Indore : इंदौर नगर निगम के महापौर के चुनाव प्रचार के लिए अब आखिरी सप्ताह बचा है। इस सप्ताह बड़े नेताओं के दौरे होंगे और हर वो चुनावी हथकंडे अपनाए जाएंगे, जो चुनाव जीतने के लिए जरुरी समझे जाते हैं! ऐसे में सोशल मीडिया खुद के प्रचार और प्रतिद्वंदी पर हमले का वो हथियार है जिसके पीछे कोई नजर नहीं आता! लेकिन, कई बार नासमझी में तीर उस दिशा में चल जाता है, जहां से बचने की कोशिश की जाती है। इंदौर का महापौर चुनाव भी अब इस दौर में पहुँच गया कि सोशल मीडिया पर भी छुपकर वार होते दिखाई देने लगे।
भाजपा के महापौर पद के उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव के समर्थकों ने कांग्रेस के महापौर उम्मीदवार संजय शुक्ला पर कुछ ऐसा हमला किया कि वो भाजपा नेताओं पर ही जा लगा! सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक खबर में संजय शुक्ला और उनके परिवार के पैतृक कारोबार पर उंगली उठाई गई। कहा गया कि शहर को क्या ‘शुक्ला ब्रदर्स’ बनाना है या ‘बाणेश्वरी!’ क्या नगर निगम की कचरा गाड़ियां भी ‘बाणेश्वरी’ की ही चलवाना है!
संजय शुक्ला ने भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव के बारे में कहा था कि वे जनता के नहीं सरकार के लिए वकालत करते थे! इसलिए वे जनता के मित्र तो हो ही नहीं सकते! इस टिप्पणी से बिफरकर भाजपा की IT Team ने हमला किया। लेकिन, इसमें बड़ी गलती वो हो गई कि भाजपा की IT Team ने जो वायरल किया, उससे भाजपा के वरिष्ठ नेता विष्णुप्रसाद शुक्ला ‘बड़े भैया’ और उनके भाजपा नेता बेटे गोलू शुक्ला निशाने पर आ गए। सीधे शब्दों में कहा जाए, तो भाजपा की टीम ने भाजपा नेता पर ही तीर चलाकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया।
‘शुक्ला ब्रदर्स’ ‘और ‘बाणेश्वरी’ ये दोनों ब्रांड व्यवसाय ‘बड़े भैया’ और गोलू शुक्ला के हैं और ये इनका बहुत पुराना कारोबार है। बताते हैं कि संजय शुक्ला का इस कारोबार से सीधे कोई जुड़ाव नहीं है! उनके नाम पर न तो कोई क्रेन है, न कोई बस और न कोई डंपर! भाजपा IT Team ने इन्हीं कामकाज को निशाने पर लिया है। लेकिन, इससे इसी परिवार के दो भाजपा नेता ही प्रभावित हुए हैं।
भाजपा के कई बड़े नेताओं ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि IT Team को पार्टी के अपने ही नेताओं पर ऐसे आक्षेप नहीं लगाना चाहिए! ‘बड़े भैया’ का पार्टी बहुत सम्मान करती है। जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, उसके खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाएं तो एक हद तक ठीक है! लेकिन, बड़े भैया के परिवार पर आरोप नहीं लगाए जाने थे।
भाजपा की तरफ से वायरल हुई इस पोस्ट में कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला पर सीधी कोई टिप्पणी नहीं है, बल्कि उनके पिता और भाई को निशाना बनाया गया है। ये पोस्ट एक खबर के रूप में रूप में लिखी गई, पर कई जगह वो आरोप की भाषा में बदल गई। अब देखना है कि इसके जवाब में कांग्रेस की कौनसी पोस्ट सामने आती है!
महापौर पद की राजनीति ‘बड़े भैया’ के आसपास
देखा जाए तो महापौर चुनाव की राजनीति विष्णुप्रसाद शुक्ला ‘बड़े भैया’ के आसपास ही घूम रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के महापौर पद के प्रत्याशियों संजय शुक्ला और पुष्यमित्र भार्गव ने ‘बड़े भैया’ का आशीर्वाद लेकर ही चुनाव प्रचार की शुरुआत की। ‘बड़े भैया’ ने भी दोनों को जीत का आशीर्वाद दिया। लेकिन, उसके बाद दोनों के बीच सियासी बाण चलना बंद नहीं हुए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता विष्णु प्रसाद शुक्ला की दो पहचान है। एक, कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार से पहले उनका आशीर्वाद लिया। दूसरी पहचान यह कि कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला इन्हीं के बेटे हैं। चुनाव अभियान शुरू करने से पहले बेटे संजय ने स्वाभाविक रूप से अपने पिता का आशीर्वाद लिया। ‘बड़े भैया’ भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए महापौर पद के भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने भी उनका आशीर्वाद लिया। पुष्यमित्र ने पोता बनकर लिया ‘बडे़ भैया’ का आशीर्वाद लिया। लेकिन, अब बेटे और पोते के बीच सियासी बयानों के बाण छोड़े रहे हैं।
बीमार थे, तब कहां थे पोते!
भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने अपना चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले विष्णु प्रसाद शुक्ला ‘बड़े भैया’ का आशीर्वाद लिया और उन्हें अपना दादाजी बताया। इस पर उनके बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने कहा कि जब मेरे बाबूजी बीमार थे, अस्पताल में भर्ती थे, तब ये कहां थे। अब चुनाव है, इसलिए पोता बनकर आ गए। उस समय तो प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अस्पताल के पास तक आकर चले गए थे। लेकिन, उन्हें भी ये याद नहीं आई कि मेरे बाबू जी से मिल लें। मेरे बाबूजी की इंदौर में कई भाजपा नेताओं को खड़ा करने उन्हें स्थापित करने और चुनाव लड़ाने में बड़ी भूमिका रही है। अब हालत ये है कि भाजपा के नेता चुनाव के समय पर बाबूजी के पास आकर चरण स्पर्श कर जनता मैं भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं।