132 Year Old Letter: विरासत और प्रेरणा- अतीत का वर्तमान से संवाद, जब लाइट हाउस की दीवार से निकला इतिहास!

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132 Year Old Letter: विरासत और प्रेरणा- अतीत का वर्तमान से संवाद, जब लाइट हाउस की दीवार से निकला इतिहास!

रुचि बागड़देव की खास रिपोर्ट

समुंदर की लहरों के बीच खड़ा कोर्सवाल लाइट हाउस अपने भीतर एक ऐसा राज़ छुपाए बैठा था, जो वक्त की दीवारों को चीरकर 132 साल बाद सामने आया।

ये कहानी है इतिहास, विरासत और इंसानी जिज्ञासा की- जहां अतीत ने खुद आगे बढ़कर वर्तमान से बात की।
स्कॉटलैंड के समुंदर किनारे खड़े कोर्सवाल लाइट हाउस की मरम्मत चल रही थी। तभी इंजीनियरों को दीवार के भीतर एक कांच की बोतल मिली, जिसमें 132 साल पुरानी चिट्ठी थी- तारीख थी 4 सितंबर 1892.

यह चिट्ठी उन इंजीनियरों, मिल राइट्स और मजदूरों ने लिखी थी, जिन्होंने उस वक्त लाइट हाउस में नई लैंस और लालटेन लगाई थी। उन्होंने अपने नाम- जेम्स वेल्स (इंजीनियर), जॉन वेस्टवुड (मिलराइट), जेम्स ब्रॉडी (इंजीनियर), डेविड स्कॉट (मजदूर)- और तारीख दर्ज की, साथ ही लिखा कि “यह लालटेन गुरुवार रात 15 सितंबर 1892 को फिर से जलायी गई।”

चिट्ठी को बोतल में सील कर दीवार में छुपा दिया गया था ताकि भविष्य में किसी को मिले तो उसे पता चले कि ये काम किसने किया। एक सदी से भी ज्यादा वक्त तक वो बोतल छुपी रही। जब मौजूदा इंजीनियर उसी लैंस की मरम्मत कर रहे थे, तो उन्हें वही चिट्ठी मिली- जिसमें उन्हीं उपकरणों का जिक्र था जिन पर वे खुद काम कर रहे थे।

ये पल उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था- मानो 132 साल पहले के इंजीनियरों ने आज के इंजीनियरों से सीधा संवाद किया हो।

यह घटना सिर्फ एक ऐतिहासिक खोज नहीं, बल्कि मेहनत, टीमवर्क और विरासत की मिसाल है। आज के संदर्भ में यह संदेश हमें सिखाता है कि हमारा हर काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सकता है- और कभी-कभी इतिहास खुद सामने आकर हमें चौंका भी देता है!