बालकनी से आज सुबह का सूरज

883

अलविदा 2023...
बीते हर पल की यादे संजोये
मीठी सी थाप दे लोरी सुनाये,
जैसे धीरे से सुनहरी किरण
ओस की हर बूंद पर लिपटी,
उतने ही समर्पण से
हर पल खुशियों से भिगोता रहा,
सच,
बहुत संभाला इस साल ने हमे।

बालकनी से आज सुबह का सूरज।

विम्मी मनोज

mumma profile

5 कविताएं :दीपावली पर इस बार दीप पर कम, उस चीज़ पर ज़्यादा, जिस पर हैं आमादा कुछ एजेन्डे 

ज्योति पर्व पर विशेष: हे पटेल! तुम्हारे एक पुत्र के इक्कीस हों और तेरी एक गाय के पचास बछरे हों! 

Bueraucratic Reshuffle: यह तो टीजर है,पूरी फिल्म का कीजिए इंतज़ार !