Kissa A IAS:वो IAS अधिकारी जिसके सामने मोदी भी खड़े रहे!

1110

Kissa A IAS:वो IAS अधिकारी जिसके सामने मोदी भी खड़े रहे!

कलेक्टर कुर्सी पर बैठा हो और प्रधानमंत्री उसके सामने हाथ जोड़कर विनम्रता से खड़े हों! ऐसे किसी फोटो की अमूमन कल्पना नहीं की जाती। इसलिए कि ये प्रसंग 5 साल में एक बार ही आता है, वो भी चुनाव के नामांकन के समय। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी के कलेक्टर और चुनाव अधिकारी सुरेंद्र सिंह का ऐसा ही फोटो जमकर वायरल हुआ था। इस फोटो में IAS सुरेंद्र सिंह के सामने वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खड़े होकर अपना नामांकन जमा करवाया था।

WhatsApp Image 2022 10 01 at 9.27.21 PM

2019 के अप्रैल की गर्मी में वाराणसी की राजनीतिक गर्मी चरम पर थी। भाजपा के वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे। इसके बाद एक तस्वीर में नरेंद्र मोदी हाथ जोड़े एक अधिकारी के सामने खड़े थे। उनके सामने कुर्सी पर बैठे थे तत्कालीन कलेक्टर सुरेंद्र सिंह जिनके हाथ में नरेंद्र मोदी का नामांकन पर्चा दिखाई दे रहा था। वायरल हुए इस फोटो में मोदी की सादगी और अनुशासित विनम्रता की जमकर प्रशंसा हुई थी। लेकिन, इस IAS के शुरुआती जीवन के पन्ने पलटे जाएं, तो आश्चर्य होगा कि किसी के जीवन में कभी-कभी कितना बदलाव होता है।

जिस देश के ज्यादातर हिस्से में बच्चे शिक्षा और सुविधाओं के अभाव में अपना बचपन गुजारते हैं, वहां कोई बच्चा ऐसी परिस्थिति से ऊपर उठकर प्रशासन के सबसे बड़े ओहदे पर पहुंचे, तो उसकी काबलियत को स्वीकार किया जाना चाहिए। ऐसा ही एक बच्चा सुरेंद्र सिंह भी था, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के सैदपुर गांव में रहता था। इस बच्चे ने अपने हालात से समझौता नहीं किया और अपनी मेहनत के दम पर वहां पहुंचा, जो उनके परिवार ने कभी सोचा नहीं था।

Kissa A IAS:वो IAS अधिकारी जिसके सामने मोदी भी खड़े रहे!

ये सच्चाई है सुरेंद्र सिंह की, जिनके पिता खेती करते थे। परिवार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। सुरेंद्र ने बचपन में ही कई मुश्किलों का सामना किया। सुरेंद्र, उनके बड़े भाई और माता, पिता एक कच्चे मकान में रहते थे। चार लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना उनके पिता के लिए मुश्किल था। पिता जैसे-तैसे घर चला रहे थे। कई बार तो घर में खाने को भी कुछ नहीं होता था। लेकिन, बचपन से ही सुरेंद्र के दिल में बड़ा आदमी बनने की चाहत थी। उनके इस सपने को साकार करने के लिए उनके माता-पिता भी मेहनत करके दोनों बेटों की स्कूल की फीस का इंतजाम करते थे। माता-पिता अनपढ़ जरूर थे, पर शिक्षा की कीमत समझते थे।


Read More… KISSA-A-IAS: पिता हेड कांस्टेबल मां ASI, इशिता ने क्रैक की UPSC, बनी IAS 


मां-बाप ने अपनी क्षमता से ज्यादा दोनों बेटों को पढ़ाने की हमेशा कोशिश की। स्कूल से आने के बाद सुरेंद्र खेतों में पिता का हाथ बंटाने पहुंच जाते, पर वे काम करने से मना कर देते थे। वे नहीं चाहते थे कि सुरेंद्र का ध्यान कभी पढ़ाई से भटके। दोनों भाई फटा बस्ता और पुराने कपड़े पहनकर स्कूल जाते थे। घर में उनकी पढ़ाई चटाई पर बैठकर होती थी। आठवीं तक यही सिलसिला रहा। बाद में उनके बड़े भाई जितेंद्र दिल्ली चले गए और वहां टीचर बन गए। आठवीं के बाद सुरेंद्र को आगे का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए वे भी बड़े भाई के पीछे दिल्ली आ गए। वहां उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की। पढ़ाई में होशियार होने के कारण उन्हें आगे कामयाबी मिलती गई। दिल्ली से इंटर करने के बाद सुरेंद्र बीएससी और एमएससी करने राजस्थान गए। वहां सुरेंद्र ने एमएससी में टॉप किया, उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला।

