इप्का लेबोरेटरीज प्रबंधन के विरुद्ध फुटा श्रमिकों का गुस्सा, 7 दिन का अल्टीमेटम, प्रबंधन पर अभद्रता के अलावा और भी आरोप!

कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन, सीएसपी वारंगे ने सीढ़ियों पर बैठकर सुनी समस्या! 

1392

इप्का लेबोरेटरीज प्रबंधन के विरुद्ध फुटा श्रमिकों का गुस्सा, 7 दिन का अल्टीमेटम, प्रबंधन पर अभद्रता के अलावा और भी आरोप!

Ratlam : शहर के फोरलेन पर ग्राम अमलेठा फंटे पर स्थित इप्का लेबोरेटरीज के अस्थाई कर्मचारियों ने सोमवार दोपहर को हड़ताल कर दी। अपनी मांगों को नहीं मानने पर 200 से अधिक कलेक्ट्रेट में आकर धरने पर बैठ गए और कंपनी प्रबंधन और ठेकेदारों के खिलाफ 2 घंटे तक नारेबाजी की। तब एसडीएम एमके पांडेय, सीएसपी अभिनव वारंगे कर्मचारियों से बात करने आएं। फिर भी कर्मचारी कलेक्टर को बुलाने के लिए अड़ गए। तब सीएसपी अभिनव वारंगे कर्मचारियों की बात सुनने के लिए कलेक्ट्रेट की सीढीयो पर बैठ गए।

 

बता दें कि इप्का लेबोरेटरीज में काम करने वाले श्रमिकों ने कंपनी प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोला। श्रमिकों ने कंपनी पर प्रताड़ित करने सहित कई आरोप लगाए हैं। कंपनी में ठेका पद्धति में काम करने वाले कर्मचारियों ने एक-जुट होकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया। यहां इप्का के श्रमिक कर्मचारियों ने अपने वेतन, मानदेय और छुट्टी सहित अनेक मांगो को लेकर बड़ी संख्या में एकत्रित होकर कलेक्ट्रेट में धरना भी दिया।

 

इप्का लेबोरेटरीज के श्रमिक कर्मचारियों ने सुबह से ही इप्का लेबोरेटरी के सामने डेरा जमा लिया था उसके बाद यहां से सभी श्रमिक एकत्रित हुए और कलेक्ट्रेट पहुंचे यहां पर उन्होंने एसडीएम के सामने अपनी मांगे रखी और इसका प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। यहां पर करीब 2 घंटे से ज्यादा समय तक अधिकारियों की कर्मचारियों के साथ चर्चा हुई जिस पर अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन देखकर रवाना किया।

 

श्रमिकों द्वारा दिए गए ज्ञापन में बताया कि इप्का लेबोरेटरीज में 8 घंटे ड्यूटी देने के हमें 500 रु प्रतिदिन दिया जाए, केमिस्ट एवम कंपनी के गार्ड तथा सुपरवाइजर हमे 8 घंटे ड्यूटी करने के बजाए 12 घंटे ड्यूटी करने पर विवश करते हैं अगर हम इनका कहा नहीं मानते हैं तो ये हमसे अभद्र भाषा में बात करते हैं तथा हमारे आइडियंटी कार्ड छिनने का बोल कर हमे ब्लैक लिस्ट करवाने की धमकी देते हैं, हमें 8 घंटे की ड्यूटी चाहिए और ओवरटाइम इच्छा अनुसार होना चाहिए, सभी अस्थाई श्रमिकों का बीमा होना आवश्यक हों, कंपनी के अंदर किसी भी प्रकार की शारीरिक हानि या दुर्घटना घटित होने पर आर्थिक सहायता प्राप्त हो, कंपनी के अंदर स्टाफ एवम सुपरवाइजर हम सभी श्रमिकों से सम्मान पूर्वक बात करें ताकि हमें भी लगे की हम इंसान हैं तथा भारतीय हैं, कंपनी के अंदर कैंटीन में चाय नाश्ता व खाना बहुत खराब मिलता है जब अस्थाई श्रमिक आवाज उठाते हैं तो हमें चुप करा दिया जाता हैं।

 

कभी कभी बस वाले की गलती के कारण हम 5 मिनट लेट हो जाते हैं तो हमें यह लोग कंपनी के अंदर लेने से मना कर देते हैं तथा धक्के मार कर एवम मां बहन की गंदी गालियां देकर भगा देते हैं और कहते हैं की तुम साले कभी भी उठकर चले आते हो तुम्हारे बाप की कम्पनी हैं क्या।

 

ज्ञापन में बताया गया कि कंपनी के ब्लैकलिस्टेड हुए सभी श्रमिकों को ब्लैकलिस्ट से बाहर निकाले तथा उन्हें भी आजीविका चलाने का अवसर दे। कंपनी ने आउट मशीनें लगा रखी हैं जिनकी संख्या 5 है लेकिन उन में से 2 मशीनें ही सही चल रही हैं और 3 मशीनें खराब पड़ी हैं जिसकी वजह से हमें 5 मिनिट लेट छोड़ा जाता हैं जिसके कारण हमारी बस निकल जाती हैं और हम एक घंटा लेट हो जाते हैं।

 

हमारे आई कार्ड पर कोई प्रुफ नहीं है कि हम इप्का के मजदूर हैं। आई कार्ड पर प्रुफ दिया जाएं। प्रति 6 माह पर मजदूरों को नए सेप्टी शूज कंपनी की और से मुफ्त दिए जाए। आज हड़ताल पर आए हुए श्रमिकों को कंपनी की और से ब्लेकलिस्टेड नहीं किया जाए एवं इन्हें बंद नहीं किया जाए।

IMG 20240610 WA0143

अस्थाई श्रमिकों को महिने में 4 छुट्टी मिलनी चाहिए। जिसकी छुट्टी की राशि भी नहीं कटनी चाहिए। गेट नंबर 3 पर कंपनी के गार्ड हनुमान पाण्डे, मनीष राठौर, संजय शर्मा और रमेश पटेल, केपी राठौर, शरद शर्मा इनके द्वारा हम अस्थाई श्रमिकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता हैं। कंपनी को तुरंत इनके उपर कार्यवाहीं की जाना चाहिए। इसके साथ ही यह पहुंचे श्रमिकों ने चेतावनी दी की अगर हमारी मांगें 7 दिनों में पूर्ण नहीं की जाती है तो हम पुनः हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

IMG 20240610 WA0141

आपको बता दें कि इप्का लेबोरेटरीज प्रबंधन पर इसके पहले भी कई आरोप लग चुके हैं यहां पर कंपनी में सीधे नियुक्ति नहीं करना, ठेकेदारी पद्धति और श्रमिक कर्मचारियों के काम के समय को लेकर भी पहले कई आरोप लग चुके हैं लेकिन इस और ना ही प्रबंधन का ध्यान गया हैं और ना ही जिला प्रशासन द्वारा इसमें हस्तक्षेप किया जाता हैं। यहां काम करने वाले कर्मचारियों का बीमा तक नहीं किया जाता हैं।