Time Traveller: कौन था वह यात्री,आखिर कहाँ गया ?

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Time Traveller: कौन था वह यात्री,आखिर कहाँ गया ?

 Mystery and Thriller Story Telling Series-4

Time Traveller: कौन था वह यात्री,आखिर कहाँ गया ?

      डॉ.स्वाति तिवारी          

दुनिया में कितने लोग हैं जो यात्राएं  करते रहते हैं. यात्रा जीवन का एक हिस्सा ही होती है, क्योंकि हर व्यक्ति को कभी ना कभी किसी ना किसी काम से यात्राएं करनी ही पड़ती हैं. यात्रा  एक-दूसरे से दूरी रखने वाले भौगोलिक स्थानों के बीच लोगों के आने या जाने को कहते हैं। यात्रा पैदल, बाइसिकल, वाहन, विमान, नाव, बस, जलयान या अन्य साधन से, सामान के साथ या उसके बिना, की जा सकती है। हम सभी करते हैं. याद करिए आप अपनी ही कोई यात्रा? कब की थी, किसके साथ की थी? कहाँ की थी और कौन कौन यात्रा में मिले थे? लेकिन अभी आप अगर अपनी यात्रा की स्मृति में खो जाएँगे तो मेरी ये कहानी कौन सुनेगा?

बात कई साल पुरानी है लगभग 25 साल, यह तब की है जब मैं एक बार किसी सेमिनार में हिस्सा लेने अमेरिका की यात्रा पर थी. अमेरिका जाने की मेरे पास दो वजहें थीं, पहली आमंत्रित सेमिनार में मुझे उनके खर्च पर अमेरिका की यात्रा मिल रही थी, और वह भी एक ख़ास विषय पर आयोजित सेमिनार था, मुझे वहां भारत के आध्यात्मिक और पौराणिक रहस्यात्मक पात्रों पर बोलना था. विषय मेरी दृष्टि में बहुत ही इंट्रेस्टिंग था, तीन महीने तक मैंने इस विषय पर लगातार रिसर्च की थी. हमारे पौराणिक ग्रन्थों में कई रहस्यात्मक किस्से और कथाएं तो हैं ही, हमारे कई पात्र भी रहस्य धारण किये हुए हैं, घटनाएँ तो हजारों है. मैंने ‘अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः नमो नमः॥’ इसी विषय को अपने लेख और पेपर प्रेजेंटेशन के लिए चयनित किया था. ये सभी अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य एवं परशुराम सप्त चिरंजीवी हैं और ये हमारे पौराणिक पात्र भी हैं जो आज भी जीवित माने जाते हैं.

विषय बड़ा ही कठिन था और मुझे इस पर लगातार कई दिनों तक काम करना पड़ा था. लेकिन मेहनत बेकार नहीं जाती है कभी तो मेरा पेपर सिलेक्ट हो गया था और मैं निर्धारित समय पर हवाई जहाज मैं बैठ गयी थी. दूसरी वजह वहां मेरे कुछ मित्र भी थे, फ्लाइट कनेक्टिंग फ्लाइट थी जो फ्रैंकफर्ट से शिकागो के लिए आगे जाने वाली थी. दिल्ली से उड़ान रात 2 बजे की थी और मैं बिना कुछ देर किये फ्लाइट में जाने के बाद अपने कान बंद करके सो गयी थी और जब उठी तो हम फ्रैंकफर्ट पहुँच चुके थे, आगे की फ्लाइट में लगभग चार घंटे का विराम था. मैं एक कप  कॉफ़ी और अपने बैग से अपना सूखी सब्जी और पूरी का डिब्बा खोल एक कोने में बैठी ही थी कि एक इन्डियन अमेरिकन अधेड़ सी उम्र का हाय करते हुए मेरे सामने वाली कुर्सी पर आ बैठा.

