अपनी भाषा अपना विज्ञान: एक सिने स्टार और दो बीमारियाँ

अपनी भाषा अपना विज्ञान: एक सिने स्टार और दो बीमारियाँ

हॉलीवुड की फिल्मों में रुचि रखने वालों ने प्रसिद्ध अमेरिकन मूवी स्टार ब्रूस विलिस का नाम सुना होगा। एक ऐक्शन हीरो, मारधाड़ के दृश्य, बुद्धि और शक्ति का प्रतीक, अच्छे लोगों और मानव जाति को बचाने वाली भूमिकाएं करने वाला।

अपनी भाषा अपना विज्ञान -एक सिने स्टार और दो बीमारियाँ

1980-1990 के दशकों में ब्रूस विलिस की ख्याति फैलना शुरू हुई। सिल्वेस्टर स्टोन और आर्नोल्ड  श्वाजनेगर का युग ढल रहा था। न्यूयार्क पुलिस के एक कड़क मिजाज, ईमानदार लेकिन बदजुबान ऑफिसर जॉन मेक्लेन की भूमिका में ब्रूस विलिस एक ताज़ी हवा के झोंके के रूप में उभरा। ‘डाई हार्ड’ श्रंखला में वह एक ऐसा हीरो था जो अकेले सब कुछ कर लेता था। उसी के समानांतर हमारे यहां अमिताभ बच्चन रहे।

एक वर्ष पहले ब्रूस विलिस के परिवार ने समाचार जारी किया था कि उन्हें अफेज़िया/वाचाघात रोग  हो गया है जिसमें व्यक्ति की भाषा-संवाद की क्षमताएं कम हो जाती है। बोलकर और लिखकर अभिव्यक्त करना, सुनकर और पढ़कर समझ पाना, दोहराना, व्यक्तियों और  वस्तुओं आदि के नाम ले पाना, सभी पर कम या ज्यादा प्रभाव पड़ता है। (अधिक जानकारी के लिए देखिए लिंक https://neurogyan.com/aphasia-for-patients)

चूँकि मैं वाचाघात रोग के क्षेत्र में काम करता रहा हूं, इस खबर ने बरबस मेरा ध्यान खींचा था। दुनियाभर के संचार मीडिया में अभिनेता और उसकी बीमारी के बारे में स्टोरी छपी थी। वाचाघात की पैरवी करने वालों ने संतोष व्यक्त किया था कि ब्रूस जैसी सेलिब्रिटी को यह रोग होने के कारण आम लोगों में इस अवस्था के बारे में जागरूकता, ज्ञान और रुचि बढ़ाने के दुष्कर काम  में खूब मदद मिल रही है।

वाचाघात/अफेज़िया रोग प्रायः ब्रेन अटैक(लकवा) के मरीजों में होता है जिन्हें –  मस्तिष्क के बायें गोलार्ध के कुछ खास हिस्सों में – रक्त नलिकाओं में या तो थक्का/क्लाट के कारण प्रवाह में रुकावट आती है या धमनी/आर्टरी फटने से रक्त स्त्राव/हेमरेज हो जाता है। बायें गोलार्ध में वाणी केंद्र रहते हैं। उनके क्षतिग्रस्त होने से वाचाघात होता है।

ब्रूस विलिस की स्टोरीज में स्ट्रोक या पक्षाघात का कोई उल्लेख नहीं था।

अब एक वर्ष बाद समाचार आया कि उन्हें फ्रोंटो-टेंपोरल डिमेंशिया(F.T.D.) नामक रोग का डायग्नोसिस हुआ है। जनसंख्या में वृद्ध लोगों का प्रतिशत बढ़ते जाने के साथ डिमेंशिया(बुद्धि क्षय)  के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे स्मृति कम होने लगती है। शुरू-शुरू में हाल-फिलहाल की, रोजमर्रा की, नई बातों की याददाश्त चूकने लगती है।

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स्वस्थ मस्तिष्क

 जातिगत जनगणना 4

F.T.D. से प्रभावित मस्तिष्क

पुरानी बातों की मेमोरी कुछ हद तक बनी रहती है। बाद में वह भी जाती रहती है। डिमेंशिया रोग में, स्मृति के साथ-साथ अन्य कॉग्निटिव(संज्ञानात्मक) क्षमताएं भी घटने लगती है। जैसे कि सोचने-समझने की गति, आसपास के भूगोल का ध्यान, जटिल जिम्मेदारी भरे कामों को अंजाम देना(Executive Function), गणित, संगीत, चेहरों, और वस्तुओं को पहचानना, वाणी संवाद आदि।

