श्याम बाबा की भक्ति की शक्ति से सवा करोड़ में बनेगा उनका भव्य मंदिर व सत्संग केंद्र
संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की एक अनूठी रपट
इटारसी। शहर के गणमान्य नागरिक व एक प्रतिष्ठित स्कूल के यशस्वी संचालक,समाजसेवी, नटवर पटेल की खाटू श्याम के प्रति भक्ति का चरमोत्कर्ष कुछ इस तरह बना या यूं कहें कि श्याम बाबा की कृपा प्रेरणा ऐसी बनी कि अचानक उन्होंने अपने साथियों के सहयोग से इटारसी में ही एक भव्य खाटू श्याम मंदिर का निर्माण करने का निर्णय ले लिया। बाबा श्याम के प्रति उनका यह समर्पण विदिशा में बने हुए बाबा श्याम के मंदिर में दर्शन करने के बाद और अधिक प्रबल हो गया। सबसे चौकाने वाली बात ये है कि नटवर पटेल आज तक राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर भी दर्शन करने नहीं गए हैं। बावजूद इसके उन्हें बाबा श्याम का भव्य मंदिर बनाने की लगन लगी है।
करीब 0.67 एकड़ में जिस जमीन पर यह भव्य मंदिर बनने जा रहा है,वह इटारसी के पास पीपलढाना गांव में स्कूल संचालक नटवर पटेल की पैतृक जमीन है। उन्होंने उस जमीन में से करीब 2.67 एकड़ भूखंड मंदिर निर्माण के लिए आवंटित किया है। इस भूखंड में से करीब 0.67 एकड़ में मंदिर का निर्माण किया जाएगा। बाकी की जगह सत्संग केंद्र के रूप विकसित की जाएगी।
करीब डेढ़ करोड़ से बनेगा मंदिर नटवर पटेल बताते हैं कि बाबा श्याम के इस दरबार को बनाने में उन्हें पारिवारिक अग्रज पार्षद शिवकिशोर रावत, पवन चौहान, आलोक तिवारी, गुड्डू चौधरी, मनोज पटेल, मनोज महल सहित अन्य साथियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। उनकी हौसलाअफजाई और सहयोग से ही इतना भव्य मंदिर बनाने की हिम्मत कर पाए है। जानकारी के मुताबिक बाबा श्याम के इस मंदिर निर्माण पर करीब डेढ़ करोड़ का खर्च आएगा। ज्ञात रहे कि हजारों श्याम भक्तों के होते हुए भी अब तक नर्मदापुरम संभाग में बाबा खाटू श्याम का मंदिर कहीं भी नहीं है। इस लिहाज से इटारसी में बाबा खाटू श्याम का मंदिर बनाया जाना एक बड़ी पहल साबित होगा। क्योंकि बाबा श्याम के मानने वाले बड़ी तादाद में जिले में है इसके अलावा आसपास के अन्य जिलों में भी बाबा श्याम को मानने वाले बड़ी संख्या में निवासरत है। इटारसी में मंदिर का निर्माण होने से श्रद्धालुओं को आवागमन में भी सुविधा रहेगी क्योंकि इटारसी जंक्शन पर 24 घंटे चारों दिशाओं से ट्रेनों का आवागमन होता है।
श्याम बाबा की पुनीत कथा वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोत्ककच कहा जाता था। फिर घटोतकच का पुत्र बर्बरीक हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तो उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे।” भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए बर्बरीक का यह फैसला उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनसे दान देने की मांग की और तब दान में उन्होंने उनसे उनका शीश ही मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की। श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया।
युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण की वजह से ही मिली है। भगवान श्रीकृष्ण बर्बरीक के बलिदान से प्रसन्न हुए और उनको कलियुग में श्याम बाबा के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया। तभी से खाटू ग्राम राजस्थान में मुख्य मंदिर बना जिसके दर्शनार्थ आज लाखों भक्त प्रति दिन खाटू ग्राम जाते हैं।श्याम बाबा को उनके करोड़ों भक्तों द्वारा श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है। लाखों परिवारों के कुल देवता के रूप में भी श्याम बाबा की पूजा घर घर में होती है।
जिले व इटारसी से श्याम परिवार इटारसी के कई सदस्य हर एकादशी तिथि पर खाटू यात्रा पर जाते हैं जिसमें वे ऐसे भक्तों को निःशुल्क यात्रा भी कराते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते। आज देश भर में श्याम बाबा के सैंकड़ों मंदिर हैं। 17 मई को मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम,संकीर्तन व भंडारा होगा।