राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत का अमेठी में चलेगा जादू?

कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को अमेठी और रायबरेली में दी बड़ी जिम्मेदारी  

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राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत का अमेठी में चलेगा जादू?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष राजनीतिक रिपोर्ट 

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के मध्य कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी हैं। अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को गांधी परिवार की परंपरागत लोकसभा सीट अमेठी एवं रायबरेली का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है। अशोक गहलोत को अमेठी और भूपेश बघेल को रायबरेली का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्रों के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षकों के रुप में क्रमशः भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कांग्रेस ने रायबरेली से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी उम्मीदवार बनाया है, वहीं अमेठी से कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को पार्टी उम्मीदवार घोषित किया है। इससे पहले राहुल गांधी अमेठी से ही चुनाव लड़ते थे लेकिन पिछली बार वे पहली बार अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे।

राहुल गांधी, केरल के वायनाड के बाद अब उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे है। रायबरेली राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र रहा है। सोनिया गांधी ने वर्ष 2004 से 2024 तक रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का बतौर सांसद प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि वह अब राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गईं हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मरहूम पति फिरोज गांधी ने दशकों पहले रायबरेली में कांग्रेस की जो मजबूत नींव रखी थी,उसे बाद में उनकी पत्नी इंदिरा गांधी ने इस सीट को पोषित, पल्लवित और मजबूत किया। इंदिरा गांधी ने 1967,1971 और 1980 में यह सीट जीती थी। उनके बाद गांधी परिवार के करीबी लोगों और सदस्यों ने ही इस सीट पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। अब राहुल गांधी भी गांधी परिवार और पार्टी का वजूद बनाए रखने के लिए चुनाव मैदान में उतरे है। हालांकि भाजपा ने दावा किया है कि अमेठी की पिछली हार के बाद राहुल गांधी इस बार रायबरेली से भी चुनाव हारेंगे।

कांग्रेस नेता और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी छह मई से खुद रायबरेली और अमेठी में कैंप करने जा रही हैं। प्रियंका के साथ गहलोत और बघेल की ड्यूटी लगाने से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस रायबरेली ही नहीं,राहुल गांधी की छोड़ी हुई अमेठी सीट पर भी डटकर चुनाव लड़ेगी। प्रियंका गांधी वाड्रा इन दोनों चर्चित लोकसभा सीटों रायबरेली और अमेठी में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार अभियान की अगुवाई करेंगी। वह दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान की निगरानी भी करेंगी। दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों तक पहुंच बनाने के लिए संगठन के विभिन्न स्तरों पर अभियान चलाया जाएगा। प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अशोक गहलोत और भूपेश बघेल, राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट जैसे शीर्ष नेताओं के प्रचार अभियान की योजना और कार्यक्रम का भी ध्यान रखेंगी। बताया जा रहा है कि वह लगभग 250 से 300 गांवों तक अपनी पहुंच बनाएंगी और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को समान समय भी देंगी।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार गहलोत और बघेल की नियुक्ति से यह राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया गया है कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों और दशकों से गांधी परिवार के साथ पारिवारिक संबंध रखने वाले लोगों तक पहुंच बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव कर दिया है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली रायबरेली और अमेठी सीट पर जीत का गणित तैयार करने की जिम्मेदारी दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को सौंपी गई है। कांग्रेस ने भूपेश बघेल को रायबरेली और अशोक गहलोत को अमेठी की जिम्मेदारी दी है। दोनों की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में की जाती है। रायबरेली सीट से इस बार राहुल गांधी मैदान में उतरे हैं,उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। जबकि,अमेठी सीट से कांग्रेस ने गांधी परिवार के नजदीकी किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगा,जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को चुनाव में हराया था।

अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होना है। इस प्रकार करीब मतदान से 14 दिन और प्रचार अभियान खत्म होने के महज 12 दिन पहले ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं। ऐसे में इन दोनों नेताओं के लिए आखिरी समय में जीत का गणित तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान यह दूसरा मौका है, जब पार्टी ने इन दो कद्दावर नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। चुनाव से पहले पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए ‘नेशनल अलायंस कमेटी’ बनाई थी। इसमें भी पार्टी ने इन दोनों नेताओं को शामिल किया था। इन नेताओं को इंडिया गठबंधन में शामिल सभी विपक्षी दलों के साथ सीट शेयरिंग फॉर्मूला तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी।

चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले अशोक गहलोत को लोकसभा चुनावों में चुनौती वाली सीट की जिम्मेदारी दी गई है। इस सीट के परिणाम से अब उनकी सियासी प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है। इस सीट पर पिछली बार राहुल गांधी हार गए थे,अब कांग्रेस और गहलोत के सामने यह सीट बड़ी चुनौती है। गहलोत पहले भी कई राज्यों में चुनावी ऑब्जर्वर और इंचार्ज का काम चुके हैं। गहलोत को कांग्रेस में चुनाव अभियान चलाने और ग्राउंड पर चुनावी माहौल बनाने का विशेषज्ञ माना जाता है। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में इंचार्ज के तौर पर गहलोत ने जिस तरह का माहौल बनाया था,उसकी देश भर में चर्चा हुई थी। उन्होंने गरबा में नाचने से लेकर घर-घर जाकर पर्चे बांटकर वोट मांगने की स्टाइल से भी खूब चर्चाएं बटोरी थीं। इस चुनाव में कांग्रेस ने 1995 के बाद पहली बार 77 सीटें जीती थीं। पार्टी ने इसके बाद गहलोत को दोबारा 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए सीनियर आब्जर्वर नियु्क्त किया था। हालांकि ये जिम्मेदारी उन्हें तब सौंपी गई थी,जब चुनाव में महज छह माह से भी कम का समय बचा था। इस चुनाव में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले थे। गहलोत कांग्रेस के अन्य नेताओं की तुलना में पिछले डेढ़ दशक से भाजपा पर बहुत अधिक आक्रामक नजर आ रहे हैं। राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा पर तीखे हमले किए। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह सहित भाजपा नेताओं के अन्य नेताओं पर उनके कई बयान सुर्खियों में रहे हैं।

इस दौरान अशोक गहलोत ने अपने सोशल हैंडल पर एक बयान जारी कर अमेठी में कांग्रेस कार्यालय पर तोड़फोड़ को निंदनीय बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं भाजपा की हार की बौखलाहट का स्पष्ट प्रमाण है। गहलोत ने मांग की कि उत्तर प्रदेश पुलिस को इस घटना में लिप्त आरोपियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटना अमेठी में कांग्रेस के लोकप्रिय उम्मीदवार के एल शर्मा की जीत का अंतर और बढ़ाएगी।

लोकसभा चुनाव के चुनावी महापर्व के तीसरे चरण में मंगलवार 7 मई को देश के 12 प्रदेशों की 93 लोकसभा सीटों पर मतदान होंगा। तीसरे चरण में 12 राज्यों की जिन 93 सीटों पर मतदान होगा, उनमें असम की 4, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 7, कर्नाटक की 14,गोवा की 2, गुजरात की 25, मध्य प्रदेश की 9, महाराष्ट्र की 11,उत्तर प्रदेश की 10,पश्चिम बंगाल की 4, दमन और दीव की 2,जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर सुबह 7 से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी। चुनाव आयोग ने इन प्रदेशों में चुनाव की तैयारियां कर ली है।

लोकसभा के आने वाले चरणों में देश का राजनीतिक परिदृश्य क्या क्या रंग बदलेगा और किस दिशा की ओर मुड़ेगा यह देखना दिलचस्प होगा ?