डिमेंशिया का सबसे बहुतायत से पाया जाने वाला कारण है :- “अल्जीमर्स रोग” (लगभग 70%)  जो प्रायः 65-85 वर्ष की उम्र के मध्य शुरू होता है और आयु घटकर 5-8 वर्ष रह जाती है। मस्तिष्क में बार-बार एक से अधिक स्ट्रोक(ब्रेन अटैक) के क्षतिग्रस्त इलाकों की संख्या और आयतन बढ़ते जाने से दूसरा प्रमुख कारण है “वास्क्यूलर डिमेंशिया”।

हॉलीवुड अभिनेता ब्रूस विलिस का रोग(F.T.D.) डिमेंशिया के अल्प ज्ञात प्रकारों में से एक है। इसके लक्षण अल्जीमर्स रोग से भिन्न होते हैं। यह तुलनात्मक रूप से कम उम्र में शुरू हो जाता है (45-60 वर्ष) और तेजी से बढ़ता है। स्मृति में कमी देर से आती है और कम आती है। F.T.D. के अपने तीन उप-प्रकार होते हैं। एक में व्यवहारगत लक्षण होते हैं। इंसान का चरित्र, व्यक्तित्व बदलने लगता है। अजीबोगरीब हरकतें करता है। बातचीत ठीक से नहीं करता। बेचैनी सी लगी रहती है। सामान्य शिष्टाचार भूलने लगता है। खाने के स्वाद और इच्छाएं बदल जाते हैं। एक अन्य प्रकार के फ्रोंटो टेंपोरल डिमेंशिया का नाम है – ‘Primary Progressive Aphasia’(PPA)प्राथमिक वृद्धिशील वाचाघात।

ब्रूस विलिस को PPA है। इसलिए साल भर पहले के समाचारों में सिर्फ अफेज़िया की चर्चा थी। बाद में  डॉक्टरों को समझ आया होगा कि उन्हें FTD है। इस चक्कर में एक भ्रम पैदा होता है। पाठकों को प्रतीत हो सकता है कि अफेज़िया बाद में डिमेंशिया के रूप में परिवर्तित हो गया या बढ़ गया। ऐसा नही होता है। ब्रूस विलिस को शुरू से ही  FTD की PPA नामक अवस्था थी। इस प्रकार का अफेज़िया  Rare (दुर्लभ, अल्पज्ञात) रोग है। उसके निदान(Diagnosis) में अनेक अवसरों पर देर हो जाती है।

वाचाघात का बहुतायत से पाया जाने वाला स्वरूप जो मुख्य रूप से ब्रेन अटैक/Stroke के साथ होता है वह FTD/PPA में कभी परिवर्तित नहीं होता।

फ्रोंटो टेंपोरल रोग में मस्तिष्क में डीजनरेशन होता है। डीजनरेशन का उल्टा अर्थ वाला शब्द है रीजेनरेशन(पुनर्निर्माण)। अतः डिजनरेशन का अर्थ हुआ ‘विनष्ट होना’,’क्षय’,’गलना’,’नष्ट होना’। नर्वस सिस्टम के खाते में कुदरत ने डिजनरेशन वाली अनेक बीमारियों का एक बड़ा खाता खोल रखा है। न जाने क्यों, अपने आप, धीरे-धीरे, दिमाग के अनेक भागों में, कहीं कम, कहीं ज्यादा, न्यूरॉन कोशिकाएं नष्ट होने लगती है, मरने लगती है। समस्त कोशिकाएं नहीं। अलग अलग रोगों में विशिष्ट चुनिन्दा प्रकार की कोशिकाएं।

ब्रूस विलिस के ब्रेन में यह प्रक्रिया वर्ष भर पहले बोलने,बात करने की क्षमता में कमी के रूप में प्रकट हुई थी। देखते ही देखते कुछ ही महीनों में और भी अधिक कोशिकाओं की अकाल मृत्यु होते जाने से रोग का असली अधिक तीव्र स्वरूप सामने आया।

FTD-PPA रोग में ब्रेन की अन्य डिजनरेटिव बीमारियों के समान न्यूरॉन कोशिकाओं के अंदर असामान्य किस्म के प्रोटीन जमा होने लगते हैं। इस रोग का निदान मूलतः हिस्ट्री(इतिवृत्त) और बौद्धिक क्षमताओं के विस्तृत आकलन द्वारा होता है। एम.आर.आई. स्कैन में दिखाई पड़ता है कि मस्तिष्क के अग्र भाग में स्थित फ्रोंटल खंड और अधर-मध्य भाग में स्थित टेम्पोरल खंड सिकुड़ गए हैं, सूख गए हैं(Atrophy)। कुछ कम प्रतिशत मरीजों में किन्ही जीन्स में असामान्य किस्म के व्युत्क्रम (म्यूटेशंस) देखे जाते हैं। शेष जांचे (रक्त,पीठ का पानी/CSF,ई.ई.जी. आदि) इसलिए कराते हैं कि कहीं कोई और कारण नहीं?


