वैदिक काल से ही नारी पर विमर्श होता रहा ओर हर कालखंड में सम्मान किया गया – डॉ केदारनाथ शुक्ला

जिस बुद्धि में नए उन्मेष हैं वही नारी प्रतिभा है - डॉ शर्मा* *महान कवि भास के रूपकों पर केंद्रित शोध ग्रंथ का हुआ विमोचन*q

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वैदिक काल से ही नारी पर विमर्श होता रहा ओर हर कालखंड में सम्मान किया गया – डॉ केदारनाथ शुक्ला

मन्दसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मन्दसौर । महान कवि भास ने समसामयिक घटनाओं का चित्रण अपने रचना कौशल में किया ,नर शब्द से नारी शब्द की उत्पत्ति हुई स्त्री अबला नारी वधू वामा वनिता महिला आदि सब नारी के ही रूप है प्रत्येक नारी स्त्री है परंतु प्रत्येक स्त्री नारी नही है नारी विपदा में पुरुष का साथ छोड़ती नहीं है उक्त विचार विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वरेण्य विद्वान संस्कृतविद डॉक्टर बालकृष्ण शर्मा ने मन्दसौर के पशुपतिनाथ अतिथि गृह सभागृह में आयोजित लेखिका साहित्यकार डॉ प्रतिभा श्रीवास्तव के शोध ग्रंथ ” कवि भास के रूपकों में नारी पात्र ” के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये

डॉ शर्मा ने महाभारत , रामचरितमानस , पुराण , कथाओं में उद्धरित पात्रों , प्रसंगों को सामने रखते हुए नारी पात्रों का चित्रण किया । कालांतर में पुराणों के माध्यम से क्या सही क्या गलत , क्या करणीय और क्या अकरणीय कार्य या व्यवहार है यह बताया है , सम्प्रेषण की दृष्टि से यह अधिक आत्मसात हुई है , नारी पात्रों में भी कई तरह के चरित्र और चरित सामने आए हैं । महाकवि भास ने नाटकों के माध्यम से नारी चरित्रों को प्रस्तुत किया है । उनका संस्कृति और साहित्यिक योगदान मूल्यवान है

संस्कृत अध्ययन शाला के आचार्य डॉ केदारनाथ शुक्ला ने इस अवसर पर कहा की स्त्री के बिना पुरुष को यज्ञ अनुष्ठान कर्मकांड का अधिकार नहीं है , शिष्टाचार का सौंदर्य नारी है पृथ्वी स्वयं नारी है वेद काल में नारी – स्त्री का विमर्श होता रहा , नर से नारी बना है , सद्कर्म में नारी के बिना साधना पूरी करने में कठिनाई है ओर नारियों को सम्मान के साथ जीवन के हरस्तर पर महत्व के साथ प्रतिपादित किया है । कवि भास ने अलग अलग नाटकों की प्रस्तुति में नारी की उपस्थिति को उभारने के साथ चरित्र को समाज के समक्ष रखा है ।

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प्रारंभ में दीप प्रज्ज्वलन एवम पशुपतिनाथ संस्कृत विद्यालय के आचार्य विष्णु प्रसाद ज्ञानी और वैदिक बटुको ने स्वस्तिवाचन का पाठ किया,
विमोचन समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार एवं व्यंगकार डॉ तीरथ सिंह खरबंदा ने की ओर संबोधित करते हुए कहा कि लेखिका डॉक्टर प्रतिभा श्रीवास्तव का पुरुषार्थ उनकी रचना शोध प्रबंध पुस्तक में झलकता है । आपने सद्साहित्य पठन पाठन में रुचि कम होने पर चिंता व्यक्त की ।

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समारोह के विशिष्ट अतिथि जनपरिषद अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल , हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रांतीय प्रभारी श्री ब्रजेश जोशी , आर्य समाज विद्यालय आचार्य श्री मुकेश आर्य ने अपने विचार रखे ।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल से श्री नगेंद्र श्रीवास्तव श्री नवांशु श्रीवास्तव श्रीमती प्राची श्रीवास्तव , श्री सौरभ दुबे ने पुष्प गुच्छ देकर किया,

अतिथि परिचय श्रीमती सुष्मिता दास डॉ प्रदीप चतुर्वेदी ने दिया, स्वागत भाषण श्री प्रांशु श्रीवास्तव ने दिया कार्यक्रम में प्राचार्य श्री सौरभ दुबे सुश्री स्नेहा सुश्री उदिता मेहता एवं नगर के अनेक साहित्यकारों, सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा लेखिका डॉ प्रतिभा श्रीवास्तव का अभिनंदन किया गया

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कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ललित नागर ने किया और आभार श्री नवांशु श्रीवास्तव ने व्यक्त किया, लेखिका साहित्यकार डॉ प्रतिभा श्रीवास्तव ने शोध कार्य और शोध ग्रंथ के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने कहा कि पूर्व कुलपति , आचार्य डॉ बालकृष्ण शर्मा के निर्देशन में शोध कार्य ग्रंथ रचना हुई और उनकी उपस्थिति में स्वयं के हाथों से विमोचन हुआ यह जीवन की बहुत बड़ी अभिलाषा पूरी होना है । आपने डॉ शर्मा एवं अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की
सदन में मंच पर डॉ घनश्याम बटवाल द्वारा प्रकाशित आराधना पुस्तिका एवं डॉ खरबंदा के व्यंग्य संग्रह की प्रति अतिथियों को भेंट की गई ।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में नगर के साहित्यकार संस्कृत प्रेमी गणमान्य जन नरेंद्र त्रिवेदी , डॉ कैलाश चन्द्र पांडेय , गोविंद सिंह पंवार प्रदीप शर्मा नरेंद्र भावसार वेद मिश्रा , डॉ दिनेश तिवारी , गायत्री शर्मा , महेश त्रिवेदी , संजय भारती ,मनोहर शर्मा , अजय तिवारी , श्रीमती चंदा डांगी , श्रीमती गायत्री त्रिवेदी ,पंकज श्रीवास्तव , अजय डांगी , श्रीनिवास मोड़ , सुदीप दास , बंशीलाल टांक डॉ ओम नाथ मिश्रा , अरविंद पाठक सुभाष भंडारी , भगवती प्रसाद गहलोत ,प्रो सुधीर रायजादा ,डॉ वीणा सिंह , राजेंद्र तिवारी सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि गण उपस्थित रहे