योग से आनंद का मार्ग दिखाया था योगानंद ने…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
आज यानि 5 जनवरी की तारीख बहुत खास है। योग और आनंद सब समाहित है आज में। आज बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत परमहंस योगानन्द (5 जनवरी 1893 – 7 मार्च 1952) का जन्म हुआ था। परमहंस योगानन्द का जन्म मुकुन्दलाल घोष के रूप में 5 जनवरी 1893, को गोरखपुर, उत्तरप्रदेश में अहीर जाति में हुआ था।उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग का उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार तथा प्रसार किया। योगानंद के अनुसार क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिसके पालन से अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। उनकी उत्कृष्ट आध्यात्मिक कृति योगी कथामृत (एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी) की लाखों प्रतियां बिकीं और वह सर्वाधिक बिकने वाली आध्यात्मिक आत्मकथा रही है। योगानन्द के पिता भगवती चरण घोष बंगाल नागपुर रेलवे में उपाध्यक्ष के समकक्ष पद पर कार्यरत थे। योगानन्द अपने माता पिता की चौथी सन्तान थे। उनके माता पिता क्रियायोगी लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे। योगानंद के गुरू श्रीयुक्तेश्वर गिरि थे।
‘योग के जनक’ के नाम से विख्यात श्री श्री परमहंस योगानंद ने युवावस्था में उत्साह के साथ अनेक महान संतों से भेंट की। योगानंद का अर्थ है ईश्वर के साथ एकता (योग) के माध्यम से आनंद की प्राप्ति।परमहंस योगानन्दजी के अनुसार “ध्यान का अभ्यास किए बिना आप चाहे और सब कुछ करते रहें आपको उस उल्लास का अनुभव नहीं होगा जो विचारों को शांत होने के बाद मन को परमात्मा में लीन करने पर प्राप्त होता है।”
ध्यान ईश्वर-साक्षात्कार का विज्ञान है। यह विश्व का सबसे अधिक व्यावहारिक विज्ञान है। पश्चिमी देशों में पहली बार योग के संदेश को संगठित रूप में पहुंचाने में योगदा सत्संग सोसाइटी के संस्थापक परमहंस योगानंद का नाम निर्विवाद रूप से लिया जा सकता है। 1920 में वे 27 वर्ष की उम्र में पहली बार अमेरिका गए और तभी से योग विज्ञान के प्रचार-प्रसार में लग गए। उनके योगदान के कारण वे पश्चिम में योग के जनक भी कहे जाते हैं। वे ताउम्र सक्रिय रहे और योग की शिक्षा देते रहे। कई तरह की उक्तियां जैसे- मैं इस संसार रूपी नाटक का एक हिस्सा हूं,परंतु इससे अलग भी हूं। अभी प्रत्येक पल को पूरी तरह से जियो और भविष्य अपने आप संवर जाएगा, परमहंस योगानंद जी की आध्यात्मिक शिक्षाओं का हिस्सा है।
वैसे 5 जनवरी को कई महान शख्सियत का जन्म हुआ था। 1880 में 5 जनवरी के दिन ही भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार बारीन्द्र कुमार घोष का जन्म हुआ था। तो 1934 में 5 जनवरी के दिन ही भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरली मनोहर जोशी का जन्म हुआ था। वहीं 1941 में 5 जनवरी को भारतीय खिलाड़ी मंसूर अली ख़ान पटौदी का जन्म हुआ था। 1955 में 5 जनवरी के दिन ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जन्म हुआ था। और आज का दिन हमारे जीवन में और भी बहुत खास है। 5 जनवरी 2013 को हमारी बेटी प्रांजलि (प्रान्या) का जन्म हुआ था।
फिर एक बार योगानंद की बात करें तो उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘योगी कथामृत’ में शरीर, मन व आत्मा के सुसंगत विकास के लिए उन्होंने क्रिया योग प्रविधि की मुख्य विशेषताओं का वर्णन किया है। मनमोहक शैली में लिखी गई इस पुस्तक में ऐसे वैश्विक सत्य हैं,जो हर युग, हर राष्ट्र,हर पृष्ठभूमि से आए व्यक्ति के लिए उपयुक्त हैं। परमहंस योगानंद द्वारा बताई गई ध्यान की इन प्रविधियों का पूरी श्रद्धा और नियम से अभ्यास कर साधक उस आत्म साक्षात्कार के योग्य हो जाता है, जिसकी चर्चा संसार के सभी मुख्य धर्मों में की गई है। योगानंद जी ने शरीर , मन और आत्मा के संतुलित विकास पर बल दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ शारीरिक व्यायाम केवल योग नहीं हैं, अपितु इसका अंतिम लक्ष्य है – ईश्वर के साथ मिलना। योगानंद जी को ह्रदय से नमन। ‘योगी कथामृत’ पढ़कर मुझे भी आनंद की अनुभूति हुई है और मेरा मानना है कि यह पुस्तक पढ़कर हर पाठक आनंद की अनुभूति कर सकता है…।