ऑपरेशन सिंदूर के साथ सुरक्षा तंत्र में शिक्षा और रोजगार के नए द्वार खुले

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ऑपरेशन सिंदूर के साथ सुरक्षा तंत्र में शिक्षा और रोजगार के नए द्वार खुले

 

आलोक मेहता

 

ऑपरेशन सिंदूर की प्रारंभिक सफलता और उसे जारी रखने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के साथ भारत की रक्षा आवश्यकताएं सशस्त्र बलों की संयुक्तता और एकीकरण को मजबूत करने, परिचालन आवश्यकताओं की साझा समझ विकसित करने और तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने पर काम शुरु हो गया है | इससे पहले भी

रक्षा मंत्रालय ने 2025 को “सुधारों का वर्ष” घोषित किया है, जिसमें संयुक्त अभियानों को बढ़ावा देने और एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना सहित सशस्त्र बलों को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अत्याधुनिक भारतीय हथियारों , वायु और नौसेना के लिए आवश्यक लड़ाकू विमानों , जहाजों , पनडुब्बियों के निर्माण आयात और ड्रोन सहित डिजिटल संचार सुरक्षा तंत्र को समीक्षा के साथ मजबूत किया जा रहा है | दूसरी तरफ सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए सेना के विभिन्न अंगों में बड़े पैमाने पर युवाओं की भर्ती , शिक्षा , प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा | नागरिक सुरक्षा बल में भी राज्यों में हजारों लोगों को जोड़ा जा रहा है | प्रधान मंत्री सैन्य शक्ति में आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ श्रेष्ठ मानवीय शक्ति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं | इस तरह भारत के सुरक्षा तंत्र में रोजगार की नई अपार संभावनाओं के साथ भारत की सामाजिक आर्थिक प्रगति के द्वार खुलने वाले हैं |

भारत का रक्षा बजट 81 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो निरंतर आधुनिकीकरण और उन्नयन की अनुमति देता है। 2025 में भारत के रक्षा और अर्धसैनिक बल मजबूत और विविधतापूर्ण ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं | जो इसे दुनिया की शीर्ष सैन्य शक्तियों में शामिल कर देगा । भारत के सक्रिय सैन्यकर्मियों की संख्या लगभग 1.46 मिलियन है, तथा इसके अतिरिक्त 1.15 मिलियन रिजर्व सैन्यकर्मी हैं। अर्धसैनिक बलों में 2.5 मिलियन अतिरिक्त कार्मिक जुड़ते हैं, जो आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ।सक्रिय बल को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 1.15 मिलियन रिजर्व कार्मिक उपलब्ध हैं। वायु सेना 2,229 से अधिक विमानों का संचालन करती है, जिनमें उन्नत लड़ाकू जेट और सहायक विमान शामिल हैं। नौसेना 293 जहाजों का संचालन करती है, जिनमें दो विमान वाहक पोत और विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियों का एक बड़ा बेड़ा शामिल है। 2.5 मिलियन की संख्या वाले अर्धसैनिक बल आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन बलों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और असम राइफल्स जैसे विभिन्न संगठन शामिल हैं। रक्षा अनुसन्धान संसथान हाइब्रिड, काइनेटिक, नॉन-काइनेटिक में आरडी युद्ध में उत्कृष्टता हासिल करने की तैयारियां कर रहा है | गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार भारत सीमा सुरक्षा के लिए नई ड्रोन रोधी इकाई बनाएगा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तो जनवरी की बैठक में ही निर्देश दिया था कि रक्षा सुधार कार्यक्रम को साइबर व अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, हाइपरसोनिक्स और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित होना चाहिए। अंतर-सेवा सहयोग एवं प्रशिक्षण के माध्यम से परिचालन आवश्यकताओं और संयुक्त परिचालन क्षमताओं की साझा समझ विकसित करना।