“are you indian?”{क्या आप हिंदुस्तानी हैं?}

“Yes”{जी}

Can I spend these four hours with you, sitting here?{क्या मैं आपके साथ ये चार घंटे बिता सकता हूँ, यहाँ बैठ कर?}

Why not, all four chairs are vacant, but I am busy, I have to revise my paper.{क्यों नहीं ,चारों कुर्सी खाली हैं, लेकिन मैं व्यस्त हूँ मुझे अपने पेपर का रिविजन करना है.}

मैं अनजान व्यक्ति से घुलना मिलना नहीं चाहती थी. यात्राएं मैं हमेशा बड़ी ही सावधानी से करती हूँ, कारण भी स्पष्ट है कि मैं पराए देश में मुसीबत से बचती हूँ.

उसने एक उसाँस सी भरी जैसे उसे मेरा यह व्यवहार बुरा सा लगा लेकिन उसने कहा “Said oh please do”{ओह, प्लीज जरुर करिए.}

मैंने खाना शुरू करने से पहले एक औपचारिकता के साथ पूछा “आपका लंच हो गया?”

उसने पहले मेरे चेहरे को देखा, फिर मेरे लंच बॉक्स को जो खुला था, उसके चेहरे पर जाने कैसे एक बहुत भोली सी बच्चे जैसी मुस्कान तैर गई, उस मुस्कुराहट में शरारत भी थी और खाने की इच्छा भी.

उसने मुस्कुरा कर कहा “Do you know why I came here?”{जानती हैं, मैं यहाँ क्यों आ गया?}

इस बात पर मुझे भी हँसी आ गयी थी, मैंने मन ही मन कहा फ्रीफंड का खाना खाने. लेकिन सभ्यता एक ऐसा आवरण है जिसे हम दूसरों के सामने ओढ़े रहते हैं, अपनी बात मन में ही दबाकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा “Your Indian heart must have been happy to see an Indian.”{एक भारतीय को देख आपका भारतीय हृदय खुश हुआ होगा.}

मैं भी थोड़ी शरारती मूड में आ गई थी. वो जोर से ठहाका लगा कर हँसा फिर वह बोला  “not after seeing the Indian woman, madam! but because of the wonderful smell of Indian food.”{ भारतीय स्त्री को देख कर नहीं मैडम! भारतीय खाने की लाजवाब खुशबू के कारण.}

“Oh! why not then have it too, do you like it so much?”{ओह! क्यों नहीं तो लीजिये आप भी, क्या आपको इतना पसंद है?}

उसने पंजाबी लहजे में जवाब दिया “बहुत ज्यादा, लेकिन इधर बनता भी है तो वो खुशबू नहीं होती उसमें.”

ओह! तो हिंदी आती है आपको? तब फिर हम चार घंटे बातें कर सकते हैं, लेकिन अभी मैं कुछखाना चाहती हूँ डायबिटिक हूँ ना इसलिए. मैंने एक पेपर प्लेट में मसालेदार भिन्डी, अचारी आलू और कुछ पूरियां रख कर आम का अचार भी प्लेट में डाल कर प्लेट उनकी ओर रखी, लीजिये फ्रैंकफर्ट में आप ठेठ हिन्दुस्तानी इंदौर के नमकीन के साथ खाइए, आपको पसंद आएगा. मैं खाने लग गई थी क्योंकि भूख मुझे बर्दाश्त नहीं होती और अचार की खुशबू मुझे भी आने लगी थी. उन्होंने प्लेट अपने पास ले ली. प्लेट लेते वक्त भी वह व्यक्ति हाथों में जुराबें पहने हुए था. फिर वह जब खाने लगा तो मुझे थोड़ा अजीब लगा स्पीड बहुत तेज थी और अगर इस स्पीड से ख़त्म करेगा तो मुझे और शेयर करना पड़ सकता है, जो मेरे आगे के लिए है. मैंने अपना बॉक्स बंद करके बैग में डाल दिया फिर खाया. तब तक वह खा चुके थे और एक ब्लैक कॉफ़ी हाथ में पकड़े हुए थे.

