बसंत पाल की विशेष रिपोर्ट
सात राज्यों में विधानसभा चुनाव के पहले सरकार को पेट्रोलियम प्रोडक्ट की ऊंची कीमत सताने लगी हैं। इसी के चलते अब सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि क्यों न पट्रोल और डीजल को भी जीएसटी (गुड़्स एंड सर्विस टेक्स) के दायरे में लाया जाएगा। इससे दोनों प्राडक्ट एक्साइज ड्यूटी के दायरे से बाहर हो जाएंगे और इनकी कीमत घटकर पट्रोल की 75 और डीजल की 68 रुपए प्रति लीटर तक हो सकती हैं। मध्य प्रदेश में जहां पेट्रोल 10️9.67 रुपए और डीजल 97.67 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। देश के आधे से ज्यादा राज्यों में पेट्रोल 10️0️ रुपए प्रति लीटर के पार चला गया। माल भाड़ा और स्थानीय वैट के कारण राज्यों में कीमत अलग-अलग हैं।
कोविड महामारी से परेशान देश की जनता बढ़ती बेरोजगारी और घटती आय से जहां परेशान है, वहीं पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों ने भी जनता की परेशानी बढ़ा रखी है। इससे सरकार भी चिंतित है। अब जबकि सात राज्यों में आने वाले सालों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में सरकार को मिल रहे फीडबैक में बढ़ती महंगाई और आम आदमी की आय में कमी के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमत बीते 9 महीने से ऊंचाई पर बनी हुई है। इससे परेशान सरकार ने अब दोनों पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी के दायरे में लाकर इसकी कीमतों में कमी किए जाने की योजना पर काम कर रही है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट की इंटरनेशनल मार्केट प्राइज पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यह 55 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बीते जनवरी 20️21 माह में थी और इसमें पांच डॉलर के लगभग ️ उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। अगर क्रूड का भाव इंटरनेशनल मार्केट में 60️ डॉलर प्रति बैरल रहता है और डॉलर का एक्सचेंज रेट 73 रुपए प्रति डॉलर भी रहे तो भी पेट्रोल-डीजल की कीमत इन ऊंचाइयों पर नहीं रहना चाहिए जितनी की इन दिनों है।
राज्य और केंद्र सरकार के राजस्व का मुख्य आधार ही पेट्रोलियम प्रोडक्ट हैं। मार्च 20️20️ को जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य और केंद्र सरकार की राजस्व आय बढ़कर 556 लाख करोड़ रुपए हो गई। अप्रैल-जुलाई 20️21 के दौरान ️ उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ से अधिक रहा। यह गत वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपए रहा था। अब, जबकि सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाती है, तो यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों की राजस्व आय में भारी कमी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों को लगभग एक लाख करोड़ की राजस्व हानि हो सकती है। यह जीडीपी का 0️.4 फीसदी रह सकता है।
कोर्ट की फटकार से डरी सरकार
माना यह भी जा रहा है कि केरल हाईकोर्ट ने निर्देश दिए है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसे ध्यान में रखते हुए आगामी 17 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह मामला लाया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक मुश्किल निर्णय है। क्योंकि, जीएसटी प्रणाली में किसी भी तरह के बदलाव के लिए पैनल के तीन चौथाई सदस्यों की अनुमति जरूरी है। इसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। राज्यों का मानना है कि इससे उ️नके राजस्व का एक बड़ा हिस्सा उ️नके हाथों से निकल जाएगा। केंद्र सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा, तभी सहमति बन सकती है।
खुदरा कीमत साल में 39 बार बढ़ी
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी से सरकार का खजाना भरा है। सरकार ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को बढ़ा दिया था। पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को 19.8 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.0️ रुपए की गई! जबकि, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 15.83 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 31.8 रुपए प्रति लीटर किया गया। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई, जब कोरोना महामारी के कारण विदेशी बाजार में तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई थी। चालू वित्त वर्ष 20️21-22 में अब तक पेट्रोल की कीमत में 39 बार और डीजल की कीमत में 36 बार बढ़ोतरी हुई है। जबकि, पेट्रोल की कीमत में एक बार और डीजल की कीमत में सिर्फ दो बार कटौती हुई। पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल की कीमतें 76 बार बढ़ी थीं और 10 ️ बार घटी थीं। वहीं डीजल की कीमतें 73 बार बढ़ी थीं और 24 बार घटी थीं।