New Delhi : NIA की विशेष अदालत ने आतंकी फंडिंग के मामले में दोषी करार जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई।
साथ ही दस लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन को 19 मई को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत सभी आरोपों का दोषी ठहराया था।
किसी प्रकार की अप्रिय घटना न होने पाए, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर घाटी में पैनी नजर बनाए हुए हैं। यासीन मलिक के केस की सुनवाई के चलते पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई।
यासीन मलिक ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोप स्वीकार कर लिए, इसके बाद ही NIA के स्पेशल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया।
हुर्रियत नेता और प्रतिबंधित संगठन जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में अदालत ने दोषी ठहराया।
इन मामलों में सुनाई गई सजा
यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उसे 9 मामलों में सजा सुनाई गई है।
– UAPA की धारा- 13 के तहत पांच साल।
– UAPA की धारा-15 और 16 (आतंकवादी अधिनियम) के तहत दस साल की सजा।
– UAPA की धारा-18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
– UAPA की धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
– UAPA की धारा-38 और 39 के तहत पांच साल की सजा व पांच साल का जुर्माना।
– IPC की धारा-120B (आपराधिक साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
– IPC की धारा-121A (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना) के तहत दस साल की सजा व दस हजार का जुर्माना।
– IPC की धारा 121A (देशद्रोह) के तहत दस साल की सजा।
यासीन मलिक पर आरोप
यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था। उसने इस मामले में अपना गुनाह भी कबूल कर लिया।
सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा।