कैसे जन्मा आज का मध्य प्रदेश?

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कभी बीमारू राज्य कहा जाने वाला मध्य प्रदेश आज एक परिपक्व राज्य होने की मान्यता रखता है. कई राज्यों की सीमाओं से सटा होने और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के कारण इसका अपना एक विशिष्ट स्थान है. दो-दलीय राजनीतिक इतिहास होने के चलते यहां एक-दो प्रसंगों को छोड़ दें तो मोटे तौर पर सत्ता के संघर्ष उतने घिनौने नहीं रहे है, जैसे कि अनेक राज्यों में घटित होते दिखते हैं. हालांकि प्रगति के सूचकांकों सहित अनेक मापदंडों पर यह राज्य अब-भी वो ऊंचाइयां नहीं छू पाया है, जिसकी दरकार है और समाज का सर्वहारा एवं सभ्य वर्ग जिसकी आस लगाता है. 01 नवम्बर को जब मध्य प्रदेश अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है, ऐसे में उसके जन्म से जुड़ीं कुछ ऐसी दास्तां हैं, जिनका यहां उल्लेख प्रासंगिक हो गया है…

वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश के गठन और भोपाल को राज्य की राजधानी के रूप में स्थापित करने की कहानी काफी दिलचस्प है. 1 नवंबर को इसके पहले स्थापना दिवस के रूप में स्वीकार करने के लिए, सबसे पहली कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह एक दिन दिन पूर्व यानी 31 अक्टूबर, 1956 की मध्यरात्रि में आयोजित किया गया था. गौरतलब है कि राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा जबलपुर को राज्य की राजधानी बनाने की सिफारिश करने के बावजूद, भोपाल को इसके लिए चुना गया था. कहते हैं कि यह सब तत्कालीन कांग्रेस नेताओं के राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ.

इस 1 नवंबर (2021) को, मध्य प्रदेश जब अपने उदय के 66 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो वर्तमान में शायद ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जो इस तरह के इतिहास के क्षणों के साक्षी रहे हों. ऐसे ही एक चश्मदीद गवाह का नाम प्रेम नारायण नागर है. मूल रूप से शिवपुरी के रहने वाले 96 वर्षीय श्री नागर इस समय उज्जैन में रहते हैं. वह महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसी शख्सियतों के निकट सहयोगी रहे हैं. उनके अनुसार, भारतवर्ष में लोकसभा और विधानसभाओं के सबसे पहले आम चुनाव 1951-52 में हुए थे और उस दौरान चुने गए विधायकों को ही नवनिर्मित मध्य प्रदेश के विधायक के रूप में भी मान्य कर लिया गया था.

बकौल श्री नागर, मध्य प्रदेश के पहले स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला ने राज्य के पहले राज्यपाल पट्टाभि सीतारमैया को पद की शपथ दिलाई थी. इसके तत्काल बाद मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल का शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिन्होंने बाद में अपना मंत्रालय गठित किया. पूर्व रियासतों, जिनका मध्य प्रदेश में विलय हुआ था, के सभी मुख्यमंत्रियों को भी मंत्री बनाया गया था. कैबिनेट मंत्रियों में विंध्य प्रदेश से शंभूनाथ शुक्ला, इंदौर से तखतमल जैन और भोपाल से शंकर दयाल शर्मा प्रमुख थे. सवाई सिंह सिसोदिया ने उज्जैन का प्रतिनिधित्व किया और उन्हें उप-मंत्री बनाया गया. ये सभी ऐतिहासिक घटनाएं 31 अक्टूबर 1956 की मध्यरात्रि से ठीक पहले भोपाल के मिंटो हॉल में हुई थीं.

वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री नागर ने बताया कि कई दिनों तक खींचतान की स्थिति बनी रही क्योंकि कांग्रेस नेता तखतमल जैन इंदौर को राज्य की राजधानी बनाना चाहते थे, जबकि ग्वालियर के नेता वहां के लिए इच्छुक थे. दूसरी ओर जबलपुर के सेठ गोविंददास, जबलपुर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने पर अड़े हुए थे और संयोग से राज्य पुनर्गठन आयोग ने भी जबलपुर को राज्य की राजधानी बनाने की सिफारिश की थी. श्री नागर ने खुलासा किया, “अंततः शंकर दयाल शर्मा भोपाल को राज्य की राजधानी बनाने के अपने प्रयासों में सफल रहे क्योंकि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने उनका पुरजोर समर्थन किया.” वे बताते है कि भोपाल का पुराना सचिवालय सरकारी गतिविधियों का मुख्य केंद्र हुआ करता था क्योंकि वल्लभ भवन का निर्माण कुछ समय बाद किया गया था.

कुछ प्रमुख तथ्य

• 1956 में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्यों को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया था और मराठी भाषी दक्षिणी क्षेत्र विदर्भ, जिसमें नागपुर शामिल था, को बॉम्बे राज्य को सौंप दिया गया था.
• ग्वालियर, इंदौर और भोपाल की ब्रिटिश रियासतें आधुनिक मध्य प्रदेश का हिस्सा थीं. ब्रिटिश शासन 20वीं शताब्दी के मध्य तक जारी रहा, जब भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली. 1956 में मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया था और छत्तीसगढ़ को 2000 में राज्य से अलग कर दिया गया था.
• मध्य प्रदेश क्षेत्रफल के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा भारतीय राज्य है और 7.2 करोड़ से अधिक निवासियों के साथ जनसंख्या के हिसाब से पांचवां सबसे बड़ा राज्य है. यह उत्तर प्रदेश से उत्तर-पूर्व में, छत्तीसगढ़ से दक्षिण-पूर्व में, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात और उत्तर-पश्चिम में राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है.
• गठन के समय मध्य प्रदेश में 43 जिले थे जबकि वर्तमान में जिलों की संख्या 52 है.

चित्र परिचय:- (1) प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रवि शंकर शुक्ल, (2) राज्य का प्रतीक चिन्ह, (3) श्री प्रेम नारायण नागर और (4) मध्य प्रदेश का नक्शा