अब हम मित्रवत परिचित से हो गए थे, दोनों ही कॉफ़ी पी रहे थे, मेरे सेमिनार और मेरे रहस्यमयी पात्रों पर रिसर्च सुन कर वह व्यक्ति कई रहस्यमयी जगहों के बारे में बताने लगा. मुझे लगा वह भारत के बारे में बहुत कुछ जानता है, हमने कई किस्से शेयर किए, जैसे हिमालय में एक पॉइंट है जहाँ से स्वर्ग का रास्ता जाता है. हनुमानजी ने पर्वत शिखर को ही उखाड़ लिया था, गांधारी ने भी अपने 100 कौरव कैसे जन्मे होंगे ,जैसे विषयों पर बात करते करते उन्होंने एक अजीब किस्सा सुनाया अपनी यात्रा का.

कहने लगे कहाँ पर हो रहा है यह सेमिनार हुआ तो मैं आऊँगा वहाँ, बड़ा ही इंट्रेस्टिंग विषय है और दुनिया भर के लोग अपने अपने देश के किस्से रखेंगे. इन सब में भी जरुर साइंस निकलेगा कभी. मेरी उस यात्रा में बारे में आप सुनेंगी तो विश्वास नहीं करेंगी?

मैंने कॉफ़ी का ग्लास जो यूज एंड थ्रो वाला था, जाकर ट्रेश में डाला और हाथ धोकर वापस आ बैठी. उन्होंने कहा कि “एक बार जब मैं चीन जा रहा था, अपने बिजनेस के सिलसिले में तो उस यात्रा में एक अजीब घटना घटी थी, सुनिए!”

रहस्य केवल हमें लगते है लेकिन वे रहस्य होते नहीं है, वे सच्ची घटनाएं होती हैं. पूरी दुनिया के अराउंड कितना कुछ है, कितनी बातें ब्रहमांड की हैं. कितने लोक हैं, जैसे देवलोक, पाताल लोक और भी होंगे ना जाने कितने पिशाच लोक वगैरह. वहाँ जो होता है हमारे लिए वह या तो रहस्य है या अलौकिक!

जी, मुझे उनकी बातों में रूचि आने लगी थी.वो मेरे चहरे को भी जैसे पढ़ रहे थे, तो जब मैं चीन जा रहा था तब फ्लाइट पूरी भरी हुई थी केवल एक सीट खाली थी लेकिन जब पैसेंजर गिने गए तो सबके पास टिकिट थे और फ्लाइट पूरी फूल थी. क्रू मेम्बर्स उलझन में थे ऐसा कैसे हो सकता है, उन्होंने दूसरी बार लिस्ट मांगी तो उसमें सभी सीटों पर यात्रियों के नाम थे. 50 साल पहले चीन एयरपोर्ट पर उतरे एक अनजान यात्री की कहानी है. बीजिंग कैपिटल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक यात्री उतरता है.

अन्य यात्रियों की तरह वह भी चैक आउट काउंटर की तरफ बढ़ता है. उसने पासपोर्ट वेरीफिकेशन और इमिग्रेशन के लिए दिया है. वह भी मेरे आगे ही लाइन में खड़ा था उसका फोटो, फिंगर प्रिंट सब हो गया लेकिन पासपोर्ट पर जिस देश का नाम लिखा था ऐसा कोई देश इस दुनिया में ज्ञात नहीं था और उसकी यात्राओं की मुहरें तक सब सही लगी थी उसने सालों पहले कई यात्राएं की थीं. सभी दस्तावेज सही थे, व्यक्ति यात्रा कर चुका था लेकिन कस्टम वालों ने उसे रोक दिया. उसके देश की जानकारी किसी नक़्शे में नहीं थी. वह आदमी अपनी भाषा में बहुत देर कर समझाने की कोशिश करता रहा लेकिन एटलस तक देखा गया ऐसा कोई देश नहीं मिला. उसे आगे की जाँच के लिए एक छोटे से कैबिन में ले जाया गया और बैठा दिया कुछ देर बाद जांच अधिकारी वापस जब उस कैबिन में आये तो वहां कोई नहीं था. कस्टम में भगदड़ हो गई. कहाँ गया कैबिन बाहर से बंद था. उसके जब्त पासपोर्ट, इत्यादि  भी नहीं थे और जो तस्वीर और फिंगर प्रिंट लिए गए थे वे भी उड़ गए थे. किस्सा सुनाते सुनाते वो एकदम क्लांत से हो गए थे.

