हां यह सामाजिक क्रांति है…

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हां यह सामाजिक क्रांति है…

आज 10 जून 2023 है। आज शनिवार का दिन है। यह तारीख मध्यप्रदेश के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज होने वाली है। वजह यह कि आज यानि 10 जून 2023 को मध्यप्रदेश के 52 जिलों में एक करोड़ 25 लाख 6 हजार 186 महिलाओं के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपए जमा हो जाएंगे। मध्यप्रदेश सरकार यह राशि जमा कराएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोच से उपजी “लाड़ली बहना योजना” में अब इन सभी लाड़ली बहनों को हर महीने की 10 तारीख को एक-एक हजार रुपए महीना का यह उपहार हमेशा मिलता रहेगा। यह राशि इसलिए कि जरूरतमंद बहनें साल भर में मिले यह 12 हजार रुपए का उपयोग कर अपने वह काम पूरे कर सकें, जो अभी तक पैसे के अभाव में अटक जाते थे और बहनों को अपनी निर्धनता पर मन मसोसकर रह जाना पड़ता था।
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एक जरूरतमंद बहन के खाते में एक हजार रुपए महीना की यह राशि संजीवनी साबित होगी। और शनिवार को खाते में पहली बार जमा होने वाली यह राशि हमेशा ही बहनों के खाते में आती रहेगी, यह बात भी तय है क्योंकि शनि महाराज न्याय के देवता हैं और जरूरतमंद के साथ न्याय इसी में है कि उनका हित हमेशा सधता रहे। किसी ने सही ही लिखा है कि “भीड़ हमेशा तमाशा देखती है, क्रांति तो एक ही व्यक्ति लाता है।” तो मध्यप्रदेश में यह क्रांति लाने का श्रेय फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। दादा धर्माधिकारी ने कहा कि “क्रांति में महत्व सामजिक परिवर्तन का है, न कि संघर्ष और रक्तपात का।” तो मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ की आबादी में महिलाओं की आबादी करीब चार करोड़ है और इसमें से सवा करोड़ महिलाओं की हर महीने एक-एक हजार रुपए की आर्थिक मदद एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन को इंगित करता है। और यह सामाजिक परिवर्तन वास्तव में सामाजिक क्रांति ही तो है।
वैसे यह बात तो सभी को स्वीकार करनी पड़ेगी और मध्यप्रदेश का दस्तावेजी इतिहास इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में गरीब उत्थान, समाज उत्थान और महिला सशक्तिकरण की जो योजनाएं क्रियान्वित हुई हैं, वह सामाजिक परिवर्तन में मील का पत्थर बन गई हैं। महिला सशक्तिकरण की योजनाओं का जिक्र करें तो लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मेधावी विद्यार्थियों की फीस सरकार द्वारा भरे जाने की योजना, महिलाओं को पंचायत चुनावों और नौकरियों में आरक्षण देने की योजना जैसी कई योजनाएं इस बात की गवाह हैं कि शिवराज ने मामा होने के नाते भांजियों और बहनों की चिंता बखूबी की है।
भाजपा सरकार और संगठन में अब बदलाव यानि भटकाव...
