You Want Copy, Pay Service Fee : इंदौर के तहसील कार्यालयों में हर नकल के लिए ‘सेवा शुल्क’ अनिवार्य!
Indore : कलेक्ट्रेट के तहसील कार्यालयों की व्यवस्था से लोग परेशान हैं। यहां ऐसे कई लोग रोज आते हैं, जो यहां के बाबुओं से लेनदेन करके अपना काम निकालते हैं। किसी भी प्रकरण की नकल लेना हो, तो यहां रिश्वत देना जरूरी हो गया है। बिना रिश्वत दिए कोई नकल तक नहीं दी जाती। यहां पदस्थ एक महिला क्लर्क से लोग सबसे ज्यादा त्रस्त हैं। मुख्यमंत्री ने अपशब्द बोलने पर हाल ही में एक कलेक्टर और एक तहसीलदार पर कार्रवाई की! अब सरकारी कार्यालयों में बैठे खुलेआम रिश्वत लेने वालों की बारी है।
कहा जाता है कि वे नकल लेने वाले आवेदकों से स्पष्ट कहती हैं कि नकल के लिए हमें भी 100-200 रुपए सेवा शुल्क देते जाएं। हर आवेदक से दिनभर इतने पैसे खुले आम लिए जाते हैं। कई बार आवेदकों से यहां रिश्वत को लेकर विवाद भी हो चुके हैं। नकल आवेदकों ने यहां पदस्थ महिला क्लर्क की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
रिश्वत मांगने का वीडियो बना
रिश्वत की कई शिकायत के बाद इस महिला क्लर्क का स्टिंग ऑपरेशन कर पूरे मामले को कैमरे में क़ैद किया गया। इस वीडियो में यह महिला क्लर्क साफ़-साफ़ रुपए मांगते और लेते दिखाई दे रही हैं। जानकारी अनुसार कलेक्टोरेट के जी-9 रूम स्थित इंदौर तहसील कार्यालय में पदस्थ महिला क्लर्क रेखा पाटिल यहां नकल देने का काम करती हैं। बताया जाता है कि वे यहां ऑपरेटर पद पर पदस्थ हैं।
साथ ही जानकारी मिली कि इनके पास तहसील कानूनगो की भी जिम्मेदारी दी है। सूत्र बताते हैं कि रेखा पाटिल यहां हर नकल आवेदक को नकल के एवज में खुलेआम रिश्वत की मांग करती हैं। वे यहां आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से पदस्थ है। बताया गया कि नकल के बदले रिश्वत मांगने की वजह से कई बार आवेदकों का इस क्लर्क से विवाद भी हुआ है। इनकी शिकायत अधिकारियों और सीएम हेल्पलाइन पर भी की गई।
तहसील कार्यालय में एवजियों की भी भरमार
कलेक्ट्रेट में इंदौर, मल्हारगंज समेत कई तहसीलों के कार्यालय भी मौजूद हैं। साथ ही यहां एसडीएम कार्यालय भी हैं, जिनमें प्रतिदिन सैकड़ों आवेदक आते हैं। इन कार्यालय में एवजियों की भरमार है। अधिकतर कार्य यही एवजी ही करते हैं। पहले भी इन एवजियों के खिलाफ कई बार जानकारियां सामने आई हैं। लेकिन, शिकायत के बाद एक-दो दिन गायब रहने के बाद ये एवजी फिर कार्यालयों में डट जाते हैं।
वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन, इंदौर कलेक्टर कार्यालय में बगैर लेन-देन के कोई काम नहीं होता। वर्षों से एसडीएम व तहसीलदार के बाबू अंगद की तरह जमे हैं। कलेक्ट्रेट में चुनाव के पहले इन बाबुओं और तीन साल से अधिक एक ही जगह पर पदस्थ अन्य विभाग के कर्मचारियों की सूची एडीएम कार्यालय पहुंची थी। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।