गर्भाशय निकालने से महिलाओं को होने वाले दुष्प्रभाव पर कार्यशाला का आयोजन!

महिलाओं के मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य पर होता हैं विपरीत प्रभाव! सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए क्या किया जाए?o

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गर्भाशय निकालने से महिलाओं को होने वाले दुष्प्रभाव पर कार्यशाला का आयोजन!

Ratlam : अवांछित गर्भाशय को निकालने और उससे होने वाले दुष्परिणामों को रोकने को लेकर रविवार के लिए रविवार को रतलाम ऑब्सटेट्रिक्स एंड सोसायटी द्वारा फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया FOGSI एवं इंट्रीग्रेटेड एंड वेबलिंग lHW के साथ प्रिजर्व द यूट्रस कैंपेन का आयोजन किया गया। इसी के अंतर्गत रविवार को शहर की एक निजी होटल में संस्था द्वारा एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के बाद जनजागृति को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।

आयोजित वर्कशॉप में FOGSI के चेयरपर्सन डॉक्टर प्रियंकुर रॉय भी मौजूद रहें। कार्यशाला में डॉक्टर राय के अलावा जिले की महिला चिकित्सकों ने गर्भाशय के बचाव और उससे होने वाले दुष्परिणामों को लेकर जानकारियां दी।

वर्कशॉप में विशेष रूप से वरिष्ठ महिला चिकित्सक पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त डॉ लीला जोशी, डॉ डॉली मेहरा, डॉ आशा सराफ, डॉ सुनीता वाधवानी, तथा डॉ अदिति राठौर मौजूद थी जिन्होंने भी अपने अपने अनुभव सांझा किए।

डॉ अदिति राठौर ने बताया कि गर्भाशय महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण प्रजनन अंग होता हैं। जिसको किसी बिमारी की वजह से निकाला जाता हैं। इस ऑपरेशन की प्रक्रिया को हिस्टोरेक्टोमी कहा जाता हैं। इसमें फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, सर्विक्स तथा अन्य प्रजनन अंगों का निकालना हैं।

हमारे देश में कम उम्र की महिलाओं में भी गर्भाशय को निकालने के केसों में वृद्धि देखी गई हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि गर्भाशय निकालने से महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता हैं। आजकल अड़ोस-पड़ोस की महिलाओं की देखा-देखी थोड़ी सी शारीरिक परेशानी होने पर गर्भाशय निकलवा दिया जाता हैं और इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा हैं। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसान दायक हैं।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला चिकित्सक ने बताया कि आजकल गर्भाशय निकलवाने के अलावा भी कई तरह के विकल्प आ गए हैं। उपचार के माध्यम से भी इस तरह की परेशानी से निजात मिल सकती हैं। बहुत आवश्यक होने पर ही डॉक्टर गर्भाशय निकालने की सलाह देते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि गर्भाशय निकलवाने के बाद महिलाओं की हड्डियों में कमजोरी आने के साथ हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता हैं।

 *सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन आवश्यक!* 

प्रेस कांफ्रेंस में महिला चिकित्सकों ने कहा कि मुख्यतः महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 9 से लेकर 24 वर्ष तक की बच्चियों और युवतियों को चिकित्सक की सलाह पर उपलब्ध वैक्सीन लगाई जा सकती हैं। वर्कशॉप के दौरान डॉ. प्रियंकु राय, डॉ. लीला जोशी, डॉ. डॉली मेहरा, डॉ. आशा सराफ, डॉ. अदिति राठौर, डॉ. सुनीता वाधवानी, डॉ. जया मिश्रा (उज्जैन), डॉ. पुरोहित, डॉ. अनामिका अवस्थी सहित अन्य महिला डॉक्टर मौजूद थी।

देखिए वीडियो : क्या कह रही हैं लेडी डॉक्टर!