

Winds of Change in Congress : कांग्रेस में अब पट्ठावाद नहीं चलेगा, पार्टी अब जांच परखकर पदाधिकारी बनाएगी!
Bhopal : मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठनात्मक मजबूती के लिए जिम्मेदारियों को तय करने को लेकर एक के बाद एक बड़े बदलाव कर रही है। कांग्रेस में अंदरूनी खेमों की सियासत, परिवारवाद के साथ पट्ठावाद के कई आरोप लगते रहे हैं। अक्सर ऐसे मामलों में असंतुष्ट नेताओं का हंगामा और पार्टी के खिलाफ विरोधाभास भी खुलकर सामने आते हैं।
अब पार्टी अपनी छवि सुधार के लिए इंटरव्यू पैटर्न का तरीका अपनाएगी। इसकी शुरुआत भी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से होगी। नई व्यवस्था के चलते पारदर्शिता के लिए केंद्रीय संगठन से एक टीम प्रत्येक जिले में भेजेगा। टीम सभी जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर लोगों से संबंधित दावेदार की फीडबैक लेगी। जरूरी नहीं कि सिर्फ दावेदार को ही जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी जाए, टीम अपने स्तर पर ही पार्टी विचारधारा के कार्यकर्ता का चुनाव कर सकेगी।
ऐसे नामों का सूची टीप लगाकर केंद्रीय संगठन को भेजी जाएगी। इसके बाद संबंधित दावेदार को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। तब साक्षात्कार की प्रक्रिया से गुजरना होगा। प्रदेश प्रभारी, केंद्रीय पैनल के सामने जिला अध्यक्ष पद के लिए इंटरव्यू देना होगा। फिर नाम पर प्रदेश संगठन का अभिमत लिया जाएगा और नियुक्ति का अंतिम अधिकार एआईसीसी को होगा। अगले माह जून से प्रदेश के सभी जिलों में एआईसीसी की टीम इस प्रक्रिया में जुटेगी।
टीम में अनुभवी नेता होंगे
इस टीम में अनुभवी नेताओं को रखा जाएगा। जिन्हें जिलों में संबंधित दावेदार की पकड़, संगठन में तालमेल के साथ जातिगत समीकरणों का तगड़ा अनुभव होगी। जिलों में दौरे के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठकों के दौर भी शुरू होगा। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी ने बताया कि संगठन की मजबूती के लिए हर तरह के कदम बढ़ाए जा रहे हैं। कई प्लानिंग पर अमल किया जा रहा है। कांग्रेस में उसी की जिम्मेदारी मिलेगी जो काबिल होगा।
मप्र कांग्रेस कमेटी ने पिछली हार से सबक लेते हुए चुनाव से साढ़े तीन साल पहले ही जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बनाए पायलट प्रोजेक्ट पर सबसे पहले मप्र में काम शुरू हुआ है। इसमें ब्लॉक कमेटी की तर्ज पर पंचायत और मोहल्ला कमेटियों का गठन, बूथ लेवल पर टीम बनाना, कांग्रेस के पुराने और कोर कार्यकर्ताओं से घर जाकर संपर्क करना, और वोटर लिस्ट का रिव्यू करना शामिल है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने इसके लिए चुनाव के लिहाज से सबसे मुश्किल जिला विदिशा को चुना है, जहां लगातार भाजपा जीतती रही है।