खोल लें नव वर्ष के नवप्रभात में द्वार

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खोल लें नव वर्ष के नवप्रभात में द्वार

खोल लें
नव वर्ष
के
नव
प्रभात में
द्वार ,

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पड़े है
डेहरी
पर
नव सूर्य
रश्मि
के
चरण
सुरभित
हवा
के संग,
रच दें
चावल
आटे की
रंगोली

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चिरय्या
के
लिये,
दीपित
कर दें
एक
नन्हा
दीप
तुलसी
चौरे मे

tulsi

टेक दें
माथा
पूजा
घर मे
महका
दें
मां
अन्नपूर्णा
चौका
मधुर पाक
से
कर लें
प्रार्थना

kele ke patte par kayen khana
स्वयं
से
सर्वे
भवन्तु
सुखिनः

वन्दिता श्रीवास्तव,इंदौर 

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कैलाश विजयवर्गीय : रिश्तों की बुनावट का आधार उनकी मानवीय संवेदनाएं 

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