Mandsaur News: अ.भा. साहित्य परिषद ने मनाया विश्व कला दिवस विभिन्न संस्थाओं द्वारा साहित्यकार का सम्मान एक सुखद संयोग

Mandsaur News: अ.भा. साहित्य परिषद ने मनाया विश्व कला दिवस विभिन्न संस्थाओं द्वारा साहित्यकार का सम्मान एक सुखद संयोग

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई मंदसौर नगर में अपने पराये सभी के हम सोच के साथ मातृ संस्था के रूप में कार्य कर रही है। साहित्य परिषद के आव्हान पर संस्थाए सार्थक, जनपरिषद, दशपुर वैभव संगम, संजय ड्रीम्स, पोरवाल समाज, समग्र मालवा, मालवा मेवाड़ फिल्म, जनभागीदारी समिति लता मंगेशकर शा. संगीत महाविद्यालय, अ.भा. मारवाड़ी युवा मंच, टेलेण्ट ऑफ मंदसौर के पदाधिकारी एवं सदस्य डॉ. घनश्याम बटवाल, डॉ. उर्मिला तोमर, देवेश्वर जोशी, नरेन्द्र त्रिवेदी, नंदकिशोर राठौर, रमेश गंगवानी, संजय भारती, दिलीप सेठिया, विश्वास दुबे, जगदीश काला, नरेन्द्रसिंह राणावत, राजेन्द्र तिवारी, गोपाल बैरागी, राजकुमार अग्रवाल, विजयलक्ष्मी महावीर रघुवंशी, हरिश दवे, स्वाति रिछावरा, प्रमिला अजय अग्निहोत्री, चेतन व्यास, हेमासिंह नरेन्द्र भावसार, अनंत तारे, अर्पित परमार ने विश्व कला दिवस मनाते हुए साहित्यकार और स्पिक मैके कोऑर्डिनेटर श्री अजय डांगी का जन्मदिवस भी हर्षोल्लास के साथ मनाया।

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विश्व कला दिवस अवसर पर शहीद हेमू कालानी चौराहा स्थित मेडिपॉइंट सभागृह में सरस समारोह सम्पन्न हुआ
विशेषता यह रही कि शुभ परम्परा से श्रीमती चंदा डांगी ने श्री डांगी को कुमकुम तिलक लगाया, मुंह मीठा कराया, दीपक से आरती उतारी। श्री राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘णमो अरिहन्ताणं णमों सिद्धाणं’’ स्तुति का गान किया।

सभी ने पुष्पमाला मोती माला, पुष्प गुच्छ, बुके एवं उत्तरीय पट्ट पहनाकर श्री डांगी को जन्मदिन की और विश्व कला दिवस पर शुभकामनाएं प्रेषित की।

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जनपरिषद मंदसौर जिला संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल ने कहा कि आज विश्व कला दिवस पर साहित्य के सृजनकार का जन्मोत्सव और सम्मान एक विशेष संयोग है। नृत्य, संगीत, नाटक, गायन, चित्रकला, साहित्य एवं सृजनात्मकता की गतिविधियां व्यक्ति के जीवन को सरस और सार्थक प्रदान करती है। प्रत्येक में कोई न कोई गुण अवश्य होता है उस गुण को निखारने से व्यक्ति विशेष हो जाता है यही खूबी कवि साहित्यकार श्री अजय डांगी में है । डॉ बटवाल ने बताया कि विश्व कला दिवस पर 2024 की थीम अभिव्यक्ति का बगीचा है जो कलाप्रेमियों को विस्तारित केनवास प्रदान करती है।

इस अवसर पर सार्थक एनजीओ प्रमुख डॉ. उर्मिला तोमर ने कहा कि संस्थाओं के सम्मिलित प्रयासों से नगर उल्लासित हो रहा है। नगर में गीत, गायन, साहित्य, नृत्य, सिनेमा और सांस्कृतिक गतिविधियां दशपुर का नाम प्रदेश एवं देश स्तर पर रोशन करें।

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शिक्षाविद पंडित देवेश्वर जोशी ने कहा कि जीवन एक यात्रा है। जीवन यात्रा में चार यात्रा हेतु के कारण विशेष स्मरण में है। पहला शिव का त्रिपुर, दूसरा अर्जुन का खाण्डव वन, तीसरा राम का वन गमन और चौथा हनुमान की संजीवनी बूटी हेतु को लेकर की गई यात्रा पौराणिक महत्ता की मानी गई है।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी, हरिश दवे, नंदकिशोर राठौर महावीर रघुवंशी संजय भारती हेमा भावसार आदि ने भी अपने विचार रखे।

गायक चेतन व्यास ने ‘‘जनम जनम की मैली चादर कैसे राग छुडाऊ, मैली चादर औढ़ कैसे द्वार तुम्हारे आऊ’’ भजन सुनाये। स्वाती रिछावरा ने ‘‘ओ पालन हारे, निगुर्ण ओर प्यारे’’ सुनाया। राजकुमार अग्रवाल ने मुझे तूने भगवन बहुत कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया’’, विजय अग्निहोत्री ने ‘‘जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा’’, अंजू ने ‘‘जनम-जनम का साथ है, हमारा तुम्हारा’’ गीत, चंदा डांगी ने ‘‘मेरे सपनों में तुम, हो गई मैं कहीं गुम‘‘ गीत सुनाया। नरेन्द्रसिंह राणावत व रमेश गंगवानी ने भी भजन प्रस्तुत किया।

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इस अवसर पर श्री अजय डांगी ने कहा कि बचपन नगर में बीता पर 30 वर्षो तक बाहर रहा, पिता स्व. श्री राजमल डांगी कवि लेखक रहे और जनमानस से ज्ञान पिपासा के माध्यम से दशकों तक जुड़े रहे । मुझे सेवानिवृत्ति पश्चात फिर से नगर में आनेपर सभी लोगों ने मुझे स्नेह सत्कार दिया आभारी हूं।

आपने स्व रचित कविता के रूप में अपने भाव प्रकट किये- ‘‘परिवार से परे भी परिवार है, त्यौहारों से परे भी त्यौहार है, दौड़े चले आते है एक निमंत्रण पर, दशपुर अपनत्व की सरकार है।’’

कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया एवं आभार नरेन्द्र त्रिवेदी ने माना। इस मौके पर साहित्य और संगीत प्रेमी की बड़ी उपस्थिति रही।