“फिर’ सुनकर मेरे रोंगटे खड़े होने लगे थे. कड़ाके की सर्दी वाले देश में मेरी कनपट्टी के पास से पसीने की धार उतरने लगी. वह व्यक्ति अभी भी उसी स्मृति में जाने कहाँ देख रहा था, शायद वह शून्य में ही देख रहा था.एक पल को मुझे लगा वो किसी और दुनिया में बैठा है .कुछ और देख रहा है .शून्य में ही देखते हुए आगे कहा कि जानती है फिर क्या हुआ ?

“क्या हुआ “?

“फिर उस व्यक्ति की बातचीत जो रिकॉर्ड हुई थी उसे सुना गया उसने एक होटल का नाम लिया था कि, उसकी वहां बुकिंग है. वहां पूछने पर पता चला इस नाम की बहुत पुरानी एक होटल तो है यहाँ लेकिन अब वह चलती नहीं है.” सालों पहले बंद हो गया  है और अब एक खँडहर है वह .” मैं पसीने से भीग गयी मैंने अपना सामान समेटा, टिकिट चेक किया सब सुरक्षित था.मुझे लगा यह मुझे डरा रहा है .

उन्होंने कहा , “उस यात्री  का कोई भी कागज़ फर्जी नहीं था, लेकिन कस्टम को लगा व्यक्ति रहस्यमयी है, ना झगड़ रहा है ना कागज़ फर्जी हैं लेकिन देश कोई हे ही नहीं ? कस्टम वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए थे, काटो तो खून नहीं क्योंकि उन्होंने देखा कि  सुरक्षित रखे वे कागज़, उसके सभी साक्ष्य अपने आप गायब हो गए. कहाँ गया वह ?एक दुनिया है कहीं जहाँ से आना जाना कर सकते हैं ,शायद वह वहीँ से आया था .”

तीन घंटे हो गए थे हमें बातें करते करते, हमने एक एक कप कॉफ़ी और पी ली थी इस बीच. फ्लाइट की अनाउन्समेंट होने लगी थी. मैंने उनसे विदा ली तो उन्होंने कहा वो भी इसी फ्लाइट से शिकागो जायेंगे और वहां से उन्हें कहीं और जाना है.

मैंने उनसे उनका नंबर और एड्रेस लिया और अपना इंडिया का कार्ड दिया उन्होंने भी मुझे अपना विजिटिंग कार्ड दिया था. फ्लाइट तक हम साथ गए. लेकिन फिर फ्लाइट बड़ी थी मैं इकॉनोमी क्लास में थी और उन्होंने बताया वे बिजनेस क्लास में हैं. लेकिन जब हम उतरे तो वे मुझे दिखे नहीं.

सेमिनार बहुत अच्छा हुआ था. मैं अपनी मित्र से मिली और एक दिन मित्रों के सामने उनके किस्से और उनका सुनाये किस्से बताये तो मित्रों ने कहा हाँ होता है ऐसा वो शख्स कौन था यह तो रहस्य है. एक मित्र ने कहा वो भूत था. दूसरे ने कहा कोई जादूगर होगा? कोई भटकती हुई आत्मा होगी जो फ्लाइट से चीन जा रही होगी. लेकिन एक मित्र जो इस सेमिनार में आया था उसने मुझसे किस्सा सुनाने वाले का नंबर माँगा मैंने कार्ड की फोटो खींच ली थी, और उनके साथ भी एक फोटो ली थी.

Mystery and Thriller Story Telling Series-3:”वो सुन्दर झिरन्या और चहरे के निशान”

मैंने अपना छोटा सा कैमरा निकाला “हां नंबर है” लेकिन नंबर वाली कार्ड की फोटो दिखी नहीं. नंबर मैंने टिकिट के पीछे लिख लिया था जो दिख रहा था, मैंने मित्र को नंबर दिया कहा मेरी भी बात करवाना. उसने नंबर डायल किया, तब मोबाइल का चलन  नहीं था तो लैंड लाइन ही थी, घंटी जा रही थी. फिर किसी महिला ने उठाया था, जब उसने नाम बताकर बात करने का कहा ,अचानक  मित्र के हाथ से फोन छूट कर लटक गया उधर से हेलो हेलो आवाज आती रही, मित्र पसीने पसीने हो गया.