Kissa A IAS:वो IAS अधिकारी जिसके सामने मोदी भी खड़े रहे!

पढ़ाई के दौरान ही सुरेंद्र ने नौकरियों के लिए परीक्षाएं दी। इस बीच उनका एयरफोर्स में सिलेक्शन हो गया, लेकिन वहां ज्वाइन करने से पहले ही सुरेंद्र सिंह का सिलेक्शन ONGC में जियोलॉजिस्ट के पद पर हो गया। सुरेंद्र ने ONGC ज्वाइन तो कर लिया, लेकिन दिल में कुछ खटकता रहा कि शायद अभी पिता जी का सपना पूरा नहीं हुआ।

सपना ऐसे हुआ साकार
सुरेंद्र को भी लगा कि अभी उन्हें लक्ष्य हासिल नहीं हुआ। उन्होंने 3 बार PSC का एग्जाम क्वालीफाई किया, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। क्योंकि, उनके दिल में IAS बनने का ख्वाब आकार ले रहा था। इसके बाद सुरेंद्र ने फिर मेहनत की और 2005 में UPSC क्वालीफाई किया और ऑल इंडिया 21वीं रैंक हासिल की। वे बड़ा आदमी बनने का सपना देखते थे, आखिरकार वे बड़े बन ही गए। उनकी पहली पोस्टिंग 2005 में मेरठ में हुई थी। यहां उनकी तैनाती असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के रूप में हुई। 2009-10 के दौरान वे भदोही में भी रहे। फिर वाराणसी के 56वें कलेक्टर के रूप में भी उनकी तैनाती हुई। अपनी ईमानदारी, योजनाओं में पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा की वजह से उन्हें सरकार ने कई बार सम्मानित भी किया है।

Kissa A IAS:वो IAS अधिकारी जिसके सामने मोदी भी खड़े रहे!

सुरेन्द्र कहते हैं कलेक्टर (डीएम) के पद पर काफी सारी जिम्मेदारियां होती हैं, जिससे कभी-कभी फैमिली और बच्चों के लिए भी टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, उनकी पत्नी का पूरा सहयोग रहता है। IAS सुरेंद्र को 2012 के विधानसभा चुनाव में फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा ‘बेस्ट इलेक्शन प्रैक्टिस’ का अवार्ड भी मिला। इसके अलावा मनरेगा योजना में बेहतरीन कार्य के लिए इन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी सम्मानित किया था।

​ योगी-मोदी के प्रिय अफसर
सुरेंद्र सिंह भदोही, बलरामपुर, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, बरेली, कानपुर नगर और वाराणसी के कलेक्टर रह चुके हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से पहले वह मेरठ के कमिश्नर थे और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तौर पर अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे थे। सुरेंद्र सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ का चहेता अधिकारी माना जाता हैं। यही वजह है कि उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भेजा गया है।

पीड़ितों की मदद करते नदी में गिरे
एक बार वाराणसी में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में सुरेंद्र सिंह ने पीड़ितों की मदद की। इस दौरान वे गंगा नदी के बाढ़ के पानी में गिर गए थे। NDRF टीम ने मुस्तैदी दिखाते हुए उन्हें बचा लिया! लेकिन, रेस्क्यू के दौरान उन्हें काफी चोटें आई थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। सुरेंद्र सिंह को बेहद मेहनती और कर्मठ IAS अफसरों में गिना जाता हैं। फ़िलहाल उन्हें केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति मिली है। अब वे अगले 3 साल तक एजीएमयूटी (AGMUT) कैडर में काम करेंगे। जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सुरेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा है।

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।