सूत्रों के अनुसार ऐसे कार्य के दौरान अब तक मात्र 66 दुकानदारों ने अपनी लीज डीड जमा करी हैं और यह सभी डीड निलंबित आर एस आई संजीव श्रीवास्तव द्वारा संपादित करी गई हैं।जबकि संजीव श्रीवास्तव को तत्कालीन मु न पा अधिकारी अक्षत बुंदेला द्वारा कभी ऐसे किसी कार्य हेतु प्राधिकृत किया ही नहीं गया था। सप्ष्ट है कि संजीव श्रीवास्तव को जो उस समय सुपर सी एम ओ माने जाते थे, को नपा से ही जुड़े किसी सक्षम नेता का सरंक्षण प्राप्त था। पूर्व से ही संजीव श्री वास्तव एक अन्य मामले में जमानत पर है। ऐसे में बिना अधिकार के लीज डीड करने का अपराध दर्ज होने की तलवार भी संजीव श्रीवास्तव पर लटक गई है। लगाए गए आरोपों के अनुसार अधिकांश अवैध दुकानें बेच दी गई हैं और उनका नामांतरण भी कर दिया गया है और नामांतरण अभिलेखों से यह फर्जीवाड़ा पकड़ा जा सकता है। लेकिन अब 2017 से 2020 के बीच हुईं नामांतरण समितियों का रिकॉर्ड नगरपालिका से गायब कर दिया गया है तथा ऐसी आशंका व्यक्त करी जा रही है कि अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए दोषियों ने ही रिकॉर्ड गायब कराया गया है। संजीव के निलंबन के उपरांत भी नगरपालिका में उसके प्रभाव का अंदाज़ इस बात से ही लगाया जा सकता है कि निलंबन अवधि के दौरान गिनी चुनी बार नगरपालिका कार्यालय में दिखने के बावजूद नगरपालिका उन्हें वेतन की 75% राशि जीवन निर्वाह भत्ते के रूप में हर माह दे रही है। जबकि मध्य्प्रदेश शासन के नियम मात्र 50% राशि देने का प्रावधान करते हैं। हालांकि नपा सूत्र बताते हैं कि नपा के गलियारों में यह चर्चा है कि संजीव कोर्ट के किसी आर्डर के अनुक्रम में ही वेतन की 75 प्रतिशत राशि नियमित रूप से प्राप्त कर रहा है। नपा गलियारों में तो यह चर्चा भी है कि नपा के वर्तमान जिम्मेदारों पर उसे बहाल करने के लिए नो आब्जेकशन देने के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है व आफर भी दिए जा रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि आप तो बस इटारसी से ग्रीन सिग्नल दे दो,भोपाल से तो संजीव स्वयं सब करा लेगा। वहीं प्राधिकार समिति द्वारा जांच की सुस्त चाल व इसे अंजाम तक जल्द नहीं पहुंचाने को लेकर भी भाजपा के गलियारों में यह जनचर्चा है कि इसके पीछे शायद दिल्ली स्तर के एक भाजपा नेता व प्रदेश के एक भाजपा सांसद का भी दबाव है। *नई परिषद के गठन के पूर्व से ही इस प्रकरण की जांच आधिकारिक स्तर से जारी है व अब लगभग संपूर्णता की तरफ अग्रसर है। नपा प्रशासन ने जांच संबंधी अपनी जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी से निभाई है। प्राधिकार समिति की बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाएगा — पंकज चौरे,अध्यक्ष,नगर पालिका परिषद,इटारसी।* *कलेक्टर महोदय ने ही प्राधिकार समिति का गठन किया है। ए डी एम महोदय से चर्चा हुई है। उनके पास अन्य कई जिम्मेदारियां होने से अब तक बैठक नहीं हो पाई थी,जो अब जल्द ही होगी, जिसमें नपा अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी — हेमेश्वरि पटले,मुख्य नगरपालिका अधिकारी,इटारसी।*