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उसने कहा इस नाम वाले व्यक्ति को गुजरे सालों हो गए हैं ,वो एक प्लेन क्रैश में मर गए थे. मैं यह विश्वास नहीं कर पा रही थी और आज तक नहीं कर पायी हूँ जिसने अचार की खुशबू और इंडियन खाना मेरे साथ शेयर किया था, जो मुझसे रहस्यमयी घटनाओं, पौराणिक चरित्रों पर बहस कर रहा था, जिसने किसी रहस्यमयी यात्री का किस्सा चीन के बीजिंग कैपिटल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का किस्सा सुनाया था और बीजिंग गयी हूँ कभी पूछा था, मुझे बताया था बीजिंग हवाई अड्डा तब नया नया था, 1 मार्च 1958 को ही खोला गया था।हवाई अड्डे में तब एक छोटा टर्मिनल भवन था. चीन और बीजिंग कैपिटल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान इस्लामाबाद से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की थी।सब इस तरह से बताया था जैसे स्मृति खंगाल रहा हो .

कहानी: वो कौन था 

उसने कहा था वो जब पंजाब अपने गाँव आयेंगे तो मुझे फोन करेंगे और हो सकेगा तो इंदौर आयेंगे. वो शख्स सालों पहले हवाई दुर्घटना में मर चुका था. ये हो ही नहीं सकता, उसने ब्लैक कॉफ़ी भी खरीद कर पी थी फिर मैंने दो और ऑर्डर की थी. वो शख्स कौन था, कहां से आया था, मुझे क्यूँ दिखा ? हिंदी जानता था वो उम्र भी अधेड़ ही थी 55 से 60 के बीच रही होगी. मुझे याद आया मैंने फोटो ली  थी अपने साथ उनकी ,बहुत मुस्कुराती हुई तस्वीर थी . भय और विचित्र से इस अनुभव से मैं बेहोश हो गयी थी, जब मित्रों ने जगाया तब अगली सुबह हो गयी थी मुझे जाना था एयरपोर्ट, मैंने वह फोटो देखनी चाही मित्रों ने कहा तुम्हारा कैमरा हाथ से छूट कर गिर गया था उसमें कोई फोटो नहीं हैं.

 

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चीन वाला वो शख्स टाइम ट्रेवलर था जो गलती से उस समय में आ गया होगा, और ये वाला शख्स ——–कौन था ये रहस्य कभी नहीं सुलझ सका. किस्सा जब पिताजी को बताया तो उन्होंने कहा तुम्हारी माँ सही कहती है खाना चाहे जहाँ, चाहे जिस समय खाने नहीं बैठना चाहिए और पहले थोड़ा कलेवा सभी चीजों का इसी लिए भारतीय लोग निकालते हैं क्या पता कोई भूखा भटक रहा हो, कोयले का टुकड़ा भोजन के साथ यूँ ही नहीं बांधती माएं. खाना महकता है और सुगंध  अतृप्त को खींच लाती है. क्या पता ये भी कोई भूखा टाइम ट्रेवलर ही हो. ये बताओ उसने तुम्हें कैसे सम्मोहित कर लिया, खाने की तारीफ करके?- पिताजी हँसने लगे थे .  लेकिन पिता थे मन ही मन घबरा गए थे .अगले ही घंटे में वे एक ताबीज लेकर आये हनुमानजी की मणि डलवाकर और बोले ये गले में बाँध लो. भूल जाओ.  यात्राओं में तो लोग मिलते रहते हैं ! हम कहाँ सबको याद रखतें हैं , होगा कोई समय यात्री !

समय यात्रा, अतीत या भविष्य में यात्रा करने की एक काल्पनिक गतिविधि है. दर्शन और कथा साहित्य, विशेषकर विज्ञान कथा साहित्य में समय यात्रा एक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त अवधारणा ही  है.
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डॉ स्वाति तिवारी,भोपाल 
जापान के एक सच्चे चर्चित किस्से से प्रेरित पूर्णत; काल्पनिक रहस्य कथा