भारत के सशस्त्र बल कई विश्वस्तरीय कैडेट प्रशिक्षण अकादमियों के साथ-साथ विशेषज्ञ व्यावसायिक स्कूलों की मेजबानी के साथ-साथ भावी परिचालन कमांडरों को तैयार करने के लिए बेहतरीन शैक्षणिक संस्थान भी चलाते हैं। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित भारत का एक राष्ट्रीय सुरक्षा और पुलिस विश्वविद्यालय है | इस वर्ष राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के भारत में कई परिसर होंगे, जिनमें लावड-गांधीनगर (गुजरात), पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), और शिवमोग्गा (कर्नाटक) शामिल हैं । शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए प्रवेश आरआरयू कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (आरसीईटी) के माध्यम से खुले हैं। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सुरक्षा, पुलिस प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम प्रदान करता है। शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों कार्यक्रमों के लिए आरआरयू कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (आरसीईटी) के माध्यम से प्रवेश खुले हैं। आरआरयू राष्ट्रीय सुरक्षा, पुलिस प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में कार्यक्रम प्रदान करता है। यह संस्थान अब 10+2 सीबीएसई पैटर्न पर 8वीं से 12वीं तक की स्कूली कक्षाएं चलाता है और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी , खडकवासला ( पुणे ) के लिए एक फीडर संस्थान के रूप में कार्य करता है, जहाँ स्कूल की 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले पुरुषों को सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कैडेट के रूप में लिया जाता है।शिक्षा के लिए सैन्य स्कूल विभिन्न स्थानों पर हैं |   सैनिक स्कूल भारत में स्कूलों की एक प्रणाली है जिसकी स्थापना और प्रबंधन रक्षा मंत्रालय के तहत सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा कितैयार करने के लिए की थी। देश में करीब 33 ऐसे स्कूल चल रहे हैं और भविष्य के लिए प्रस्तावित हैं।इन्फैंट्री स्कूल : इन्फैंट्री स्कूल, महू भारतीय सेना का सबसे बड़ा और सबसे पुराना सैन्य प्रशिक्षण केंद्र है । यह संस्थान विभिन्न भूभागों और वातावरण में पैदल सेना के संचालन से संबंधित सामरिक अभ्यास और अवधारणाओं के पूरे स्पेक्ट्रम को विकसित करने और समय-समय पर उन्हें पेश करने के लिए जिम्मेदार है।

मोदी सरकार द्वारा लाई गई भर्ती योजना भारतीय सशस्त्र बलों में अल्पकालिक सेवा है, जिसमें भर्ती होने वाले व्यक्ति चार वर्ष तक सेवा करते हैं। भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना सभी अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया में भाग लेते हैं। 2025 में, अग्निवीर में सैनिक, क्लर्क/स्टोर कीपर तकनीकी, ट्रेड्समैन और नाविक (एमआर) सहित विभिन्न भूमिकाओं के लिए भर्ती जारी है । इस अभिनव योजना का राजनीतिक विरोध हुआ , जबकि यह योजना सेना प्रमुखों तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा लम्बे विचार विमर्श के बाद लाई गई और इसमें कुछ संशोधन सुधार भी हुए हैं | सेना में नए खून को प्रारम्भ से शिक्षित प्रशिक्षित करने और उनमें से ही लोग देश की अन्य सेवाओं में जाने से भारत में विभिन्न स्तरों पर सैन्य प्रशिक्षण के व्यक्ति रहने का लाभ भी होगा |

भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने हाल ही में अग्निपथ भर्ती योजना को “बड़ी सफलता” बताया तथा कहा कि अग्निवीरों ने सीखने की तीव्र इच्छा दिखाई है तथा वे प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे हैं। यह योजना (अग्निपथ) बहुत सफल साबित हो रही है और जो लोग हमारे पास आ रहे हैं उनमें सीखने की ललक तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक है।” “जहां तक उनकी क्षमता का सवाल है कि हम उनसे तीन से चार साल में जो कुछ भी चाहते हैं, उसे पूरा कर सकते हैं।” वर्तमान में, केवल 25% अग्निवीरों को ही दीर्घकालिक सेवा के लिए रखा जाता है, यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसे सैन्य विशेषज्ञ बहुत कम मानते हैं। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, सेना ने युद्ध शक्ति को बनाए रखने और प्रशिक्षण में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिधारण को बढ़ाकर 50% करने की सिफारिश की है।भारतीय थल शस्त्र बलों के लिए अग्निवीरों की नियोजित भर्ती प्रतिवर्ष लगभग 46,000 है – थलसेना के लिए 40,000 तथा नौसेना और वायुसेना के लिए संयुक्त रूप से शेष 6,000।उम्मीद करना चाहिए कि आने वाले वर्षों में भारत की सेना सुरक्षा तंत्र विश्व में सबसे शीर्ष स्थान पर हो |