क्या सचिन बिरला की राह पर चलेंगे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए विधायक रावत और सप्रे

374

क्या सचिन बिरला की राह पर चलेंगे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए विधायक रावत और सप्रे

केवल वीडियो फुटेज, फोटो नहीं माने जाएंगे प्रामाणिक, शपथ पत्र नहीं तो नहीं होगी कार्यवाही

भोपाल: लोकसभा चुनाव के दौरान काफी सारे कांग्रेस नेताओं ने पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए। तीन विधायक भी पाला बदलकर भाजपा के सदस्य हो गए है। लेकिन इनमें से दो विधायक कांग्रेस की टिकिट पर श्योपुर के विजयपुर से विधानसभा चुनाव जीते रामनिवास रावत और सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से चुनाव जीती निर्मला सप्रे अब पूर्व कांग्रेस विधायक सचिन बिरला की राह पर है। इन दोनो ने भाजपा की सदस्यता लेने के बाद भी अब तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।

सबसे खास बात यह है कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से इन पर दल बदल कानून के तहत कार्यवाही करने और इनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए किसी भी कांग्रेस विधायक की ओर से कोई याचिका भी नहीं लगाई गई है।

विधानसभा अध्यक्ष भी उसी सत्तारुढ़ दल से है जिसमें ये विधायक शामिल हुए है इसलिए संभव है कि ये दोनो विधायक भी तो सचिन बिरला की राह पर चलते हुए अपना कार्यकाल पूरा कर सकते है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन बिरला बड़वाह से कांग्रेस की टिकिट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। वर्ष 2021 में बिरला भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस ने सचिन बिरला पर दल बदल कानून के तहत कार्यवाही करते हुए सचिन को बर्खास्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लगाई।

विधानसभा सचिवालय की ओर से याचिकाकर्ता डॉ गोविंद सिंह से भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले सचिन बिरला के दल बदलने के पुख्ता प्रमाण पेश करने को कहा गया। पहले डॉ गोविंद सिंह ने जो वीडियो और फोटो पेश किए थे उनके साथ इन वीडियो और फोटो को शूट करने वाले फोटोग्राफरों और वहां मौजूद लोगों की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किए गए थे। इस याचिका पर कार्यवाही धीमी गति से चली। बाद में विधानसभा सचिवालय ने एक पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस इसमें प्रमाण पेश नहीं कर पाई और याचिका खारिज कर दी। इस तरह से सचिन बिरला बिना इस्तीफा दिए ही अपना कार्यकाल पूरा कर गए।

मध्यप्रदेश में फिलहाल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह ने 29 मार्च को ही इस्तीफा दे दिया था और विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार करते हुए सीट रिक्त घोषित करते हुए चुनाव आयोग को सूचना भेज दी है। अब यहां छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाएगा। लेकिन रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे ने अभी पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कांग्रेस की ओर से कोई याचिका भी नहीं लगी है। संभावना है कि लोकसभा चुनाव और परिणाम आने के बाद कांग्रेस की ओर से कोई याचिका आए लेकिन यदि बिना पुख्ता प्रमाण, शपथपत्र के याचिका लगी तो वह खारिज हो सकती है। अध्यक्ष बिना शिकायत, याचिका लगे अपनी ओर से कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।