क्या मध्यप्रदेश में फिर गुल खिलाएंगे राज्यसभा चुनाव…
मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव जब-जब होते हैं, तब-तब कांग्रेस में बिखराव की आहट सी नजर आती है। वर्ष 2020 का वह दौर सबको याद है, जब राज्यसभा सदस्य के लिए पहले क्रम पर नाम न आना ज्योतिरादित्य सिंधिया को आहत कर गया था। और फिर जो हुआ था, वह सबके सामने है। सिंधिया अपने समर्थक विधायकों सहित कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा में शामिल हो गए थे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार 15 माह में ही गिर गई थी और भाजपा सरकार बन गई थी। इसके साथ ही जहां राज्यसभा की तीन रिक्त सीटों में से दो कांग्रेस को मिलने वाली थी, बाद में कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा था। इस बात को तीन साल बीत गए, पर अब राज्यसभा की पांच सीटों के लिए निर्वाचन होना है। इनमें एक सीट कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल का कार्यकाल पूरा होने से रिक्त हो रही है और इस बार भी कांग्रेस के खाते में ही दर्ज होना तय है। अब खबर आ रही है कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की है और दो मांगें की हैं। पहली मांग यह है कि सांसद बेटे नकुलनाथ को फिर छिड़वाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ाया जाए। और दूसरी मांग यह है कि खुद उन्हें टिकट देकर राज्यसभा भेजा जाए। कमलनाथ अब राज्य की राजनीति अब अगली पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं। हालांकि राजनीति अब अगली पीढ़ी के हाथ में जा ही चुकी है, इसलिए नाथ राज्यसभा की तरफ जाने का मन बना चुके हैं। अब कांग्रेस के सामने राज्यसभा सीट के लिए ‘एक अनार सौ बीमार’ जैसी स्थिति बन गई है। ऐसे में नाथ के आहत होने की संभावनाएं बरकरार हैं। और तब क्या होगा? कांग्रेस को फिर किसी अनहोनी का सामना करना पड़ेगा? यह बाद की बात है, पर पहले नाथ की राज्यसभा जाने की इच्छा को बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि उन्होंने 13 फरवरी को भोपाल में विधायकों के लिए डिनर पार्टी रखी है। लब्बोलुआब यही है कि यदि नाथ आहत हुए तो क्या एक बड़े धड़े के साथ वह भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम सकते हैं? क्योंकि भाजपा को नाथ की दोनों मांगें मानने में कोई तकलीफ नहीं होगी। और नाथ के तो वैसे भी मोदी-शाह सबके साथ अच्छे ताल्लुकात हैं और अडानी हों या अंबानी, वह सब तो अभी भी नाथ के साथी हैं।
खैर 2 अप्रैल, 2024 को मध्यप्रदेश से पांच राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इनमें चार भाजपा से अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेन्द्र प्रधान और डॉ. एल. मुरूगन शामिल हैं। पहले तीन सदस्यों ने छह साल का कार्यकाल पूरा किया है। वहीं डॉ. एल. मुरूगन थावरचंद गेहलोत द्वारा त्यागपत्र दिये जाने से रिक्त स्थान पर दिनांक 27 सितम्बर, 2021 को उप चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। वहीं पांचवें सदस्य कांग्रेस से राजमणि पटेल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। विधानसभा सदस्यों की वर्तमान स्थिति में भी चार सीटें भाजपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में दर्ज होना तय है। कांग्रेस इस सीट से किसे राज्यसभा भेजती है, यह काबिले गौर है।इससे पहले 2020 में रिक्त हुई मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव पर नजर डालें। 9 अप्रैल 2020 को रिक्त हुई यह सीटें 19 जून 2020 को भर पाई थी। चुनाव में देरी की वजह कोविड संक्रमण के कारण लॉक डाउन होना था। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह, भारतीय जनता पार्टी से दो सदस्य ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और सुमेरसिंह सोलंकी राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। इस दौरान ज्योतिरादित्य से ज्यादा दिग्विजय सिंह को तवज्जो देना कांग्रेस को बहुत भारी पड़ा था। अब वही घटनाक्रम कमलनाथ के साथ भी घट सकता है। मध्य प्रदेश से दो अप्रैल 2024 को राज्य सभा की पांच सीटें रिक्त हो जाएंगी। इनके लिए चुनाव 27 फरवरी को कराया जाएगा। आठ फरवरी से शुरू हुई नामांकन की प्रक्रिया की अंतिम तारीख 15 फरवरी है। यानि 15 फरवरी तक सारी तस्वीर साफ हो जाएगी।
उधर जबलपुर से धुआं सा उठ रहा है कि राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा बीजेपी में जा सकते हैं। इससे पहले जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु, पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर और एकता ठाकुर को भी बीजेपी में भेजने की स्क्रिप्ट विवेक तन्खा ने ही लिखी है। उधर सुमेर सिंह गढ़ा जैसे दिग्गज कांग्रेसी भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। तो भगवा होने के इस दौर में सब संभव है। यह राज्यसभा चुनाव इस बार फिर कांग्रेस को गुल खिलाएगा या नहीं, यह बहुत जल्दी पता चल जाएगा। वैसे कमलनाथ हनुमान भक्त भी हैं और राम के उपासक भी हैं…।