विश्व आदिवासी दिवस 2023: आदिवासी ही इस देश के मूल निवासी

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विश्व आदिवासी दिवस 2023: आदिवासी ही इस देश के मूल निवासी

आदिवासी समाज जिला कोर कमेटी अलीराजपुर के सदस्य,आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास) जिला अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता भंगुसिंह तोमर का कहना है कि आदिवासियों के मानव अधिकार को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने एक कार्य दल के UNWGIP (united nation working group of indigenous population) उप आयोग का गठन किया गया है। जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी, इसलिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा अपने कार्यालय में एवं अपने सदस्य देशों को भी इसे मनाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवास रत आदिवासी समाज अपनी उपेक्षा बेरोजगारी, भूखमरी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं। 1993 में UNWGIP कार्यदल के 11वें अधिवेशन में आदिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को आदिवासी वर्ष एवं 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया गया।

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आदिवासियों को हक़ अधिकार दिलवाने और उनकी समस्याओं के निराकरण करने जैसे भाषा, बोली,रीति रिवाज एवं सांस्कृतिक इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के द्वारा 9 अगस्त 1994 को जिनेवा शहर में विश्व के आदिवासी प्रतिनिधियों की उपस्थिति में विश्व का प्रथम अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस आयोजित किया गया हैं।

आदिवासियों की भाषा, बोली, परम्पराएँ ,वेश भूषा, वाद्य यंत्रों एवं संस्कृति तथा उनके हक अधिकारों के लिए सभी सदस्यों देशों ने एक मत होकर स्वीकार किया गया तथा उनके सभी हक अधिकार बरकरार रखे जाने की पुष्टि की गई ।संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा यह वचन आदिवासियों को दिया गया कि वह हमारे साथ हैं।

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संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसम्बर 1994 से 20 दिसंबर 2004 तक प्रथम आदिवासी दशक और प्रत्येक वर्ष के लिए 9 अगस्त को international day of words indigenous people (विश्व आदिवासी दिवस) मनाने का फैसला लिया गया,और विश्व के सभी देशों को मनाने के लिये निर्देशित किया गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पिछले 29 वर्षो से निरन्तर विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा हैं। किन्तु भारत के मूल निवासी आदिवासियों को इसकी अभी भी व्यापक जानकारी नहीं है | सरकारों ने आदिवासियों के साथ धोखा करते हुए इस दिन के बारे में आज तक सरकारी तौर पर किसी को नहीं बताया गया, और ना ही आज तक विश्व आदिवासी दिवस को मनाये जाने के लिए प्रेरित किया गया है।

बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने पुनः16 दिसम्बर 2004 से 15 दिसंबर 2014 तक दूसरा आदिवासी दशक घोषित किया गया । इसके बावजूद सरकार की और से अभी भी कोई पहल नही की गई है।आदिवासी समाज के लोग के द्वारा लम्बे समय से सरकार से विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शासकीय अवकाश घोषित करने की मांग की जा रही है। लेकिन आज भी सरकार धोखा ही दे रही है।

संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई, इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है, तथा वर्तमान में 193 देश इसके सदस्य हैं।भारत संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) का 30 अक्टूबर 1945 से सदस्य देश हैं।

सरकारों की साज़िशें हैं कि देश के मूल मालिक आदिवासी संगठित ना हो, 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा वर्ल्ड इंडिजिनियस डे मनाया जा रहा हैं indigeonius का मतलब होता हैं मूल निवासी जो आदिकाल से निवास करने वाला मूल मालिक आदिवासी है | भंगुसिंह तोमर कहते है कि हमारे लोगों से ही भेदभाव या अनदेखा करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ को कहा गया हैं कि भारत में आदिवासी नहीं जब की इस देश का मूल मालिक आदिवासी ही है। आदिवासी शब्द को मिटाने के लिए सरकार वनवासी, जनजाति, अलगाववाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर आदिवासी को बिखरने का षड्यंत्र कर रही हैं।

भारत के असली मूलनिवासी के बारे में विज्ञान के अकाट्य DNA TEST की रिपोर्ट टाइम ऑफ इंडिया में 21 मई 2001 में छपी थी इसके अनुसार आदिवासी ही इस देश के मूल निवासी है।