क्या ट्रेंडसेटर साबित होगा कर्नाटक…!

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क्या ट्रेंडसेटर साबित होगा कर्नाटक…!

कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव हैं और भाजपा ने 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 52 नए नाम हैं। नई पीढ़ी को मौका दिया है. पहली सूची में 9 डॉक्टर, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, 31 पोस्ट ग्रैजुएट और 8 महिलाओं को टिकट दिया गया है। मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शिगगांव सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे।

दो अहम तथ्य यह हैं कि येदियुरप्पा ने राजनीति से संयास ले लिया है और कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार किया है यानि सक्रिय राजनीति से तौबा कर लिया है। इस खबर का विस्तार यह है कि ईश्वरप्पा के गुस्साए समर्थकों ने नारेबाजी की और आरोप लगाया कि उनके साथ ‘‘अन्याय’’ किया गया है। ईश्वरप्पा के समर्थकों ने विरोध में सड़कों पर टायर जलाए। समर्थकों का आरोप है कि पार्टी ने पहले ही तय कर लिया था कि ईश्वरप्पा को टिकट नहीं देगी।

क्या ट्रेंडसेटर साबित होगा कर्नाटक...!

आगे फिर एक बार येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा की बात करें। डॉ॰ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा (जन्म: 27 फरवरी 1943) एक भारतीय राजनेता और भारत के राज्य कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक रहे। 2014 में शिमोगा से लोकसभा चुनाव विशाल अंतर से जीता। भाजपा संगठन में उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया लेकिन राज्य की राजनीति में उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हे राज्य का अध्यक्ष बना दिया गया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2008 में जीत के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। वे साल 2007 में जद(एस) के साथ गठबंधन टूटने से पहले भी थोड़े समय के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। वे किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। 2019 में फिर मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे लेकिन हाल ही में उनको क्लीनचीट मिल गई है। संयास लेने की बाकी वजह भले ही छिप जाएं, लेकिन उम्र चिल्ला-चिल्लाकर जवाबदेही ले रही है कि येदियुरप्पा के राजनीति से संयास की मूल वजह मैं उनकी 80 साल की उम्र ही हूं।

अब दूसरे महत्वपूर्ण चर्चित चेहरे ईश्वरप्पा की बात करें तो ईश्वरप्पा ने पिछले चार दशकों में राज्य में पार्टी को मजबूत करने में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भाजपा की कर्नाटक इकाई के इस वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा ने 11 अप्रैल 2023 को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कहा कि वह चुनावी राजनीति से सन्यास लेना चाहते हैं और 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाने पर विचार नहीं करने का आग्रह भी किया। नड्डा को लिखे पत्र में ईश्वरप्पा (74) ने कहा, ‘‘मैं स्वेच्छा से चुनावी राजनीति से संन्यास लेना चाहता हूं। अतः मेरा अनुरोध है कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए मेरे नाम पर विचार न किया जाए।’’ ईश्वरप्पा जून में 75 साल के हो जाएंगे, जो भाजपा में नेताओं के लिए चुनाव लड़ने और आधिकारिक पदों पर आसीन होने की अनौपचारिक उम्र सीमा है। हालांकि इसके अपवाद भी देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले साल मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले ईश्वरप्पा को बाद में आरोपों से क्लीन चिट भी मिल गई थी। उन्होंने पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके 40 साल के राजनीतिक करियर में बूथ स्तर से लेकर उपमुख्यमंत्री तक सम्मानजनक पद दिए।

बसवराज सोमप्पा बोम्मई

बसवराज सोमप्पा बोम्मई (जन्म: 28 जनवरी 1960) एक भारतीय राजनेता और भारत के राज्य कर्नाटक के 23 वें और वर्तमान मुख्यमत्री हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल के साथ की थी। वह लिंगायत समुदाय से आते हैं। उनके पिता भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं।

बोम्मई कर्नाटक के शिगगांव सीट से चौथी बार चुनाव लड़ेंगे। क्षेत्र में जातीय आबादी के आंकड़े देखें तो, यहां 73% हिंदू, 24% मुस्लिम और 0.08% ईसाई हैं। शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र लिंगायत समुदाय और एस-टी बहुल इलाकों में से है, जहां सीएम बोम्मई की अच्छी पकड़ मानी जाती है, क्योंकि खुद बोम्मई भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक राज्य में 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे आएंगे। कर्नाटक में 5.21 करोड़ मतदाता हैं।

2023 के अंत में मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हैं। कर्नाटक में भाजपा की रणनीति मध्यप्रदेश के लिए ट्रेंडसेटर साबित होगी। इस बार मध्यप्रदेश में भी बड़े स्तर पर वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतारे जाने की संभावना है। उम्रदराज चेहरे भी सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर करते नजर आ सकते हैं। जिन विधायकों की छवि मतदाताओं की नजर में गिर चुकी है, उनके टिकट कटना तय है। जिताऊ और नए चेहरे पार्टी उम्मीदवार के रूप में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएंगे। सात माह बाद हो सकता है कि मध्यप्रदेश के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हो, तब कर्नाटक ट्रेंड सेटर की भूमिका में दिखाई दे…।