राजस्‍थान के दौसा में बना था लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा

राजस्‍थान के दौसा में बना था लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा

गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट

नई दिल्ली। पूरा देश कल मंगलवार को आजादी की 77वीं वर्षगाँठ का जश्न मनायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले की प्राचीर से तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्र को सम्बोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री ने आजादी की 75वीं वर्षगाँठ को अमृत महोत्सव का नाम दिया है। उन्होंने ग़ुलामी की निशानियों से ऊपर आत्म निर्भर भारत के प्रतीक के रूप में नई दिल्ली में महत्वाकांक्षी सेण्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हाथ में लेकर नए संसद भवन का उद्घाटन भी कर दिया है।

बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि आजादी की पहली सुबह पर वर्ष 1947 को दिल्‍ली के लाल किले पर फहराया गया तिरंगा झंडा राजस्‍थान के दौसा में बना था।
स्वाधीनता दिवस पर देश के हर शहर और दफ्तर पर तिरंगा फहराया जाता है। इस मौके पर देशवासी खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं और देश की आनबान व शान के प्रतीक तिरगें को नमन कर आजादी के अमर शहीदों का स्मरण करते हैं।

राजस्थान के दौसा जिले के हर नागरिक को इस दिन एक अलग ही अनूभुति होती हैं, क्योंकि तिरंगे का दौसा से खास जुड़ाव है।माना जाता है कि लाल किले पर जो झंडा पहली बार लहराया गया था वो दौसा के आलूदा के बुनकर चौथमल ने बनाया था।

बताते है कि आजादी के पहले तिरंगे को लहराने की तैयारी के लिए चरखा संघ के देशपाण्डे व जनरल टाड को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।इस दौरान देश के विभिन्न भागों से तीन झंडे लाए गये।एक दौसा के आलूदा गाँव से,दूसरा राजस्थान के ही अलवर जिले के गोविन्दगढ़ से और तीसरा एक अन्य स्थान से लाया गया था।बताया जाता है कि दौसा के आलूदा के बुनकर चौथमल द्वारा बनाया गया झंडा ही पहली बार लाल किले पर लहराया गया ।हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

दौसा के बुनकरों की झण्डा बनाने की यह कारीगरी आज भी बदस्तूर जारी है।खादी समिति दौसा के प्रवक्ता का कहना है कि हालांकि आज़ादी की पहली सुबह पर दिल्ली में फहराया जाने वाला तिरंगा देश के अन्य स्थानों से भी गया था लेकिन कहा यहीं जाता हैं कि दौसा में बने तिरंगे को पहली बार लाल क़िले से आजाद हवा में लहराने का मौका मिला था।तिरंगे को लेकर दौसा का नाम तभी से इतिहास के चर्चा से जुड़ा हुआ हैं।

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हमारे देश में सिर्फ तीन जगह ही तिरंगे के कपड़े का निर्माण होता हैं,इसमें महाराष्ट्र में नांदेड़, कर्नाटका में हुबली व राजस्थान में दौसा का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं।दौसा खादी समिति तिरंगे में लगने वाले कपड़े का निर्माण करती हैं। यहां से मुंबई जाने के बाद एक मात्र खादी डायर्स एण्ड प्रिटिंग में इस कपड़े से तिरंगा बनाया जाता है।

इसी प्रकार आजादी से ठीक पहले कांग्रेस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया तिरंगा ध्वज भी राजस्थान के अलवर जिले के नीमराना से ताल्लुक़ रखने वाली अंजु नागर के घर मेरठ (हस्तिनापुर) में सुरक्षित रखा हुआ है। नागर के मौसेरे भाई तरुण रावल के अनुसार यह झण्डा 1946 में कांग्रेस के आखिरी अधिवेशन में मेरठ में फहराया गया था। इस तिरंगे को नागर परिवार ने आज भी बहुत ही सलीके के साथ सहेज का रखा हुआ है। यह ऐतिहासिक तिरंगा 14 फिट चौड़ा और 9 फिट लंबा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष भी हर देश वासी से अपील की है कि वे हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत तेरह से पन्द्रह अगस्त तक अपने घरों में तिरंगा लगायें। देश के सभी डाक घरों में भी इसके वितरण की विशेष व्यवस्था की गई हैं।

