

World Sparrow Day: गौरैया पर तीन कवितायेँ
नन्हीं चिड़िया गौरैया की घटती आबादी को लेकर हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे यह मंशा है कि सभी लोग गौरैया की घटती संख्या के प्रति जागरूक हों और गौरैया संरक्षण अभियान में शामिल हों। इस मौके पर आज पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा गौरैया पर गीत और कवितायें आमंत्रित की गई थी ,चयनीत तीन कवितायें यहाँ हम पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं —
मेरा भी था इक संसार!
मैं गौरैया रानी ।
दुनियां से अनजानी।
मुझको अपनी दुनियां
लगती बड़ी सुहानी।।
सूरज की किरणों के संग ही
चहक चहक उठ जाती।
सही समय पर काम है करना,
बच्चों को सिखलाती।
ना चाहूं मैं पिज्जा बर्गर ,
अपना भोजन खाती।
थोड़ा थोड़ा खाकर मैं फिर ,
उड़कर उसे पचाती।
लालच नहीं तनिक भी मुझमें
ठूंस ठूंस ना खाती।
चाहे कितना भी दाना हो
बस थोड़ा सा ले जाती।।
भरती हूं उड़ान ऊंची पर
कभी नही इतराती।
वृक्षों की छाया में रहती,
ना कोई हानि पहुंचाती।।
परन्तु
“मैं गौरैया नन्ही जान!”
आधुनिकता
चढ़ी है परवान
ले अब मान ।
पर्यावरण
हुआ संतप्त
मैं गौरैया हुई अस्त ।
कटते वृक्ष
ले ली हमारी दम
क्या करें हम?
छीन ली मेरी
चहचहाती सी धुन
क्यों न तू सुन ?
हौंसले मेरे
आसमान से ऊंचे
समझ ले तू।
आया कोरोना
प्राणवायु अभाव
हो गया रोना।
प्रकृति रूठी
शान तेरी झूठी
मिटाया हमें।
आया समय
बन तू संरक्षक
मत हो भक्षक।।
~•संजू पाठक
अब न जाना गौरैया...
जब से हमने घर को बढ़ाया
आंगन में से पेड़ हटाया
गौरैया,तुम अब ना दिखतीं
मन व्याकुल व्याकुल हो जाया
स्वस्थ पर्यावरण का प्रतीक तुम
पंखे पर ही बैठ गईं तुम
आज अचानक घर में आई
चहकना क्यों भूल गईं तुम
घर में ही रह जाना अब तुम
खूब चहको तुम,खूब फुदको तुम
बाहर है कोई मोटा पक्षी
दाना -पानी खूब पियो तुम
तुमसे है जीवन में मधुरता
कार्य क्षेत्र में आए सफलता
लक्ष्मी का तुम रूप एक हो
नातिन का है मन हर्षाता
श्रद्धा जलज घाटे
“आजा री गौरैया”
आजा री गौरैया आजा री
एक झलक दिखलाजा री
ऐसी तू क्यों रूठ गई है
दूर कहीं क्यों चली गई है?
सुबह-सुबह खिड़की पर आती थी
रोज हमको जगाती थी,
पंख फड़फड़ा कमरे में चक्कर लगाती थी
तेरे बिन खिड़की सूनी लगती है
तेरी कटोरी आहें भरती है ।
घर के बगीचे में बना दिया है तेरा आशियाना
सकोरे में रख दिया है पानी और दाना
जब तू आएगी दाना खाएगी
पंख फड़फड़ा खुश हो मेरी पोती ताली बजाएगी नाचेगी झूम-झूम गाएगी
मेरी गौरैया आ गई
प्यारी गौरैया आ गई
तेरे आने से घर महक उठेगा
तेरी चहचहाहट से घर चहकउठेगा
आजा री गौरैया आजा री
आकर गीत सुना जा री
आशा जाकड़
डाॅ. मुरलीधर चाँदनीवाला की दो कवितायेँ