और शिवराज के इन नवाचारों को दू‌सरे राज्यों ने भी अपनाया है। और इस दिशा में बढ़ा शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार का सबसे बड़ा कदम साबित होने जा रहा है, लाड़ली बहना योजना। जब मध्यप्रदेश के 52 जिलों की सवा करोड़ से ज्यादा लाड़ली बहनों के बैंक खाते में एक-एक हजार रुपए की राशि भाई का फर्ज निभाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऑनलाइन एक क्लिक से जमा करेंगे, तो यह अपने आप में एक मिसाल बन इतिहास में दर्ज हो जाएगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह सिलसिला लगातार जारी रहने वाला है। इसके लिए तीन साल का बजट स्वीकृत हो चुका है। जिन पात्र महिलाओं के बैंक खातों में यह राशि जमा कराई जा रही है, वह वास्तव में यह भेंट पाकर जीवन की कठिनाईयों पर जीत हासिल करने का सपना देख सकेंगी। और इसीलिए यह दावे सौ फीसदी सच हैं कि यह लाड़ली बहना योजना सामाजिक क्रांति है, तो इन गरीब परिवारों के लिए आर्थिक क्रांति भी है। क्योंकि यह मध्यप्रदेश के लाखों परिवारों के जीवन में समग्र बदलाव लाने वाली क्रांति साबित होगी। यह योजना मध्यप्रदेश के सामाजिक परिवेश में मील का पत्थर बन लाखों जरुरतमंद परिवारों को मंजिल तक पहुंचाने में हमसफर बनेगी, राह भी दिखाएगी और हौसला भी बढ़ाएगी। और भांजियों के मामा संग पांव पांव वाले भैया की ब्रांड इमेज अब करोड़ों बहनों के लाड़ले भैया के रूप में देश और प्रदेश के इतिहास में दर्ज हो जाएगी।
आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश के सभी 52 जिलों में एक करोड़ 25 लाख 6 हजार 186 पात्र महिलाओं को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिलेगा। यह बहुत बड़ी संख्या है, जो जरूरतमंद परिवारों की बात करें तो सामाजिक क्रांति की दिशा में शिवराज सरकार का बड़ा कदम है। इसमें एक परिवार की एक से ज्यादा महिलाएं शामिल होने पर भी लाभांवित होने वाले परिवारों की संख्या 75 लाख परिवारों से ज्यादा ही होगी। इतने परिवारों को लाभ मिलना एक समग्र और आमूलचूल परिवर्तन ही है, जो सामाजिक-आर्थिक क्रांति ही माना जाएगा। इंदौर जिले में 4 लाख 39 हजार 222, सागर जिले में 4 लाख 13 हजार 295 और रीवा जिले में 4 लाख 280 लाड़ली बहना पात्र हैं। यह तीन जिले लाड़ली बहनों की संख्या के हिसाब से सबसे आगे हैं।  11 जिले ऐसे हैं, जहां लाड़ली बहनों की संख्या 3 से 4 लाख के बीच है। इन जिलों में उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, धार, भोपाल, बालाघाट, मुरैना और सतना शामिल हैं। 20 जिलों में लाड़ली बहनों की संख्या 2 से 3 लाख के बीच है।
इनमें कटनी, खंडवा, गुना, टीकमगढ़, दमोह, देवास, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, बड़वानी, बैतूल, भिंड, मंदसौर, रतलाम, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, शिवपुरी, सिवनी, सीधी और सीहोर जिले शामिल हैं। 16 जिले अनुपपुर, अलीराजपुर, अशोकनगर, आगर मालवा, उमरिया, झाबुआ, डिंडौरी, दतिया, नीमच, पन्ना, बुरहानपुर, मंडला, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर और सिंगरौली ऐसे हैं, जहां लाड़ली बहना पात्र महिलाओं की संख्या 1 से 2 लाख के बीच है। एक लाख से कम लाड़ली बहना वाले दो जिले हरदा (90905) और निवाड़ी (78845) हैं। इन सभी महिलाओं को मात्र एक हजार रुपए प्रति माह की राशि ही मिलना है और बारह महीने में यह राशि 12 हजार रुपए हो जाएगी। यानि कि लाड़ली बहना हर माह एक हजार और साल के बारह हजार रुपए की आर्थिक मजबूती अपने परिवार को देंगीं और यदि संयुक्त परिवार में दो या अधिक महिलाएं पात्र हैं, तो यह आर्थिक मजबूती भी दोगुनी या तीन गुना हो जाएगी। अब यदि एक जरूरतमंद परिवार में उसकी कमाई के अलावा यह राशि भी मिल रही है, तो यह उसे आर्थिक संबल तो प्रदान करेगी ही और इससे वह अपने अटके हुए कामों से पार पा जाएगी। हम उन आदिवासी और अनुसूचित जाति के साथ ही निर्धन सवर्ण और पिछड़ा वर्ग के परिवारों पर नजर डालें, जिनके लिए यह उदाहरण पेश किए जाते हैं कि वह धन के अभाव में उज्जवला गैस योजना में मिले गैस सिलेंडर फिर से नहीं भरवा पातीं तो अब वह सभी परिवारों की महिलाएं अपने खाते से पैसा निकालकर कम से कम अपनी रसोई को धुआं मुक्त करने में तो समर्थ हो ही जाएंगीं। और उनकी नजर में शिवराज सामाजिक क्रांति के देवदूत ही नजर आएंगे।
अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शब्दों में समझें तो उन्होंने कहा है “मैंने बचपन से देखा था कि गाँव में यदि किसी बहन के यहाँ बेटा पैदा होता था तो खुशियाँ मनाई जाती थी और यदि बेटी पैदा हो जाती थी तो सोचते थे कि कोई आफत आ गई हो, उस समय बेटा और बेटी के बीच भेदभाव होता था। बेटी के बिना दुनिया नहीं चल सकती है, इस दुनिया को चलाना है तो बेटा और बेटी के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। मैं केवल लाड़ली बहना योजना नहीं समाजिक क्रांति लेकर आया हूँ और मेरी अंतिम साँस तक माँ, बहन और बेटी की भलाई के लिए काम करूँगा, मैं कोई कसर नहीं छोडूंगा। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो भाजपा और शिवराज ने वचन लिया कि बेटी आएगी तो बेटी की शादी मम्मी-पापा नहीं मामा करवाएगा, भाजपा की सरकार करवाएगी। मैंने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में 49 हजार रुपए बेटी को देने का निर्णय किया, ताकि बेटी अपनी गृहस्थी का सामान खुद खरीद सके। फिर हमने मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई जिसमें बेटी जन्म लेते ही लखपति हो और मां-बाप चिंतामुक्त हो सकें। हमने यह भी तय कर दिया कि बेटी के पैदा होने से उसकी उच्च शिक्षा की फीस सरकार भरेगी। ये भी तय कर दिया कि बेटी का चयन मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज में होगा तो उसकी फीस मम्मी-पापा नहीं, मामा भरवाएगा। हमने तय किया कि स्थानीय निकाय के चुनाव में 50% सीटों पर चुनाव बहनें ही लड़ेंगीं। ये समाजिक क्रांति है, जो बहनें घूंघट में बैठती थीं वो आज सरकार चला रहीं हैं। बहनों के नाम पर दुकान, खेत और मकान खरीदा जाएगा तो उनसे रजिस्ट्री में केवल 1% स्टाम्प शुल्क लिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना में दिए जाने वाले मकान का मालिकाना हक पति और पत्नी दोनों का होगा।”
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अब लाड़ली बहना योजना के बारे में शिवराज की बात पर गौर करें तो उनका कहना है कि “हमने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बनाई, जिसमें तय किया कि हर पात्र बहना को प्रतिमाह 1-1 हजार रुपए दिए जाएंगे। 10 जून से इस योजना की पहली किस्त आपके खातों में आ जाएगी। हर महीने 10 तारीख को आपके खातों में पैसा पहुँच जाएगा। शिवराज की बहनें तो 1 करोड़ 25 लाख हो गईं हैं और एक साल में बहनों के खातों में 12 हजार रुपए डालूँगा, कुल 15 हजार करोड़ रुपए बहनों आपके खातों में आएगा। बच्चों की पढ़ाई की पूरी व्यवस्था करूँगा। मामा है चिंता मत करना, जो बेटी 12वीं में अच्छे अंक लाएगी तो उसे ई स्कूटी दूँगा। मेरी कोशिश है कि हर बहन की आमदनी 10 हजार रुपए हर महीने हो, आजीविका मिशन के तहत मेरी बहनें अच्छा कार्य कर रही हैं। ये अपना लाड़ली बहना परिवार है। मैं एक काम कर रहा हूँ कि छोटे गाँव में 11 और बड़े गाँव में 21 बहनों की लाड़ली बहना सेना बनाऊंगा। लाड़ली बहना परिवार को मैं जान से ज्यादा चाहता हूँ और मेरा संकल्प है कि मैं गरीबी दूर करूँ।”
 खैर यह तो शिवराज के मन के भाव हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोच ने 21वीं सदी में मध्यप्रदेश को विकसित राज्यों की कतार में लाकर खड़ा किया है…इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। और सामाजिक परिवर्तन लाने के जितने भी सफल प्रयास मध्यप्रदेश के गठन एक नवंबर 1956 से अब तक हुए हैं, उनमें मुख्यमंत्री के बतौर शिवराज का योगदान अव्वल ही साबित होगा। आज चर्चा राजनीति और विधानसभा चुनाव 2023 की नहीं कर रहा हूं, पर एक संवेदनशील मुख्यमंत्री की कतार में भी शिवराज सबसे आगे हैं। ऐसे में यही कामना कि लाड़ली बहना योजना हर बहन की उम्मीदों पर खरी साबित हो और यह सामाजिक क्रांति मध्यप्रदेश में हर घर में खुशहाली लाकर खुद को सार्थक कर सके। क्योंकि इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि यह सामाजिक क्रांति है, जो हर जरूरतमंद बहन को ताकत देगी…।