Author profile
गोपेंद्र नाथ भट्ट
गोपेंद्र नाथ भट्ट

गोपेंद्र नाथ भट्ट सम-सामयिक विषयों के लेखक और सूचना एवं जनसंपर्क के क्षेत्र में एक जाने पहचाने नाम और लेखनी के सशक्त हस्ताक्षर है ।

भट्ट राजस्थान के कई मुख्य मंत्रियों जिसमें पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, वर्तमान मुख्य मंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे और दिवंगत मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सहित प्रदेश के दस-ग्यारह मुख्यमंत्रियों के पीआरओ और प्रेस अटेची रहे है ।भट्ट के देश-विदेश और प्रदेश के सभी जाने माने पत्रकारों और अन्य सभी मीडिया जनों से हमेशा अत्यन्त मधुर सम्बन्ध रहें है।अपनी कार्य कुशलता और व्यवहार से भट्ट ने एक श्रेष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में अपनी छाप छोड़ी । उन्हें पत्रकारिता और जनसम्पर्क के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिलें हैं।

भट्ट ने सरकारी सेवा से निवृत होने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय के सीनियर मीडिया कसलटेंट के रूप में अपनी सेवाएं दी। साथ ही वे भारतीय उद्यमिता संस्थान,अहमदाबाद के अधिशासी अधिकारी भी रहें। वर्तमान में भट्ट कई जाने माने प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक संस्थानों के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी की कई सामाजिक-सांस्कृतिक एवं समाजसेवी और प्रवासियों से संबद्ध संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए है ।

भट्ट सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, राजस्थान के वरिष्ठतम अधिकारी रहे है तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों और संभाग में सेवाएं देने के साथ ही एक मात्र ऐसे अधिकारी रहे है जिन्होंने लगातार 25 वर्षों तक राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भिन्न-भिन्न दलों की सरकारों के मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया । साथ ही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल सहित कई राज्यपालों और देश प्रदेश के अनेक लब्ध-प्रतिष्ठित प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपनी सेवाएं दी।

दिल्ली पद स्थापन के दौरान भट्ट राजस्थान संवाद के अधिशासी निदेशक भी रहें।इसके अलावा वे दिल्ली में राज्यों के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों की संस्था “सिप्रा” के दो बार निर्विरोध अध्यक्ष और पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ओफ़ इंडिया (पीआरएसआई ) के विभिन्न पदों पर भी रहे।

भट्ट का जन्म और शिक्षा दीक्षा दक्षिणी राजस्थान के ऐतिहासिक नगर डूंगरपुर में हुई । उनके पिता भट्ट कांतिनाथ शर्मा बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से स्नातक और संस्कृत,हिन्दी और अंग्रेज़ी के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे देश के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवती राजाजी राज गोपालाचारी के सहयोगी एवं भाषण अनुवादक रहने के अलावा राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह के जीवन पर्यन्त राजनीतिक सचिव रहें । साथ ही तत्कानीन स्वतंत्र पार्टी की राजस्थान प्रदेश इकाई के महामंत्री तथा जयपुर की महारानी गायत्री देवी के राजनैतिक गुरु भी रहें । उन्हें गायत्री देवी को राजनीति में लाने का श्रेय भी मिला ।भट्ट अंतर राष्ट्रीय न्यायालय हेग के अध्यक्ष डॉ नागेन्द्र सिंह के विश्वस्त सहयोगी और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डूंगरपर और उनके सभी भाई बहनों के प्रारम्भिक शिक्षक भी रहें।उन्हें राज परिवार के सदस्य स्नेहपूर्वक मास्टर साहब पुकारते थे।