

World Book Day : Book Reviews :एक बूँद समंदर“ जमीन से जुड़ी हुई मार्मिक कथाएँ
– डॉ हरि जोशी
विगत दिनों मुझे मीनाक्षी दुबे का कहानी संग्रह “एक बूँद समंदर“ पढ़ने का सुयोग मिला| मीनाक्षी की सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे मालती जोशी की कहानियों का स्मरण हो आया | उन्होंने भी अधिकांश कहानियाँ पारिवारिक परिवेश से जुड़कर ही लिखी हैं | मात्र कल्पना के सहारे लिखी गई कहानियों में प्रभावोत्पादकता कम होती है ,परिवेशगत अनुभवों पर आधारित रचनाओं में ऐसा लगता है जैसे वे अपनी ही हों…!
मीनाक्षी दुबे देवास में रहती हैं और देवास तो साहित्यिक हस्तियों के लिए दशकों से पहचाना जाता रहा है | जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपना शीर्ष स्थान बनाकर रखा, उन पुराने दिग्गजों में नईम, प्रभु जोशी, जीवन सिंह ठाकुर आदि अनेक समादृत रहे हैं। वहीं आधुनिक रचनाकारों में प्रकाशकांत, ओम वर्मा, मनीष वैद्य, मीनाक्षी दुबे आदि पूरी ऊर्जा और तन्मयता से रचनाकर्म में सक्रिय हैं |
भूमिका में श्री राजेन्द्र दानी ने उचित ही लिखा है कि मीनाक्षी दुबे किसी भी पूर्ववर्ती कथाकार के प्रभाव में न रहकर स्वतंत्र सोच और शिल्प के साथ आपना रचना कर्म करती हैं | इन रचनाओं में स्वाभाविकता और पठनीयता इसीलिये है क्योंकि वे भोगे हुए अनुभवों को ही रूपायित करती हैं |
संग्रह की केन्द्रीय कहानी “एक बूँद समन्दर” में इंदिरासागर बाँध के कारण जो कष्ट आसपास के निवासियों को उठाने पड़े उसी का भुक्त-भोगी वर्णन है | इसीलिये कथा मार्मिक और प्रवाहपूर्ण बन गई है | एक बार शुरू करने के बाद पाठक उसे पूरी पढ़ना चाहता है | यही कहानी सबसे लम्बी भी है |
शेष तेरह कहानियाँ भी उसी परिवेश की हैं जिसमें रचनाकार गहराई तक रचा बसा है |
तरल कथा में एक नारी का संघर्ष है जिसमें उसे विभिन्न रंगों से दोचार होना पड़ता है| उसका मार्मिक अंश एक वाक्य में समाहित कर लिया गया है जिसमें वह महसूस करती है कि बुआ, काकी, मामी आदि, यहाँ तक कि माँ के संबोधन से गुजरने और पुकारे जाने के बाद, भी उसे अपनापन नहीं मिला| जब उसका नाम लेकर पहली बार किसी ने पुकारा तब वह ह्रदय से आल्हादित हो उठी और अपने-आप-को खोजने चल पड़ी|
इंदौर और देवास के बीच यात्रा करती कथा “फेयर ड्राफ्ट” है | जिसमें एक छात्रा जिसका सप्ताह में तीन बार डायलिसिस होता है, वह शिक्षिका बनना चाहती है। जिसे इस बात का भी दुःख है कि उम्र में उससे छोटा लड़का जिसका भी डायलिसिस होता था, बेचारा अब स्वर्ग सिधार गया है। कथा के सार संक्षेप में वह छात्रा कह उठती है,जीवन भले ही छोटा हो मुकम्मिल होना चाहिए। उसे बड़ी सार्थकता लिए होना चाहिए | यह जीवन का महत्वपूर्ण सन्देश है |
“आधा चाँद “ पारिवारिक विकृति का वर्णन करती कथा है जिसमें घर के बड़े लोग भी अत्याचार करने में पीछे नहीं रहते , परिणाम स्वरुप घर की एक विधवा नारी के सिर पर चोट का निशान “आधा चाँद“ के रूप में विद्यमान है | इसी पृष्ठभूमि पर कहानी है, “बिना छत वाला घर”। इस तरह “आधा चाँद“ और “बिना छत वाला घर “ ये दोनों कहानियांँ लगभग समान भाव-भूमि पर लिखी गई हैं लेकिन दोनों का शिल्प एक दम अलग हे।
“पीले पत्ते की थिरकन” में कभी नृत्य कला में कुशल प्रौढ़ा का मन मयूर भी नाच उठता है | वह भी थिरकने की इच्छा सँजोने लगती है और इसमें खरी भी उतरती है।
इस तरह संग्रह “एक बूँद समंदर“ में चौदह कहानियाँ संकलित हैं| प्रत्येक कहानी रचनाकार के आसपास की अनुभूत परिस्थितियों पर केन्द्रित है | कथाओं के पात्रों के विश्वास, उल्लास और आकाँक्षाओं के इर्द-गिर्द सारी कहानियाँ घूमती दिखाई देती हैं। सभी मौलिकता लिए हैं , पठनीय भी इसीलिये पाठक को पकड़कर रखती हैं |
मैं कथाकार के इस उन्मेष शील प्रयत्न का स्वागत करता हूँ और आशा करता हूँ कि भविष्य में वह और अधिक ऊर्जावान होकर उभरेंगी |
समीक्षक – डॉ हरि जोशी,भोपाल- ४६२०२२ (म.प्र.)
कथाकृति = एक बूँद समन्दर
कहानीकार- मीनाक्षी दुबे
बोधि प्रकाशन जयपुर
पृष्ठ संख्या- १२४
पुस्तक मूल्य- १५० रुपये