छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: वन विभाग के साहब बोले आलोक चतुर्वेदी (पज्जन) हैं ऑल टाइम विधायक, अब इन्हें कौन हरा पायेगा, अब नहीं हारने वाले कभी..
छतरपुर शहर में तेंदुआ पकड़ने गये साहब राजनीति पर चर्चा करते दिखे जहां वह अपने अन्य बड़े अधिकारियों को कांग्रेस से क्षेत्रीय विधायक आलोक चतुर्वेदी (पज्जन) के बारे में चर्चा कर रहे थे और कह रहे थे कि विधायक जी ऑल टाइम विधायक हैं। अब इन्हें कौन हारा पायेगा, अब नहीं हारने वाले कभी, वो मुफ्त यानि एक रूपये में लोगों को भरपेट भोजन करा रहे हैं, बड़ा हॉस्पिटल भी खोलने जा रहे हैं जहां 11 रूपये का एक्स-रे और 21 रुपये में सभी जांचें की जायेंगी और इलाज भी बहुत सस्ते में होगा और ये सिर्फ इसलिये कि लोगों को ये न लगे कि खैरात में मिला रहा है सब.
देखिये वीडियो: क्या कह रहे हैं, वाय एस परमार (SDO वन विभाग)-
(नोट: वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि मीडिया वाला नहीं करता है)
●तेंदुआ भूल राजनीति की चर्चा में साहब..
सिर्फ 100 फ़ीट दूर मौजूद तेंदुए को पकड़ना भूलकर फॉरेस्ट एसडीओ मौके पर ही अफसर-अधीनस्थों को बता रहे हैं कि क्यों अब छतरपुर में कांग्रेस विधायक को कोई नहीं हरा पाएगा..
छतरपुर: शहर में 4 दिनों से तेंदुआ की दहशत है। तेंदुआ के बेखौफ घूमने के अनेक वीडियो वायरल हो चुके हैं। शनिवार को पन्ना रोड पर पैराडाइज सिटी में तेंदुआ लोकेट होने पर यहां वन अमला रेस्क्यू करने पहुंचा। यहां एसडीओ फॉरेस्ट वायएस परमार ने रेस्क्यू पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया, बल्कि राजनीतिक गपशप में लग गए।
एसडीओ फॉरेस्ट वाय.एस. परमार वन अफसर और कर्मचारियों को बता रहे है कि कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी को अब छतरपुर में कोई नहीं हरा पाएगा। अब भला कोई इन्हें पूछे कि आप तेंदुए को पकड़ने और रेस्क्यू करने गए थे कि राजनीतिक चर्चा करने के लिए मौके पर गए थे। जब तेंदुआ महज चंद फ़ीट की दूरी पर मौजूद हो और मौके पर मौजूद वन विभाग का एसडीओ वहां कुर्सी पर बैठकर राजनीति में मशगूल हो तो भला तेंदुआ कैसे पकड़ा जा सकता था। और हुआ भी वही, तेंदुआ का वन विभाग पता नहीं लगा सका है और छतरपुर की जनता दहशत में है।
●अशोक चक्र लगाकर रहते थे विराजमान..
ये वही एसडीओ हैं, जो अपनी ऑफिस की कुर्सी पर अशोक चक्र लगाते थे। इसके बाद भी नौकरी से बर्खास्त नहीं किए गए हैं। पिछले 20 साल की सर्विस में इनका ज्यादातर समय छतरपुर में ही बीता है। इन्हें हाल ही में अनियमितता के आरोप में निलंबित भी किया गया था, लेकिन बहाल होते ही दोबारा छतरपुर में पदस्थ हो गए। आखिर ऐसे लापरवाह अफसरों को छतरपुर में बार-बार पदस्थ क्यों कर दिया जाता है।