Ashtavinayak Temples;खुद प्रकट हुई प्रतिमा के 8 गणपति मंदिर

2165
Ashtavinayak Temples

Ashtavinayak Temples;खुद प्रकट हुई प्रतिमा के 8 गणपति मंदिर

पर्व प्रसंग पर विशेष

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है.आज हम आपको देश के प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक अष्ठविनायक मंदिर(Ashtavinayak Temples) के बारे में बता रहे हैं। अष्टविनायक से अभिप्राय है- “आठ गणपति”। यह आठ अति प्राचीन मंदिर भगवान गणेश के आठ शक्तिपीठ भी कहलाते है जो की महाराष्ट्र में स्तिथ हैं।महाराष्ट्र में पुणे के समीप अष्टविनायक के आठ पवित्र मंदिर 20 से 110 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित हैं इन्‍हें अष्‍टविनायक कहा जाता है। इन मंदिरों को स्‍वयंभू मंदिर भी कहा जाता है। स्‍वयंभू का अर्थ है कि यहां भगवान स्‍वयं प्रकट हुए थे यानि किसी ने उनकी प्रतिमा बना कर स्‍थापित नहीं की थी। इन मंदिरों का जिक्र विभिन्‍न पुराणों जैसे गणेश और मुद्गल पुराण में भी किया गया है। ये मंदिर अत्‍यंत प्राचीन हैं और इनका ऐतिहासिक महत्‍व भी है। इन मंदिरों की दर्शन यात्रा को अष्‍टविनायक तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है।

28 11 2017 ashtavinayak4jan18p 1

अष्ठविनायक मंदिर(Ashtavinayak Temples) के संबंध में मान्यता है कि तीर्थ गणेश के ये आठ पवित्र मंदिर स्वयं उत्पन्न और जागृत हैं। धार्मिक नियमों से तीर्थयात्रा शुरू की जानी चाहिए। यात्रा निकट मोरगांव से शुरू कर और वहीं समाप्त होनी चाहिए। पूरी यात्रा 654 किलोमीटर की होती है।ये हैं वो आठ मंदिर…
1.मयूरेश्वर या मोरेश्वर मंदिर,
मयूरेश्वर विनायक का मंदिर पुणे के मोरगांव क्षेत्र में है। पुणे से करीब 80 किलोमीटर दूर मयूरेश्वर मंदिर के चारों कोनों में मीनारें और लंबे पत्थरों की दीवारें हैं। यहां चार द्वार भी हैं जिन्‍हें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग चारों युग का प्रतीक मानते हैं। यहां गणेश जी की मूर्ती बैठी मुद्रा में है और उसकी सूंड बाई है तथा उनकी चार भुजाएं एवं तीन नेत्र हैं। यहां नंदी की भी मूर्ती है। कहते हैं कि इसी स्‍थान पर गणेश जी ने सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध मोर पर सवार होकर उससे युद्ध करते हुए किया था। इसी कारण उनको मयूरेश्वर कहा जाता है।

14 00 4379986101 ll

2. सिद्धिविनायक मंदिर
सिद्धिविनायक मंदिर करजत तहसील, अहमदनगर में है। ये मंदिर पुणे से करीब 200 किमी दूर भीम नदी पर स्‍थित है। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता है। सिद्धटेक के में भगवान विष्णु ने सिद्धियां हासिल की थी, वहीं एक पहाड़ की चोटी पर सिद्धिविनायक मंदिर बना हुआ है। इसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। इस मंदिर की परिक्रमा करने के लिए पहाड़ की यात्रा करनी होती है। सिद्धिविनायक मंदिर में गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। यहां गणेश जी की सूंड सीधे हाथ की ओर है।

