World Hindi Day: विश्व हिंदी दिवस: मां सदृश अपनी हिंदी -भाग एक

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1 .मां सदृश अपनी हिंदी

हम अपनी हिंदी का
हर पल सम्मान करे
अपनी प्यारी हिंदी का
नित अभिमान करें।।

स्वर व्यंजन के सुरो से
नव प्रभात स्वागत करें
बारह खड़ी की रसधार
पूरे दिन अमृत धार रहे।।

सुख दुख मे अपनी हिंदी
उंगली पकड़कर साथ चले
अंधकार की कठिन राह मे
ध्रुव तारे सा प्रदीप बने।।

मां सदृश अपनी हिंदी
गोद हमे सदैव लिए रहे
हिंदी के शब्द अक्षरो के
सुरभित हार पहने रहे।।

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मां सरस्वती आशीष दे
निज भाषा सम्मान करे
अपने जीवन संग सदैव
अपनी भाषा हृदय धरे।।

ज्ञान के अतल गहरे सागर
गोते अवश्य लगाते रहें
पर अपनी हिंदी की नाव
सही दिशा चलाते चलें।

वन्दिता श्रीवास्तव इन्दौर म प्र

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बड़ी है न्यारी

हिन्दी नहीं कोई निर्बल भाषा
यही है हमारी प्यारी भाषा।

मातृभाषा हिन्दी बड़ी है न्यारी
सबके मन की यह राजदुलारी।

हम सब हिन्दस्तानी तभी कहलाएंगे
हिन्दी की पताका ऊंची लहराएंगे ।

हिन्दी भाषा तो बहुत समृद्ध
जिसमें सूर ,तुलसी,टैगोर प्रबुद्ध ।

हिन्दी देश का स्वाभिमान है
हिन्दी देश की पहचान है ।

हिन्दी के दीपक को जगमगाना
पराई भाषा पर नहीं इतराना।

हिन्दी में वार्तालाप होना चाहिए
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहिए ।

हमारा देश हिन्दी प्रधान हो
हिनदी अस्तित्व की पहचान हो ।

नीति अग्न्होत्री
इंदौर (म.प्र.)

 

हिंदी मेरी मातृ भाषा
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हिंदी नहीं सिखाती मां तो?,हरदम मन में विचार,
कैसे पढ़ते जिनवाणी माँ को?कैसे पाते सदविचार?

विश्व मेले बीच,खो गई मेरी भाषा हिंदी,
हम सोचें जरा सा,क्या फीकी तो नहीं पड़ रही ये राष्ट्र की बिंदी?

नवींन राष्ट्र में चले गए तो क्या? हिंदी की पहचान बनाना,
हिंदी भाषा , माँ भारती की,शीर्ष बिंदी स्वरूप लगाना।

भाषा हिंदी मेरे दिल की ,*हिंदी मधुरम,हिंदी शिखरम,
भारतीयता की जीवंतता,बच्चा बच्चा हो शरणम।
प्रभा जैन, इंदौर