World Record : जैन संत अजीत चन्द सागर जी ने फिर बनाया विश्व रिकॉर्ड!

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World Record : जैन संत अजीत चन्द सागर जी ने फिर बनाया विश्व रिकॉर्ड!

1 हजार प्रश्नों को क्रमबद्ध दोहराकर जैन संत की क्रिया और साधना से किया चकित!

महाराष्ट्र के स्कूलों में पाठ्यक्रम में सम्मिलित!

म.सा. को सहस्त्रावधानी से किया अलंकृत!

Ratlam : जैन समाज सदैव अपने कार्यों से विश्व को चकित करते आ रहा हैं ऐसा ही क्षण मुंबई के GMCI सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में 12 हजार से अधिक जनमैदनी के समक्ष घटित हुआ। जिसमें सागर समुदाय के पटधर परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्री नरदेव सागर सूरी जी मसा की पावनकारी निश्रा में अज्ञानुवर्ती परम पूज्य आचार्य देवेश श्री नयचंद सागर जी मसा के कृपा पात्र शिष्य युवा गणिवर्य डॉ अजीतचन्द सागर मसा ने सहस्त्रावधान 1 हजार प्रश्नों को क्रमबद्ध दोहराकर जैन संत की क्रिया और साधना से चकित कर दिया।

उनकी इस अविस्मरणीय साधना से प्रेरित होकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे ने पूज्य श्री द्वारा चलाई जा रही साधना पद्धति को महाराष्ट्र के स्कूलों में बच्चों के मेमोरी पॉवर को बूस्ट करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की घोषणा की।

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इस ऐतिहासिक पल के साक्षी के रूप में जैन संघ के विभिन्न समुदाय के कई आचार्य भगवंत एवं साधु साध्वी के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भैयाजी जोशी सहित महाराष्ट्र हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, भारत सरकार के जीवजंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य श्री गिरीश शाह एवं कई आईएएस और आईपीएस, न्यूरोसाइंस ऑफ मैडिटेशन टीम के डॉ सुधीर शाह की टीम एवं फिल्म इंडस्ट्री के निर्माता निर्देशक सुभाष घई, महावीर जैन जैसी हस्तियों ने भी इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर इस अविस्मरणीय घटना के साक्षी बने।

डॉ. अजीत चंद्र सागर जी महाराज को 1 हजार अवधान पूरे करने पर पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तांतेड़ द्वारा “सहस्रवधानी” की उपाधि प्रदान की गई।

पूज्य आचार्य श्री नयचंद्र सागर सूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन में उन्होंने छोटी उम्र से ही स्मरण शक्ति में असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया, जिसकी परिणति ऐतिहासिक सहस्रवधान 1 हजार अवधान के रूप में हुई।

सहस्रवधानी डॉ. अजीत चंद्र सागर जी महाराज ने कहा, “आज का दिन न केवल मेरी यात्रा में बल्कि मानवीय उपलब्धियों के क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हैं। सहस्रवधान पूरा करना, मौके पर 1 हजार चीजों को याद करना, मेरे समर्पण और ध्यान शक्ति का गहन परीक्षण रहा है। मैं इस उपलब्धि से अभिभूत हूं और अपने गुरु के मार्गदर्शन और उन सभी लोगों के समर्थन के लिए आभारी हूं जिन्होंने मेरे साथ इस क्षण को देखा और मनाया।”

सरस्वती साधना अनुसंधान फाउंडेशन कर्नाटक के कुर्ग में स्थित जैन मंदिर जीरा वाला धाम और सरस्वती माता मंदिर का निर्माण पूरा होने वाला हैं।

कार्यक्रम में विविध प्रकार के प्रश्न पूछे गए, जिनमें चुनौतीपूर्ण गणितीय प्रश्न, उद्धरण और कविताएं शामिल थीं, जिनका डॉ. अजीत चंद्र सागर जी महाराज ने विस्तृत उत्तर दिया। कार्यक्रम का एक दिलचस्प पहलू संयुक्त ध्यान था, जहां उनके चारों ओर एक साथ 15 प्रक्रियाएं घटित हुईं, जो उनके असाधारण ध्यान और संज्ञानात्मक कौशल को प्रदर्शित करती हैं।

इसके पूर्व भी यह सहस्त्रावधान की क्रिया आज से ठीक 650 वर्ष पहले एक जैन संत मुनिसुन्दर सूरि जी म सा द्वारा विश्व रिकॉर्ड के रूप में अंकित हैं।

जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ भंडारी ने बताया कि पूज्य आचार्य श्री नयचंदसागर जी मसा एवं सहस्रावधानी गणिवर्य श्री अजीत चन्द सागर जी मसा आदि ठाना 24 का आगामी चातुर्मास रतलाम में ही होना तय है।

इस अवसर पर रतलाम देवसूर तपागच्छ जैन श्री संघ अध्यक्ष विनोद मूणत, मोहनलाल कांसवा, मेघ कुमार लुनिया, गणतंत्र मेहता, उत्तम कटकानी, सचिन कांसवा भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनें और रतलाम की धर्मप्रेमी जनता को पूज्य श्री के चातुर्मास की तैयारियों में जुटने की अपील भी की।