8 Years Of Modi Government : मीठे और कड़वे घूंट वाले आर्थिक विकास और क्रांतिकारी बदलाव के 8 साल!

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8 Years Of Modi Government : मीठे और कड़वे घूंट वाले आर्थिक विकास और क्रांतिकारी बदलाव के 8 साल!

आर्थिक विशेषज्ञ बसंत पाल का विश्लेषण

26 मई, 2014 को भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब पहली सरकार ने शपथ ली थी, तब भारतीय राजनीति का एक अनूठा दौर था। जनता ने उन पर विश्वास जताया। आने वाले दिन लोगों की उम्मीद, देश में क्रांतिकारी आर्थिक बदलाव और विकास के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक था।

इन आठ सालों में मोदी सरकार ने देश में नई आर्थिक नीति को अपनाने और लोगों के जीवन स्तर में बदलाव की नई इबारत लिखने की कोशिश की। पूंजीवाद विकास के मार्ग पर कदम बढ़ाकर ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ की धारणा ने निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास को तेज करने के लिए भारत सरकार के आर्थिक एजेंडे को बनाए रखा। लेकिन, सब कुछ अच्छा नहीं रहा! बदलाव की कोशिश में सरकार ने महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने पर सरकार अंकुश नहीं लगा सकी।


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आर्थिक विकास के मोर्चे पर मोदी सरकार ने एक दशक से अटके जीएसटी कानून को लागू किया, जिससे उद्योग जगत में यह संदेश गया कि ‘नीतिगत अपंगता’ का युग अब खत्म हो गया है। बेशक इसे लागू करने में शुरू में कुछ समस्याएं हुईं, कई संशोधन करने पड़े, पर मोदी एक अच्छी आर्थिक सुधार नीति को लागू करने से डरी नहीं। अब कथनी नहीं, करनी पर जोर था। ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ वाली छवि पर लोगों का भरोसा बढ़ा। इसका प्रमाण है कि मोदी सरकार के किसी भी मंत्री पर अभी तक भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा।

8 Years Of Modi Government : मीठे और कड़वे घूंट वाले आर्थिक विकास और क्रांतिकारी बदलाव के 8 साल!
8 Years Of Modi Government

2019-20 में अंतरिम बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गर्व के साथ कहा कि ‘भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जिसकी वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि पिछले पांच वर्षों के दौरान किसी भी सरकार द्वारा हासिल की गई वृद्धि से अधिक है, जब से आर्थिक सुधार शुरू हुए हैं।

‘ न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की धारणा ने निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास को तेज करने के लिए भारत सरकार के आर्थिक एजेंडे के सार को पकड़ लिया। 2014 में नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले कार्यकाल में भारत में नीतिगत बदलाव के नए युग की शुरुआत हुई। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण, और बुनियादी ढांचे की संपत्ति का मौद्रीकरण शुरू किया गया। एयर इंडिया का निजीकरण कर दिया गया। छह हवाई अड्डों को 50 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया।

8 Years Of Modi Government
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जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला उस वक्त 2014 मई में देश की जीडीपी वृद्धि की दर 7.4 फीसदी थी। 2016 तक इसमें इजाफा हुआ। उस वक्त ये बढ़कर 8.3 फीसदी तक पहुंच गई। 2017 से इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। 2019 में जीडीपी वृद्धि दर घटकर चार फीसदी पर पहुंच गई। 2020 में कोरोना के असर के चलते जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक हो गई। उस वक्त ये दर -7.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। तब भारत की जीडीपी 112 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा थी। आज भारत की जीडीपी 232 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।


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महंगाई उच्च स्तर पर
अप्रैल 2022 में देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी हो गई है। ये आठ साल का उच्चतम स्तर है। वहीं, थोक महंगाई भी तेजी से बढ़ते हुए 15 फीसदी के स्तर को पार कर गई है। साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय खुदरा महंगाई दर 8.33 फीसदी थी।

बेरोजगारी दर में इज़ाफ़ा
रोजगार देने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल के समय से ही कांग्रेस के निशाने पर रही है। बीते 8 साल के दौरान देश में बेरोजगारी दर में इजाफा देखने को मिला। साल 2014 में बेरोजगारी दर की बात करें तो यह 5.60 फीसदी थी। जबकि, ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआईई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2022 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.83 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने मार्च में यह 7.60 फीसदी रही थी।

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रुपया हुआ कमजोर
डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आ रही गिरावट का बड़ा योगदान है। मंगलवार 22 मई को रुपया डॉलर के मुकाबले टूटकर 77.59 के निचले स्तर तक पहुंच गया। बीते दिनों रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निम्न स्तर को छुआ था। मई 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 312 अरब डॉलर के करीब था, जो कि लगातार बढ़ते हुए 600 अरब डॉलर के पार निकल गया। हालांकि बीते कुछ सप्ताह में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और यह 13 मई को समाप्त हुए सप्ताह में लगभग 593 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।

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बसंत पाल

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कारपोरेट, कमोडिटी मार्केट के जानकार हैं। इन विषयों पर तीन दशकों से निरंतर लेखन कर रहे हैं। आर्थिक मामलों के समीक्षक होने के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से भी सम्बद्ध रहे।
संपर्क : 98260 10905