Wood Mafia in Indore : इंदौर की लकड़ी मंडी बंद, वन विभाग के अफसरों ने पीछे के दरवाजे खोल रखे!
इंदौर से गोविंद राठौर की रिपोर्ट
Indore : मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी लकड़ी मंडी कही जाने वाली इंदौर की लकड़ी मंडी में पिछले कई सालों से अवैध आरकुट लकड़ी का कारोबार चलाया जा रहा है। लकड़ी मंडी के दलालों वन अधिकारियों की मिलीभगत से माफियाओं के जरिए जंगलों से हरे भरे पेड़ो को काटकर लकड़ी मंडी ला रहे हैं।
खुले आम लकड़ी का अवैध कारोबार हो रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि वन विभाग के अफसरों को इस अवैध कारोबार की सारी जानकारी है, पर वे ‘शुभ लाभ’ के चक्कर में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते। अफसरों ने जंगल माफिया को अपने फायदे के चक्कर में खुली छूट दे रखी है। इससे न केवल वन संपदा का भारी नुकसान हो रहा, बल्कि सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अवैध लकड़ी के परिवहन में लगे दलालों की साजिश अब दिन प्रतिदिन धुंधली होती जा रही हैं,और इसके पीछे अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है।
हालांकि, भोपाल के उच्च अधिकारियों को इंदौर की लकड़ी मंडी के बंद होने की जानकारी दी गई, लेकिन इंदौर के वन विभाग के अधिकारियों ने वन माफियाओं से मिलीभगत के जरिए इस अवैध कारोबार को फिर चालू करवा दिया। इससे अवैध लकड़ी का कारोबार धडल्ले से जारी है। इंदौर वन विभाग के अफसरों ने भोपाल को झूठी सूचना दी है कि इंदौर की लकड़ी मंडी बंद है।
इंदौर जिले के फर्नीचर निर्माण, शोरूम निर्माण, इंडस्ट्रियों, फैक्ट्रियों, आलू चिप्स कारखाने में अवैध लकड़ियों का भंडारण है। इसी से साबित होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत इस समस्या के मूल कारणों में से एक है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी कब जागेंगे और इस अवैध कारोबार के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेंगे? क्या वे इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से लेंगे या फिर यह अवैध धंधा इसी तरह चलता रहेगा?
लकड़ी मंडी में हो रही इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत है। अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल वन संसाधनों का संरक्षण नहीं हो पाएगा, बल्कि सरकार को हो रहे नुकसान को भी रोकना मुश्किल हो जाएगा। सभी संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे उचित उपाय करें और इस गंभीर मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई करें।
डीएफओ से सवाल-जवाब
इंदौर के डीएफओ महेंद्र सिंह सोलंकी से जब पूछा गया कि जब लकड़ी मंडी बंद है, तो लकड़ी की आपूर्ति शहर में कहां से हो रही है। इस पर उनका कहना था कि रालामंडल डिपो, खंड़वा डिपों और हरदा समेत अन्य जिलों से व्यापारी (नीलामी) में लकड़ी खरीदकर शहर में जरूरत की आपूर्ति करते है। अवैध लकड़ी की कटाई और परिवहन के सवाल पर वे बोले कि गश्ती दल लगे हुए हैं, पूरी टीमें लगी है। अगर ऐसा कुछ है तो कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार लकड़ी मंडी के बंद होने की जानकारी वर्तमान सरकार को लगी,तो शासन में बैठे वन अधिकारियों ने वन अपराध और माफियाओं पर नकेल कसी,जिससे लकड़ी के अवैध कारोबार पर अंकुश लग गया। आरकुट (सभी तरह की लकड़ियां) लकड़ी को राज्य शासन ने 2018 के पहले शर्तों के साथ टीपी मुक्त किया था। लेकिन, वन माफियाओं ने लगातार जंगलों में अवैध कटाई करने पर मंदसौर कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। उसी आधार पर न्यायालय द्वारा टीपी से मुक्त आदेश को निरस्त कर दिया।