14 01 1808866102 ll

3. बल्लालेश्वर मंदिर
पाली गांव, रायगढ़ में इस मंदिर का नाम गणेश जी के भक्‍त बल्‍लाल के नाम पर रखा गया है। बल्‍लाल की कथा के बारे में कहते हैं कि इस परम भक्‍त को उसके परिवार ने गणेश जी की भक्‍ति के चलते उनकी मूर्ती सहित जंगल में फेंक दिया था। जहां उसने केवल गणपति का स्‍मरण करते हुए समय बिता दिया था। इससे प्रसन्‍न गणेश जी ने उसे इस स्‍थान पर दर्शन दिया और कालानंतर में बललाल के नाम पर उनका ये मंदिर बना। ये मंदिर मुंबई-पुणे हाइवे पर पाली से टोयन और गोवा राजमार्ग पर नागोथाने से पहले 11 किलोमीटर दूर स्थित है।

images 4 2

4.वरद विनायक मंदिर
रायगढ़ के कोल्हापुर में वरदविनायक मंदिर। एक मान्यता के अनुसार वरदविनायक भक्तों की सभी कामनों को पूरा होने का वरदान देते हैं। एक कथा ये भी है कि इस मंदिर में नंददीप नाम का दीपक है जो कई वर्षों से लगातार जल रहा है।

5. चिंतामणी मंदिर
तीन नदियों भीम, मुला और मुथा के संगम पर स्‍थित थेऊर गांव में स्थित है चिंतामणी मंदिर। ऐसी मान्‍यता है कि विचलित मन के साथ इस मंदिर में जाने वालों की सारी उलझन दूर हो कर उन्‍हें शांति मिल जाती है। इस मंदिर से भी जुड़ी एक कथा है कि स्वयं भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को शांत करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी।

14 01 5354746104 ll
6. गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर
लेण्याद्री गांव में गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर स्थित है। जिसका अर्थ है गिरिजा के आत्‍मज यानी माता पार्वती के पुत्र अर्थात गणेश। यह मंदिर पुणे-नासिक राजमार्ग पर पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसे लेण्याद्री पहाड़ पर बौद्ध गुफाओं के स्थान पर बनाया गया है। इस पहाड़ पर 18 बौद्ध गुफाएं हैं जिसमें से 8वीं गुफा में गिरजात्मज विनायक मंदिर है। इन गुफाओं को गणेश गुफा भी कहा जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 300 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। एक अौर विशेषता ये है कि यह पूरा मंदिर एक ही बड़े पत्थर को काटकर बनाया गया है।

Ashtavinayak Temples;
7. विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर
पुणे के ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है। पुणे-नासिक रोड पर करीब 85 किलोमीटर दूरी पर ये मंदिर बना है। एक किंवदंती के अनुसार विघनासुर नाम का असुर जब संतों को प्रताणित कर रहा था, तब भगवान गणेश ने इसी स्‍थान पर उसका वध किया था। तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में जाना जाता है।

14 02 3923986106 ll
8. महागणपति मंदिर
महागणपति मंदिर राजणगांव में स्‍थित है । इस मंदिर को 9-10वीं सदी के बीच का माना जाता है। पूर्व दिशा की ओर मंदिर का बहुत विशाल और सुन्दर प्रवेश द्वार है। यहां गणपति की मूर्ति को माहोतक नाम से भी जाना जाता है। एक मान्यता के अनुसार विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए इस मंदिर की मूल मूर्ति को तहखाने में छिपा दिया गया है।।

14 03 2199946108 ll

मान्यता है कि इन मंदिरों में स्थापित गणेश जी के मूर्तियां स्वयंभू हैं, अर्थात ये मानव निर्मित नहीं है, बल्कि प्राकृतिक हैं। कहा जाता है कि इन सभी का वर्णन गणेश और मुद्गल पुराण में पढ़ने को मिलता है, जो हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों का समूह हैं। इन आठ गणपति धामों की यात्रा अष्टविनायक तीर्थ यात्रा के नाम से जानी जाती है। इन पवित्र मूर्तियों के प्राप्त होने के क्रम के अनुसार ही अष्टविनायक यात्रा की जाती है।

अष्ठविनायक मंदिर : महागणपति मंदिरइन आठ पवित्र तीर्थ में 6 पुणे में हैं और 2 रायगढ़ जिले में हैं। सबसे पहले मोरेगांव के मोरेश्वर की यात्रा करनी चाहिए और उसके बाद क्रम में सिद्धटेक, पाली, महाड, थियूर, लेनानडरी, ओजर, रांजणगांव और उसके बाद फिर से मोरेगांव अष्टविनायक मंदिर में यात्रा समाप्त करनी चाहिए।

NH 2;इतनी खूबसूरत नजर आने लगी यह सड़क कि गडकरी भी चौंक गए 

बदलता भारत: युग परिवर्तन का प्रतीक है द कश्मीर फाइल्स भी