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FTD-PPA का कोई उपचार नहीं है। अल्जीमर्स (डिमेंशिया) में अलबत्ता कुछ पुरानी और कुछ नई औषधियां हैं जो रोग के बिगड़ते जाने की गति पर थोड़ा सा ब्रेक लगाती है।

प्रसिद्ध लोगों के परिवार तथा वे व्यक्ति जो स्वयं आगे होकर अपने रोग की सार्वजनिक घोषणा करते हैं वे  सराहना के पात्र होते हैं। हिम्मत चाहिए। मन में संकोच नहीं होना चाहिए। समाज का भला होता है। रोग के बारे में जागरूकता और ज्ञान बढ़ाने में मदद मिलती है। उस बीमारी से ग्रस्त आम लोगों की हौसला अफजाई होती है। उनका अकेलापन कम होता है। उन्हें भी पहचान मिलती है। उस अवस्था से पीड़ित परिवारों के हितों की पैरवी करना आसान हो जाता है। पश्चिमी देशों की सेलिब्रिटीज में अपनी शर्म और निजता(Privacy) का टेबू तोड़कर बाहर आने के उदाहरण अधिक मिलते हैं। भारत में कम।

इंदौर व मध्य प्रदेश में मेरे पास उपचार हेतु आने वाले अनेक गणमान्य नागरिकों से मैं प्रायः अनुरोध करता रहता हूं कि क्या वे अपने रोग के बारे में पब्लिकली चर्चा करना चाहेंगे? प्रेस वार्ता, साक्षात्कार, आत्मकथा, मरीज कथा, आदि के रूप में? लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली। देश के अन्य प्रांतों में कार्यरत अन्य डॉक्टर मित्र का भी यही अनुभव है। ये  स्थिति बदलना चाहिए। हमारे यहां से बहुत सारे ब्रूस विलिस निकलने चाहिए।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने रिटायरमेंट के पांच वर्ष बाद एक प्रेस वक्तव्य में कहा था-

“डॉक्टरों ने डायग्नोसिस किया है कि मुझे अल्जीमर्स रोग शुरू हो गया है। मैं अपने जीवन के  सूर्यास्त की ओर अग्रसर हो रहा हूं। हालांकि मुझे पूरा विश्वास है कि अमेरिका की सुबहें हमेशा शानदार रहेंगी।”

प्रसिद्ध मुक्केबाज मोहम्मद अली को पार्किंसन रोग+डिमेंशिया हुआ था। उक्त रोग की पैरवी (Advocacy) की मुहिम में उसके आव्हानों पर लाखों-करोड़ों डॉलर जमा हो जाते थे।

भारत की सेलिब्रिटीज को ऐसे उदाहरण पेश करना बाकी है। सेलीब्रिटी न सही, आम नागरिक भी यदि अपने रोग के बारे में बिना झिझक बताना और लिखना सीख जावें तो समाज

Author profile
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डॉ अपूर्व पौराणिक

Qualifications : M.D., DM (Neurology)

 

Speciality : Senior Neurologist Aphasiology

 

Position :  Director, Pauranik Academy of Medical Education, Indore

Ex-Professor of Neurology, M.G.M. Medical College, Indore

 

Some Achievements :

  • Parke Davis Award for Epilepsy Services, 1994 (US $ 1000)
  • International League Against Epilepsy Grant for Epilepsy Education, 1994-1996 (US $ 6000)
  • Rotary International Grant for Epilepsy, 1995 (US $ 10,000)
  • Member Public Education Commission International Bureau of Epilepsy, 1994-1997
  • Visiting Teacher, Neurolinguistics, Osmania University, Hyderabad, 1997
  • Advisor, Palatucci Advocacy & Leadership Forum, American Academy of Neurology, 2006
  • Recognized as ‘Entrepreneur Neurologist’, World Federation of Neurology, Newsletter
  • Publications (50) & presentations (200) in national & international forums
  • Charak Award: Indian Medical Association

 

Main Passions and Missions

  • Teaching Neurology from Grass-root to post-doctoral levels : 48 years.
  • Public Health Education and Patient Education in Hindi about Neurology and other medical conditions
  • Advocacy for patients, caregivers and the subject of neurology
  • Rehabilitation of persons disabled due to neurological diseases.
  • Initiation and Nurturing of Self Help Groups (Patient Support Group) dedicated to different neurological diseases.
  • Promotion of inclusion of Humanities in Medical Education.
  • Avid reader and popular public speaker on wide range of subjects.
  • Hindi Author – Clinical Tales, Travelogues, Essays.
  • Fitness Enthusiast – Regular Runner 10 km in Marathon
  • Medical Research – Aphasia (Disorders of Speech and Language due to brain stroke).